सौर उर्जा फेंसिंग लगाने किसानों को मिलेगा अनुदान, 20 तहसीलों के बिना अनुदानित 21 महाविद्यालयों को अनुदान  

Farmers will get grant for installing solar energy fencing
सौर उर्जा फेंसिंग लगाने किसानों को मिलेगा अनुदान, 20 तहसीलों के बिना अनुदानित 21 महाविद्यालयों को अनुदान  
मंत्रिमंडल के फैसले  सौर उर्जा फेंसिंग लगाने किसानों को मिलेगा अनुदान, 20 तहसीलों के बिना अनुदानित 21 महाविद्यालयों को अनुदान  

डिजिटल डेस्क, मुंबई। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जन-वन विकास योजना के तहत किसानों को सौर ऊर्जा बाड़ (फेंसिंग) लगाने के लिए अब अनुदान मिल सकेगा। गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल ने श्यामाप्रसाद मुखर्जी योजना का दायरा बढ़ाकर किसानों को अनुदान देने के फैसले को मंजूरी दी है। इससे राज्य के संवेदनशील गांवों में वन्य प्राणियों के कारण खेतों में फसलों का होने वाले नुकसान को टालने में मदद मिल सकेगी। इस योजना के तहत किसानों को सौर ऊर्जा बाड़ की कीमत की 75 प्रतिशत राशि अथवा 15 हजार रुपए इन दोनों राशि में जो कम होगी, वह राशि अनुदान के रूप में दी जाएगी। जबकि सौर ऊर्जा सामग्री का 25 प्रतिशत अथवा उससे अधिक राशि का हिस्सा लाभार्थी को देना पड़ेगा। सरकार की ओर से ग्राम परिस्थितकीय विकास समिति अथवा संयुक्त वन प्रबंधन समिति के पास अनुदान उपलब्ध कराने के बाद लाभार्थियों को शेष 25 प्रतिशत राशि जमा करना होगा। नागपुर के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव) की अध्यक्षता वाली समिति संवेदनशील गांवों के चयन और सौर ऊर्जा बाड़ सामग्री का मापदंड निर्धारित करने के साथ गुणवत्ता नियंत्रण करेगी। साल 2022-23 में डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जन-वन विकास योजना की 100 करोड़ रुपए में से 50 करोड़ रुपए निधि सौर ऊर्जा बाड़ के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। इस योजना को लागू करने के बारे में नागपुर के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन बल प्रमुख) घोषित करेंगे। लाभार्थियों को योजना की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सूचना प्रबंधन प्रणाली का उपयोग किया जाएगा। वन्यजीवों के हमलों के कारण किसानों के फसलों का नुकसान होने का खतरा बना रहता है। इसके मद्देनजर ताडोबा-अंधारी व्याघ्र परियोजना में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में व्यक्तिगत सौर ऊर्जा बाड़ लगाने की योजना शुरू की गई थी। इससे इन इलाकों में बीते कुछ सालों में फसलों का नुकसान कम हुआ है। 

महाराष्ट्र में देश का पहला जीन बैंक

महाराष्ट्र जीन बैंक परियोजना (जनुक कोष) के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। यह देश की पहली जीन बैंक परियोजना होगी। जीन बैंक परियोजना की सिफारिशों को राज्य भर में लागू किया गया तो इससे यहां की जैवविविधता का संवर्धन हो सकेगा। नई पीढ़ी के लिए प्राकृतिक संसाधन जतन करना संभव हो पाएगा। मंत्रिमंडल के फैसले के अनुसार राजीव गांधी विज्ञान और प्रौद्योगिकी आयोग द्वारा 2014-19 के बीच लागू की गई परियोजना की मशीनरी और संसाधन को स्थायी रूप से चलाने की दृष्टि से जीन बैंक के दायरे को राज्य भर में बढ़ाया जाएगा। महाराष्ट्र जीन बैंक परियोजना के तहत सागरी जैवविविधता, फसलों के स्थानीय बाण, पशुधन की स्थानीय जाति, मीठे पानी की जैवविविधत, वन अधिकार क्षेत्र के लिए संरक्षण व प्रबंधन योजना समेत 7 घटक निश्चित किए गए हैं। इस परियोजना के तहत अगले 5 सालों में 7 घटकों के लिए 172.39 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस परियोजना के तहत जैव विविधता, पारंपारिक ज्ञान और स्थानीय समूहों के संवर्धन का दस्ताऐवजीकरण किया जाएगा।

20 तहसीलों के बिना अनुदानित 21 महाविद्यालयों को अनुदान  

राज्य के 20 तहसीलों के स्थायी बिना अनुदानित 21 महाविद्यालयों को 100 प्रतिशत अनुदान देने के प्रस्ताव को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। तहसील में कम से कम एक महाविद्यालय अथवा विद्याशाखा को अनुदान लागू करने की योजना के तहत 20 तहसीलों के 21 विद्या शाखा को 100 प्रतिशत अनुदान देने के लिए स्वीकृति दी गई है। कार्यबल समूह की शिफारिसों के अनुसार 18 महाविद्यालयों के 18 विद्याशाखाओं को 100 प्रतिशत अनुदान देने के लिए मंजूरी दी गई है। जबकि शेष तीन 3 तहसीलों के महाविद्यालयों के लिए नए विज्ञापन जारी किए जाएंगे। 18 तहसीलों में दक्षिण सोलापुर, मुरुड जंजिरा, दोडामार्ग, तलासरी, सिरोंचा, मुलचेरा, भामरागड, कोरची, जिवती, मूल, मेहकर, मोहाडी, पारशिवनी, भिवापुर, कुही, म्हसला, मालवण और भामरागड  का समावेश है। जबकि कोरची, एटापल्ली, विक्रमगड तहसील के लिए आवेदन मंगाए जाएंगे।


 

Created On :   28 April 2022 9:14 PM IST

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