वित्तीय अनियमितताओं की जांच होगी-कुलगुरु डॉ.चौधरी की मुश्किलें बढ़ीं, राज्य सरकार ने अब मांगा जवाब

Financial irregularities will be investigated
वित्तीय अनियमितताओं की जांच होगी-कुलगुरु डॉ.चौधरी की मुश्किलें बढ़ीं, राज्य सरकार ने अब मांगा जवाब
सिफरिशें मंजूर वित्तीय अनियमितताओं की जांच होगी-कुलगुरु डॉ.चौधरी की मुश्किलें बढ़ीं, राज्य सरकार ने अब मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, नागपुर. विश्वविद्यालय में एमकेसीएल कंपनी को अवैध रूप से कामकाज सौंपने वाले राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ.सुभाष चौधरी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राज्य सरकार ने उपसचिव अजित बावस्कर द्वारा तैयार की गई जांच रिपोर्ट और सिफारिशें स्वीकार कर लीं हैं। राज्य सरकार ने गुरुवार को विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि एमकेसीएल कंपनी को बगैर टेंडर के काम देने, परीक्षा परिणामों में विलंब और कंपनी को मोटी रकम का भुगतान करने पर मैनेजमेंट काउंसिल के अध्यक्ष व विवि के प्रशासकीय प्रमुख होने के नाते कुलगुरु डॉ.सुभाष चौधरी से राज्य सरकार ने 8 दिन में जवाब मांगा है। इतना ही नहीं, बगैर टेंडर काम सौंपने पर राज्य सरकार ने पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीक्षक अभियंता को वित्तीय अनियमितता की जांच भी सौंपी गई है। 

कोर्ट से लगी है फटकार 

गौरतलब है कि कुलगुुरु पर यह कार्रवाई गुरुवार को हुई है, जबकि इसके ठीक एक दिन पूर्व यानी बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने भी डॉ.चौधरी को उनके बर्ताव के लिए फटकार लगाई थी। विभाग प्रमुख डॉ.काशिकर पर अवैध ढंग से विभागीय कार्रवाई करने के बाद कुलगुरु को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। एक ओर जहां विश्वविद्यालय अपने शतकोत्तर वर्ष में प्रवेश कर रहा है, वहीं कुलगुरु को लेकर जारी विवादों के चलते विश्वविद्यालय की प्रतिमा भी मलिन हो रही है। 

यह है मामला 
सीनेट सदस्यों द्वारा राज्य सरकार को सौंपी गई शिकायत के अनुसार, दरअसल परीक्षा संबंधी कामकाज के लिए नागपुर विश्वविद्यालय ने वर्ष 2008 के दौरान एमकेसीएल कंपनी की नियुक्ति की थी। एमकेसीएल के कामकाज से तंग आकर वर्ष 2014-15 में सबसे पहले बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन में एमकेसीएल से कांट्रैक्ट रद्द करने का फैसला हुआ। इसके बाद मैनेजमेंट काउंसिल की इस फैसले पर मुहर लगी। इसके बाद तत्कालीन कुलसचिव ने जरूरी कार्रवाई करके एमकेसीएल से कांट्रैक्ट रद्द कर दिया। जैसे ही डॉ.चौधरी कुलगुरु बने, बगैर किसी चर्चा और मंजूरी के एमकेसीएल को वापस ले आए। सदस्यों के आपत्ति लेने पर यह साफ झूठ बोला कि कांट्रैक्ट कभी रद्द किया ही नहीं गया। इस विषय ने तूल पकड़ा तो विधायक प्रवीण दटके और एड.अभिजीत वंजारी ने विधान परिषद में यह मुद्दा उठाया। इसके बाद राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत दादा पाटील ने कुलगुरु और अन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के उपसचिव अजित बावस्कर की जांच समिति गठित की। समिति की रिपोर्ट के आधार पर अब राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितताओं की जांच बैठाई है। 

दूसरी बार करार रद्द : एमकेसीएल को लेकर मुश्किलें बढ़ने के बाद आखिरकार नागपुर विश्वविद्यालय ने हाल ही में एमकेसीएल के साथ अपना करार रद्द कर दिया है। इसमें सीनेट सदस्यों ने मुद्दा उठाया है कि विश्वविद्यालय ने वर्श 2016 में कंपनी से करार रद्द कर दिया था, लेकिन डॉ.चौधरी लगातार सीनेट सदस्यों से झूठ बोलते रहे कि करार रद्द नहीं हुआ। आखिरकार कुछ सदस्यों ने वर्ष 2016 के करार रद्द करने की कॉपी सार्वजनिक की। अब विवि ने दूसरी बार कंपनी से करार रद्द किया है। 

Created On :   21 Oct 2022 6:01 PM IST

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