आदिवासी की जमीन पर किया फर्जीवाड़ा -दी जान से मारने की धमकी

Fake-up on tribal land - Threatened to kill
आदिवासी की जमीन पर किया फर्जीवाड़ा -दी जान से मारने की धमकी
आदिवासी की जमीन पर किया फर्जीवाड़ा -दी जान से मारने की धमकी

डिजिटल डेस्क जबलपुर। रांझी बिलपुरा में एक आदिवासी की पैतृक जमीन को फर्जीवाड़ा कर बेचने और उसे गायब करवाने की धमकी देने वाले मामले की जाँच के बाद ओमती थाने में भू-माफिया के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। पीडि़त आदिवासी ने वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत कर बताया था कि 18 हजार व 16 हजार वर्गफीट भूमि उसके पिता और बड़े पिता के नाम थी, उनकी मृत्यु के उपरांत 3 हिस्सेदारों के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज थी।  सूत्रों के अनुसार बरगी मंगेली निवासी बलकू भूमिया ने वरिष्ठ अधिकारियों को दी गयी शिकायत में बताया था कि उसके पिता और बड़े पिता की मौत के बाद ग्राम बिलपुरा रांझी में  18000 वर्गफीट एवं 16000 वर्गफीट भूमि उसके बड़े पिता के लड़के पुन्नू भूमिया एवं भगवत भूमिया तथा  उसके नाम पर दर्ज है। वर्ष 2018 तक उक्त भूमि पर बिना किसी विवाद के अपने स्वामित्व की भूमि पर काबिज थे।  वर्ष 2018 में उसके द्वारा सीमांकन कार्यवाही करायी गयी, जिसमें मौके पर मस्ताना होटल के पास रांझी में रहने वाले परमजीत सिंह एवं चम्पा नगर निवासी अरुण श्रीवास्तव द्वारा उससे कहा गया कि उसकी जमीन के वे मालिक हैं। उसकी जमीन की रजिस्ट्री हो चुकी है, उसके यह कहने पर कि उसने जमीन किसी को नहीं बेची है, राजस्व अभिलेखों में उसका नाम दर्ज चला आ रहा है तो परमजीत व अरुण श्रीवास्तव के द्वारा गाली-गलौज कर जातिगत रूप से अपमानित कर कहा गया कि तुझको गायब करवा देंगे, किसी को पता भी नहीं चलेगा, तू हमारा कुछ नहीं कर पायेगा। पता करने पर ज्ञात हुआ कि उसके स्वामित्व वाली भूमि धनलाल उइके के नाम हो गयी है। उसने रजिस्ट्री देखी तो वह फर्जी व कूटरचित थी।  रजिस्ट्री में उसके बड़े पिता बिरजू भूमिया के लड़के पुन्नू भूमिया और उसके स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को खड़ा करके रजिस्ट्री निष्पादित करायी गयी है। शिकायत की जाँच के बाद  परमजीत सिंह, अरुण कुमार श्रीवास्तव, धनलाल एवं भगवत भूमिया के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471, 411, 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। 
राज छिपाने रजिस्ट्री जब्त कराई 
जाँच में पता चला कि रजिस्टर्ड विक्रय पत्र पर न तो भू-स्वामी के हस्ताक्षर थे और न ही उसकी फोटो थी।  उक्त रजिस्टर्ड दस्तावेज वर्ष 2003 में निष्पादित किया गया व जानबूझकर स्टाम्प ड्यूटी न अदा करके, रजिस्ट्री को जब्त करा दिया गया था। इसके बाद वर्ष 2018 में जब उसके द्वारा सीमांकन की कार्यवाही करायी गयी तो उसके बाद स्टाम्प ड्यूटी अदा करके परमजीत सिंह एवं अरुण कुमार श्रीवास्तव व धनलाल उईके द्वारा उक्त रजिस्ट्री उठाई गयी। पीडि़त का आरोप था कि परमजीत सिंह एवं अरुण कुमार श्रीवास्तव भू-माफिया हैं, गरीब आदिवासियों की भूमि  पर अवैध कब्जा कर भूमि की खरीद-फरोख्त करते हैं। 
 

Created On :   28 Nov 2019 1:41 PM IST

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