किसान नेता एनडी पाटील का निधन, शरद पवार ने जताया दुख

Farmer leader ND Patil passed away, Sharad Pawar expressed grief
किसान नेता एनडी पाटील का निधन, शरद पवार ने जताया दुख
कोल्हापुर किसान नेता एनडी पाटील का निधन, शरद पवार ने जताया दुख

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शेतकरी कामगार पक्ष (शेकाप) के वरिष्ठ नेता नारायण ज्ञानदेव पाटील (एनडी पाटील) का बीमारी के चलते सोमवार को निधन हो गया। 94 साल के पाटील का कोल्हापुर के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कोल्हापुर जाकर पाटील के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन किए। राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष व जल संसाधन मंत्री जयंत पाटील और ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ भी उनके साथ मौजूद रहे।

एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने शोक संदेश में कहा कि एनडी पाटिल हमेशा किसान, मजदूर वर्ग की समस्याओं को विधानसभा में उठाते रहते थे। इस वर्ग के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे। एनडी पाटिल ने शेतकारी कामगार पक्ष का सफलता पूर्वक नेतृत्व किया, वे आम जनता की समस्याओं के सच्चे वाहक बने रहे ।

शेतकरी कामगार पक्ष (शेकाप) के वरिष्ठ नेता नारायण ज्ञानदेव पाटील (एन डी पाटील) ने जीवन भर किसानों, मजदूरों और समाज के निचले तबके के लिए संघर्ष किया। पाटील महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद आंदोलन के प्रमुख नेता थे। पाटील का जन्म सांगली में 15 जुलाई 1929 को एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की। 

18 साल विप के सदस्य रहे

पाटील ने साल 1948 में शेकाप में प्रवेश किया। वे साल 1957 में मुंबई मिल मजदूर संगठन के महासचिव बने। पाटील साल 1960 से 1966, साल 1970 से 1976, साल 1976 से 82 के बीच 18 साल तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रहे। इस दौरान वे साल 1978 से 1980 के दौरान प्रदेश सरकार में सहकारिता मंत्री भी रहे। 1985 में कोल्हापुर से विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। पाटील को तत्कालीन लोकशाही आघाडी सरकार ने साल 1999 से 2002 तक महाराष्ट्र राज्य सीमा विवाद समिति का निमंत्रक सदस्य बनाया था। पाटील ने लंबे अरसे तक शेकाप के महासचिव पद पर भी काम किया।

राजनीति के साथ अध्यापन भी  

पाटील साल 1990 में रयत शिक्षा संस्था के चेयरमैन बने। इसके पहले उन्होंने सालों तक अध्यापन का कार्य भी किया। वे सातारा के छत्रपति शिवाजी कॉलेज में साल 1954 में प्राध्यापक बने। इसके बाद साल 1960 में सांगली के इस्लामपुर के कर्मवीर भाऊराव पाटील कॉलेज के प्रिसिंपल नियुक्त हुए। पाटील ने साल 1967 से 1978 तक कोल्हापुर के शिवाजी विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग के डीन के रूप में जिम्मेदारी निभाई।  इसके अलावा राज्य के प्राथमिक शिक्षा आयोग के सदस्य समेत विभिन्न शिक्षा संस्थानों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है। 

पाटील किसानों और मजदूरों के लिए काम करने वाले एक जुझारू नेता थे। उनके निधन से हमने शिक्षा, समाजसेवा और राजनीति समेत विभिन्न क्षेत्रों का एक ईमानदार लोक नेता खो दिया है।
- भगत सिंह कोश्यारी, राज्यपाल 

पाटील के निधन से किसानों और मजदूरों की बुलंद आवाज खो गई है। महाराष्ट्र ने एक संघर्षशील नेतृत्व को खो दिया है। महाराष्ट्र के लिए उनका नेतृत्व प्रेरणादायी था। उन्होंने महात्मा फुले और कर्मवीर भाऊराव पाटील के विचारों की मशाल जीवन के आखिरी क्षण तक जलाए रखी। संयुक्त महाराष्ट्र की लड़ाई में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 
-उद्धव ठाकरे, मुख्यमंत्री 

प्रगतिशील और परिवर्तनवादी आंदोलन के वरिष्ठ नेता पाटील जन सामान्य के संघर्ष के कृतिशील विचारक थे। हमने किसान, खेतीहर मजदूर, आदिवासी, दुर्बल, वंचित और उपेक्षितों के लिए लड़ाई लड़ने वाला नेता खो दिया है।
-अजित पवार, उपमुख्यमंत्री  

पाटील के निधन से सार्वजनिक जीवन के एक ऋषितुल्य और लोकाभिमुख व्यक्तित्व खोया है। पाटील का पूरा जीवन लोगों के लिए समर्पित रहा है।
-अशोक चव्हाण, सार्वजनिक निर्माण कार्य मंत्री

पाटील ने किसानों, मजदूरों और मिल मजदूरों के अधिकारों के लिए बड़ी लड़ाई लड़ी। उनके निधन से हमने एक दूरदृष्टि रखने वाले नेता को खो दिया है। 
- देवेंद्र फडणवीस, प्रतिपक्ष नेता, विस 

Created On :   18 Jan 2022 2:29 PM IST

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