मंत्रिमंडल के अहम फैसले : विदर्भ-मराठावाड़ा के उद्योगों को बिजली शुल्क माफी की अवधि और पांच साल बढ़ी

Fee waiver for vidarbha marathwada industries increased 5 year
मंत्रिमंडल के अहम फैसले : विदर्भ-मराठावाड़ा के उद्योगों को बिजली शुल्क माफी की अवधि और पांच साल बढ़ी
मंत्रिमंडल के अहम फैसले : विदर्भ-मराठावाड़ा के उद्योगों को बिजली शुल्क माफी की अवधि और पांच साल बढ़ी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े राज्य के विदर्भ व मराठवाडा इलाके में उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए दी जाने वाली विद्युत शुल्क रियायत अगले पांच वर्षों तक जारी रहेगी। मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। राज्य के ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया कि 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2014 तक यह छूट जारी रहेगी। इस फैसले से राज्य के सरकारी खजाने पर 600 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे विदर्भ व मराठवाडा के उद्योग अन्य इलाकों के उद्योगों से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे और इससे लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा।

सूखे से निपटने कृत्रिम बारिश का सहारा लेगी सरकार

राज्य के कई इलाकों में सूखे की स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश सरकार राज्य में कृत्रिम बारिश कराएगी। मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल ने प्रदेश में कृत्रिम बारिश के लिए मंजूरी दी। मंत्रिमंडल ने कृत्रिम बारिश के लिए 30 करोड़ रुपए के खर्च की मंजूरी दी है। सूखा प्रभावित मराठवाड़ा, विदर्भ और पश्चिम महाराष्ट्र के केचमेंट एरिया में कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी। इसके लिए औरंगाबाद में सी बैन्ड डॉपलर रडार और विमान को तैयार रखा जाएगा। प्रदेश के राजस्व तथा राहत व पुर्नवसन मंत्री चंद्रकांत पाटील ने बताया कि सूखा प्रभावित इलाकों के बांध वाले क्षेत्रों मे कृत्रिम बारिश कराई जाएगी। इससे यदि बांधों में पानी आएगा तो कम मानसूनी बारिश में भी मुश्किल नहीं होगी। पाटील ने बताया कि कृत्रिम बारिश के लिए टेंडर जारी किया जाएगा। राज्य सरकार के अनुसार प्रदेश में पिछले साल कम बारिश होने के कारण राज्य के अधिकांश इलाकों में जलसमस्या पैदा हो गई है। ऐसी स्थिति में पानी के लिए कृत्रिम वर्षा का प्रयोग करने का फैसला किया गया है। विदेश में कृत्रिम बारिश के प्रयोग से 28 से 43 प्रतिशत तक वर्षा में वृद्धि होने के आंकड़े सामने आए हैं। सरकार का दावा है कि कृत्रिम बारिश के प्रयोग से ज्यादा बरसात हुई तो जलयुक्त शिवार अभियान के माध्यम से हुए कामों को फायदा मिल सकेगा। भूजल स्तर बढ़ाने में भी मदद होगी। इससे पहले सरकार ने साल 2015 में कृत्रिम बारिश का प्रयोग किया था लेकिन वह प्रयोग सफल नहीं हो सकता था। 

चारा छावनियों में अब पानी भी उपलब्ध कराएगी सरकार

राज्य के सूखा प्रभावित इलाकों में चलाई जा रही के चारा छावनियों के पशुओं के लिए अब राज्य सरकार पीने का पानी भी उपलब्ध कराएगी। पशुओं के लिए टैंकर के जरिए पानी पहुंचाया जाएगा। अभी तक पशुओं को पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी चारा छावनी मालिकों की थी। प्रदेश में भेड़ और बकरियों के लिए चारा छावनी शुरू करने का फैसला किया गया है। भेड़ और बकरियों के पशुआहार के लिए प्रति जानवर 25 रुपए दिए जाएंगे। मंगलवार को मंत्रालय में सूखा राहत के लिए गठित राज्य मंत्रिमंडल की उपसमिति की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश के राजस्व तथा राहत व पुनर्वसन मंत्री चंद्रकांत पाटील ने कहा कि भेड़ और बकरियों के लिए चारा छावनी शुरू करने के लिए जो संस्थाएं सामने आएंगी उन्हें अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। पाटील ने कहा कि चारा छावनियों में मौजूद बैलों को सुबह हाजिरी के बाद किसान अपने खेत में बुवाई के काम के लिए ले जा सकेंगे।

चार छावनियों में 10 लाख पशु 

पाटील ने बताया कि चारा छावनियों के आसपास महिलाओं के लिए स्थायी शौचालय बनाने के आदेश जिलाधिकारियों को दिए गए हैं। राज्य में नाशिक, पुणे, औरंगाबाद विभाग में कुल 1501 चारा छावनी शुरू है। चारा छावनियों में छोटे और बड़े मिलाकर कुल 10 लाख 4 हजार 684 जानवर हैं। उन्होंने कहा कि चारा छावनी मालिकों को 80 प्रतिशत पशुआहार पहले ही उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। अब तक चारा छावनी के लिए औरंगाबाद के विभागीय आयुक्त को 111 करोड़, पुणे विभागीय आयुक्त को 4 करोड़ और नाशिक विभागीय आयुक्त को 47 करोड़ रुपए की निधि वितरित की गई है। प्रदेश के 67 लाख 30 हजार किसानों के खाते में 4 हजार 412 करोड़ रुपए सूखा राहत की राशि जमा करवाई गई है। पाटील ने बताया कि राज्य में 34 लाख किसानों को फसल बीमा की 2830 करोड़ रुपए दिए गए हैं। फलबाग के 98 हजार किसानों को 472 करोड़ रुपए फसल बीमा के जरिए मिलेंगे। इससे किसानों को कम से कम 50 हजार से 1 लाख रुपए मिल सकेंगे। 

रेलवे से पानी लाने की जरूरत नहीं

पाटील ने कहा कि राज्य में फिलहाल रेलवे से पानी पहुंचाने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि आवश्यकता हुई तो रेलवे से पानी पहुंचाया जाएगा। पाटील ने बताया कि राज्य के 4920 गांवों और 10 हजार 506 बस्तियों में 6209 टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है। राज्य के जलशायों में केवल 13 प्रतिशत पानी उपलब्ध है। पाटील ने कहा कि जलशायों के डेड स्टॉक का इस्तेमाल किया जा रहा है। औरंगाबाद के जायकवाड़ी बांध से पानी छोड़ने का प्रस्ताव सरकार के पास आया है। इस पर जल्द ही फैसला लिया जाएगा। इससे एक हजार से अधिक गांवों को महीने भर का पानी मिल सकेगा। 
 

 

 

 

Created On :   28 May 2019 7:19 PM IST

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