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आदेश बरकरार - 26 साल तक लड़ी लड़ाई, हाथ न आई एक भी पाई
डिजिटल डेस्क, नागपुर। हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार के वित्त विभाग के अधिकारी की याचिका को खारिज करते हुए मैट के आदेश को बरकरार रखा है। याचिकाकर्ता रंजना पात्रीकर ने अपनी बेटी के इलाज की रकम के भुगतान में देरी के चलते 20 फीसदी ब्याज की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति नितीन जामदार और न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे की खंडपीठ ने गुरुवार को सुनवाई के बाद याचिका को खारिज करते हुए मैट के आदेश को सही माना है।
पूरा मामला यह है
राज्य सरकार के वित्त विभाग में रंजना पात्रीकर अधिकारी हैं। उनकी बेटी को किडनी की बीमारी हुई थी। किडनी प्रत्यारोपण के लिए नागपुर में व्यापक सुविधा नहीं होने से 14 अक्टूबर 1996 को मुंबई के जसलोक अस्पताल में सर्जरी कराई गई। इस इलाज में करीब 3.50 लाख रुपए का खर्च हुआ। इस खर्च के भुगतान के लिए उन्होंने अपने कार्यालय में मेडिकल बिल प्रस्तुत किया, लेकिन कार्यालय ने 1.70 लाख रुपए की रकम ही मान्य होने के चलते बकाया रकम का भुगतान करने से इनकार कर दिया। तमाम तकनीकी पहलुओं के चलते मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं हो पाया। ऐसे में 28 जनवरी 1997 से सितंबर 2005 तक की समयावधि में मेडिकल बिल की रकम के साथ 20 फीसदी ब्याज को लेकर रंजना पात्रीकर ने मैट में शरण ली। राज्य सरकार और वित्त विभाग के पक्ष को सुनने के बाद मैट ने भी याचिकाकर्ता के दावे को खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने मैट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने मैट के निर्णय को सही करार देते हुए याचिकाकर्ता के दावे को खारिज कर दिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधि. अभिजीत भालेराव ने पैरवी की।
Created On :   18 Feb 2022 3:51 PM IST