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नकली रेमडेसिविर मामला: मोखा का मोबाइल बन गया पहेली, 90 दिन के पहले पेश किया गया चालान
डिजिटल डेस्क जबलपुर। नकली रेमडेसिविर मामले में आरोपी बनाए गये सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा का मोबाइल पुलिस के लिए पहेली बन गया। जानकारों के अनुसार मोखा की गिरफ्तारी के दौरान ही अगर मोबाइल बरामद कर लिया जाता तो शायद उससे कुछ और खुलासे हो सकते थे लेकिन एसआईटी की जाँच के दौरान उसका मोबाइल नहीं मिला और 90 दिन के अंदर पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया है।
ज्ञात हो कि सिटी अस्पताल में 5 सौ नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप गुजरात से मँगाई गयी थी और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन में करीब 209 इंजेक्शनों की डोज 171 मरीजों को दी गयी थी। इस मामले का खुलासा होने पर 10 मई को ओमती थाने में मोखा सहित 11 लोगोंं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और अगले दिन 11 मई को अस्पताल में भर्ती सरबजीत मोखा को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के पहले मोखा की किस किससे बात हुई इसका खुलासा मोबाइल से हो सकता था लेकिन मोबाइल नहीं मिलने से इस राज का खुलासा नहीं हो सका।
मरीजों के बिल जब्त हुए-
जानकारों के अनुसार जाँच टीम द्वारा सिटी अस्पताल के जिन 171 मरीजों को नकली रेमडेसिविर की डोज दी गयी थी उनका पूरा रिकार्ड बरामद कर लिया गया है और मरीजों के परिजनों के बयान दर्ज कर उन्हें अस्पताल से जो बिल दिए गये थे उन्हें रिकार्ड में शामिल किया है।
कम्प्यूटर का डेटा रिकवर-
जाँच टीम के अनुसार नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में गुजरात पुलिस द्वारा सिटी अस्पताल के दवा सप्लायर सपन जैन को गिरफ्तार किए जाने के बाद मोखा ने हरकत में आकर अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों संबंधी जो भी जानकारी व दस्तावेज कम्प्यूटर में दर्ज थे उस डाटा को डिलीट कर दिया था। इस मामले में भोपाल से आई साइबर टीम द्वारा कम्प्यूटर का पूरा डाटा रिकवर कर लिया गया है और उस डाटा को बतौर सबूत दस्तावेजों के तौर पर पेश किया गया है।
Created On :   7 Aug 2021 11:31 PM IST