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कान्हा नेशनल पार्क में मादा बाघ की मौत- बफर जोन वनग्राम बंटवार में मिला शव
डिजिटल डेस्क मंडला। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा मिले अब पुरानी बात हो गई। यहां के नेशनल पार्क और अभ्यारण में लगातार बाघों की मौत हो रही है। कान्हा टाइगर रिजर्व में फिर एक मादा बाघ की मौत ने बाघ संरक्षण के इंतजामों में प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। बफर जोन के वन ग्राम बंटवार के जंगल में चार साल की मादा बाघ का शव संदिग्ध परिस्थिति में मिला है। वरिष्ठ अफसर के द्वारा मौत की वजह प्राकृतिक बताई जा रही है।
जानकारी अनुसार कान्हा नेशनल पार्क के कोर व बफर जोन में बाघों पर खतरा मंडरा रहा है। गत दिवस केटीआर बफर जोन में आने वाले वन ग्राम बंटवार में पानी की झिरिया के पास चार साल के मादा बाघ का शव मिला है। मादा बाघ की मौत कई संदेह का जन्म दे रही है। केटीआर बफर जोंन डीएफओ अंजना तुर्की ने बताया है कि वन ग्राम के पास ही जंगल में एक झिरिया के पास बाघिन का शव मिला है। बाघिन के शरीर में किसी भी प्रकार बाहरी चोट नहीं है जिससे मादा बाघ की मौत प्राकृतिक बताई जा रही है।
वहीं दूसरी ओर मौत के कारणों को जानने के लिए डॉग स्क्वाड से भी आसपास के क्षेत्रों में सर्चिग कराई जा रही है। जिससे कोई सुराग लग सकें। बाघिन के शव का बिसरा फांरेसिक लैब भेजकर अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
लगातार हो रही मौत
बाघ देखते ही इंसानी शरीर में सिहरन उठ जाती है लेकिन जंगल में इन पर ही मौत मंडरा रही है। जनवरी से लेकर अब तक पांच बाघों की मौत हो चुकी है। 14 जनवरी को केटीआर के किसली जोन में बुड़बुडी बघिन, 28 जनवरी को मुक्की जोन ढेबा तालाब के पास छह माह के शावक की मौत हो चुकी। इसके बाद 7 अप्रैल को किसली रेंज पीपरदर्रा में आपसी संघर्ष में चार साल के नर बाघ,18 अप्रैल को मुक्की जोन में एक माह के शावक को एक बाघ के द्वारा मारा गया है।
इसके बाद गत दिवस बंटवार के जंगल में चार साल बघिन का शव मिला है। इसके पहले दिसंबर के अंतिम सप्ताह में पांच माह के शावक किसली के खोपाडबरी क्षेत्र में मिला है। केटीआर प्रंबधन के द्वारा इन सभी नर मादा बाघों की मौत की वजह टेरीटेरी या मेङ्क्षटग के लिए आपसी संघर्ष को बताया जा रहा है।
Created On :   3 May 2018 5:12 PM IST