मोदी राज में किसान बेहाल, किसान सभा का आरोप

Farmers problems aggravated under Modi raaj
मोदी राज में किसान बेहाल, किसान सभा का आरोप
मोदी राज में किसान बेहाल, किसान सभा का आरोप

एजेंसी, नई दिल्ली. अखिल भारतीय किसान सभा ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में किसानों की आत्महत्या का सिलसिल जारी है और इसमें करीब 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा 61 प्रतिशत मामले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में हुए हैं। 

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की किसान इकाई के महासचिव एवं पूर्व सांसद हन्नान मोल्ला ने आज यहाँ पत्रकारों से कहा कि मोदी सरकार आज़ादी के बाद अब तक की सबसे अधिक किसान विरोधी सरकार है। उसने किसानों के लिए कुछ भी नहीं किया बल्कि वह किसानों की खेती को काॅरपोरेट खेती में बदल रही है और उसने मॉडल ठेके की खेती विधेयक लाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार में किसानों की आत्महत्या रुक जायेगी लेकिन यह तो अभी भी जारी है और हर साल 12 हज़ार किसान आत्महत्या कर रहे हैं। भाजपा शासित राज्यों में सात हज़ार 723 किसानों ने आत्महत्या की यानी 61.28 प्रतिशत मामले इन राज्यों में सामने आये। 

उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना बढ़ाने का वादा किया था लेकिन आज तक उन्होंने यह वादा पूरा नहीं किया और लागत मूल्य के बराबर भी समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) सरकार के कार्यकाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि भाजपा के कार्यकाल में 3.9 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में 43 अरब 20 लाख डॉलर कृषि उत्पाद का निर्यात हुआ जो भाजपा सरकार में घटकर 33 अरब डॉलर रह गया। इसी तरह कृषि उत्पाद का आयात 15.5 अरब डॉलर था जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 25 अरब 60 करोड़ डॉलर हो गया है। इस तरह आयात बढ़ा और निर्यात कम हुआ है। 

उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में जो क़र्ज़ किसानों को दिए गए वह गत 63 सालों का सबसे न्यूनतम क़र्ज़ है। इससे पता चलता है कि मोदी सरकार कितनी किसान विरोधी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के शुरू के दो सालों में कृषि विकास दर क्रमश: 1.1 और 1.2 प्रतिशत रहा पर वर्ष 2016-17 में 7.1 प्रतिशत हुआ लेकिन यह अच्छे मानसून के कारण हुआ। उन्होंने कहा कि जीएसटी से यूरिया की कीमत में 300 रुपए की वृद्धि होगी और डीएपी(खाद) की कीमत तीन हज़ार हो जायेगी। 

Created On :   2 Jun 2017 1:52 PM GMT

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