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आर्थिक संकट फिर भी कोई लापरवाही नहीं, नो एंट्री के लिए बन रहा ये प्लान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना संकट के साथ ही आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। खासकर रोज मजदूरी से जुड़े लोगों के सामने दो वक्त की रोटी की भी समस्या खड़ी हो गई है। हालांकि जरूरतमंदों तक राहत के हाथ पहुंचने लगे हैं, लेकिन परेशानी बढ़ती ही जा रही है। इन सभी के बीच जरूरतमंद वर्ग सावधानी से कोई समझौता नहीं कर रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किया जा रहा है। साथ ही बाहरी लोगों से दूर रहने का प्रयास किया जा रहा है। गलियों में बाहर के लोगों की प्रवेशबंदी होने लगी है।
काम नहीं होने की चिंता ज्यादा
उत्तर व पूर्व नागपुर की विविध बस्तियों में मजदूर वर्ग की संख्या अधिक है। इन वर्ग के लोगों को काम नहीं मिलने की अधिक चिंता है। बिनाकी मंगलवारी में पापड़ व कपड़े का लघु उद्योग अधिक है। सुपारी कटाई का काम भी अधिक होता है। बस्ती के चेतराम उमरेडकर बताते हैं कि, बस्ती में फिलहाल भूखे मरने की स्थिति नहीं कहा जा सकता है। सरकारी राशन मिलने लगा है। स्वयंसेवी संस्थाओं से भी मदद मिलने लगी है, लेकिन मेहनतकश मजदूर का जीवन दाल-चावल तक ही सीमित नहीं है। घर में रुपये पैसे नहीं है। स्थिति यह है कि, मामूली बीमारी हो जाए तो इलाज करने डाक्टर के पास जाना मुश्किल हो जाएगा।
राजीव नगर में दिहाड़ी मजदूरों की यही स्थिति है। नई बस्ती टेका, ताज नगर में भय का वातावरण बन चला है। यहां आटोचालकों की संख्या अधिक है। दिल्ली के मरकज प्रकरण ने समुदाय व बस्तियों को संदिग्ध बना दिया है। इसका असर यहां भी है। यहां के आटोचालकों को इस बात की भी चिंता सता रही है कि, वे उपाययोजना के तौर पर दूसरा कौन सा काम कर पाएंगे। 55 वर्षीय समशेर खान कहते हैं कि, उनकी बस्ती में परिवार के सदस्यों की संख्या अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। सदस्यों की संख्या को देखते हुए राहत मिलना चाहिए।
जिन्हें अनाज की जरूरत, उन्हें नहीं मिल रहा
समशेर यह भी कहता है कि, अभी कोई राहत नहीं मिली है। उनकी यह भी शिकायत है कि, राहत बांटने वाले लोग भी बस्ती व समुदाय देखकर पहुंचने लगे हैं। संघर्ष नगर, रानी दुर्गावती नगर चौक परिसर, बालाभाऊ पेठ, बापू कुटी नगर में भी मजदूरों पर संकट गहराता जा रहा है। सहायता कार्य में जुटे जन सहयोग मित्र परिवार के सदस्य असद खान कहते हैं कि, जरूरतमंदों तक सहायता पहुंच तो रही है, लेकिन कई स्थानों पर जरूरतमंद ही मदद पाने के लिए सामने नहीं आते हैं, जिनके घरों में भरपूर राशन है, वे भी कुछ न कुछ बहाना करके राहत का राशन पा लेते हैं, जबकि जिन्हें वास्तव में जरूरत है वे अनाज नहीं पा सक रहे हैं।
गलियों में रात 12 बजे के बाद अवैध कारोबार
कुछ पिछड़ी हुई बस्तियों में कच्ची शराब, खर्रा बिक्री के चलन पर अभी भी सख्ती से जोर लगाने की आवश्यकता है। कामगार नगर में कम उम्र के युवाओं की टोली दिखने लगती है। पूछने पर बताते हैं कि, वे कच्ची शराब के पाऊच बेचने वाले हैं। बस्तियों में अन्य बस्तियों खासकर व्यापारिक क्षेत्र से आने-जाने वाली कार को रोका जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि, रात 12 बजे के बाद सुबह 5 बजे तक अवैध बिक्री के कारोबार चलते रहते हैं। इसमें पुलिस की लिप्तता भी है। जरीपटका पुलिस स्टेशन के पास की गली को तो नागरिकों ने वाहनों के आने जाने के लिए बंद कर दिया है। ओमनगर के रास्ते में कांटे की लकड़ियां डालकर रखी हैं।
Created On :   10 April 2020 2:15 PM IST