कोरोना में अभिभावकों को गंवाने वाले गरीब बच्चों की मदद के लिए बढ़ाया हाथ

Fee paid - Helping hand for poor children who lost their parents in Corona
कोरोना में अभिभावकों को गंवाने वाले गरीब बच्चों की मदद के लिए बढ़ाया हाथ
चुकाई फीस कोरोना में अभिभावकों को गंवाने वाले गरीब बच्चों की मदद के लिए बढ़ाया हाथ

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमण के दौरान एक या दोनों अभिभावकों को गंवाने वाले 58 गरीब विद्यार्थियों की मदद के लिए सोहम फाउंडेशन आगे आया है। संस्था ने एक कंपनी की मदद से इन विद्यार्थियों के शिक्षा संस्थान की 12 लाख रुपए की फीस भरी है, जिससे वे आगे की पढ़ाई जारी रख सके। सोहम फाउंडेशन के संस्थापक राजेद्र डेठे ने बताया कि संस्था के सीमित संसाधनों को देखते हुए हमने पहले सिर्फ 10 ऐसे बच्चों के स्कूल/कॉलेज की फीस चुकाने का फैसला किया था, जिनके कमाने वाले अभिभावक की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है। सोशल मीडिया के जरिए यह जानकारी साझा की गई लेकिन हमें 58 ऐसे आवेदन मिले जिनमें बच्चे वाकई परेशानी में थे और उनके लिए फीस न चुका पाने के चलते आगे की पढ़ाई जारी रखना संभव नहीं था। संस्था के पास इतने पैसे नहीं थे, लेकिन कोर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत एसजीएस इंडिया प्रायवेट मिलिटेड कंपनी आगे आई और उसने संस्था के साथ मिलकर इन बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने का फैसला किया।

संस्था के जरिए मदद पाने वालों में बैंगलुरू की एनआईआईटी में पढ़ रहा एक छात्र भी है। छात्र की मां की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी। वे शिक्षिका थी और परिवार का खर्च ज्यादातर उनके वेतन से चलता था। पिता दिल के मरीज हैं इसलिए छोटे-मोटे काम ही कर पाते हैं ऐसे में छात्र के पास पढ़ाई छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। लेकिन सोशल मीडिया के जरिए उसे संस्था की इस पहल की जानकारी मिली जिसके बाद उसने आवेदन किया और संस्था ने दो लाख रुपए की फीस चुका दी।

उल्हासनगर में रहने वाली मीरा जोगदंड के पति की अप्रैल महीने में कोरोना संक्रमण चलते मौत हो गई। एक कंपनी में काम करने वाली मीरा की कमाई इतनी नहीं है कि वे अपनी तीन बेटियों की पढ़ाई का खर्च उठा सकें। इसलिए उन्होंने बेटियां को आगे न पढ़ाने का फैसला किया था, लेकिन इसी बीच उन्हें संस्था द्वारा की गई पहल की जानकारी मिली और उन्होंने फीस के लिए आवेदन किया। आर्थिक परेशानी को देखते हुए संस्था ने उनकी तीनों बेटियों की पढ़ाई के लिए फीस चुका दी। डेठे ने बताया कि हमने सोचा था कि सोशल मीडिया के जरिए हमने ऐसे बच्चों की फीस का खर्च उठाने का संदेश दिया था जिनके एक या दोनों अभिभावक इस बीमारी के चलते जान गंवा चुके हैं। हमारे पास बड़ी संख्या में मदद के लिए आवेदन आए। इनमें जो सबसे ज्यादा जरूरतमंद दिखे ऐसे 58 बच्चों की फीस चुकाने का फैसला हमने किया और उन्हें पैसे दे दिए गए। उम्मीद है कि इस तरह की परेशानी झेल रहे दूसरे बच्चों की मदद के लिए भी लोग आगे आएंगे।  

Created On :   4 Oct 2021 5:39 PM IST

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