नागपुर के वेल ट्रीट अस्पताल में लगी थी आग, बेड से सटे थे स्विच बोर्ड

Fire was in the hospital, switch boards were adjacent to the beds
नागपुर के वेल ट्रीट अस्पताल में लगी थी आग, बेड से सटे थे स्विच बोर्ड
नागपुर के वेल ट्रीट अस्पताल में लगी थी आग, बेड से सटे थे स्विच बोर्ड

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले के सरकारी और निजी अस्पताल कोरोना महामारी से जूझ रहे लोगों को नया जीवन देने का काम कर रहे हैं, वहीं कुछ अस्पताल लापरवाही के कारण मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। यही लापरवाही शुक्रवार की रात वाड़ी के वेल ट्रीट अस्पताल में हुई, जिससे अस्पताल में आग लगी और 4 मरीजों की मौत हो गई। शनिवार को अस्पताल में एमएसईबी और पीडब्ल्यूडी की टीम सहित फॉरेंसिक और अग्निशमन विभाग की टीम ने जाकर निरीक्षण किया, तो  अस्पताल में लापरवाही व अनियमितताओं की खामियां उजागर हुईं। 

शीघ्र मिलेगी रिपोर्ट 

अस्पताल का 5 साल से फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं हुआ है, जबकि हर 6 महीने में होना था, इसलिए एनओसी नहीं दी गई है। यहां आईसीयू में 13 बेड हैं। नियमानुसार दो बेड के बीच पर्याप्त दूरी नहीं मिली, बेड से सटकर इलेक्ट्रिक स्विच बोर्ड लगे हैं, जिससे मरीज का हाथ आसानी से स्पर्श कर सकता है। आईसीयू की क्षमता के अनुसार 6 एसी होने चाहिए थे, जबकि 2 ही लगे हैं। ऐसी पर लोड बढ़ने से शॉर्ट-सर्किट होने की संभावना बनी रहती है। एमएसईबी के अभियंता ने इसकी पुष्टि की है। अस्पताल में फॉरेंसिक एक्सपर्ट और अग्निशमन की टीम ने भी मुआयना किया। एक-दो दिन में रिपोर्ट मिलने की संभावना है। फिलहाल जिम्मेदार कुछ बी बताने से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।अस्पताल में आग लगने की सूचना वाड़ी पुलिस को शाम 7.54 बजे मिली। थाने के पीआई प्रदीप सूर्यवंशी और फुलकवर मौके पर पहुंचे। उस समय तक अग्निशमन दल की गाड़ी पहुंच चुकी थी। इमारत के दूसरे माले से धुआं उठ रहा था, वहीं आईसीयू था। यहां 13 मरीज थे। बत्ती गुल होने से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। फुलकवर अस्पताल के एक कर्मचारी को साथ लेकर रास्ता पूछते हुए आगे बढ़े। धुआं के कारण सभी का दम घुंट रहा था। आईसीयू का दरवाजा बंद था, जिसे तोड़ा गया। इसके अलावा कोई दूसरा दरवाजा नहीं था। फिर खिड़कियां तोड़ने के बाद धुआं बाहर निकलने लगा। आईसीयू में भर्ती मरीजों को एक-एक कर बाहर निकाला गया। इसके बाद तीसरे और चौथे माले पर भर्ती मरीजों को भी युवाओं की टीम एंबुलेंस तक ले जाती रही। इस तरह लोगों की जान बचाई गई। यदि 10 मिनट भी विलंब होता, तो मरनेवालों की संख्या और बढ़ जाती।

विवादों में रहा है अस्पताल

वेल ट्रीट अस्पताल हमेशा विवादों में रहा है। किसी न किसी विषय को लेकर मरीजों के परिजनों से विवाद होता रहा है। जिला स्तर पर अलग-अलग विभागों में  शिकायतें की गईं, लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। कुछ समय पहले अस्पताल में उदय तिड़के नामक युवक की मौत मामले में मृत्यु प्रमाणपत्र को लेकर विवाद हुआ था। 2018 में अस्पताल के रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण करने से नगर परिषद के मुख्याधिकारी राजेश भगत ने मना कर दिया था। तब अस्पताल के संचालक ने तत्कालीन नप अध्यक्ष के प्रमाणपत्र का उपयोग एनओसी के लिए किया था। पिछले साल 26 जुलाई को पॉजिटिव मरीज की जानकारी आपदा प्रबंधन विभाग को नहीं दी गई। अंतत: 7 अगस्त को इस महिला की मौत हो गई थी।

एनओसी नहीं दी है

जुम्मा प्यारेवाले, मुख्याधिकारी नप वाड़ी के मुताबिक वेल ट्रीट हॉस्पिटल को मेरे कार्यकाल में फायर की एनओसी नहीं दी गई है। अस्पताल में हुई घटना को लेकर समिति गठित की गई है। इसलिए इस विषय को लेकर कुछ कहना उचित नहीं होगा। 
    
फायर सेफ्टी का ऑडिट नहीं

रोहित शेलारे, अग्निशमन अधिकारी वाड़ी के मुताबिक अस्पताल का फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं हुआ है, इसलिए एनओसी नहीं दी गई है। इसके लिए कभी आवेदन नहीं आया है। ऑडिट की प्रक्रिया स्वयं सामने आकर पूरी कराना प्रबंधन की जिम्मेदारी है। नप द्वारा इसके लिए विज्ञापन दिए जाते हैं। 

जांच हो रही है

मोहन टिकले, तहसीलदार के मुताबिक जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा मामले की जांच करवाई जा रही है। फायर ऑडिट, इलेक्ट्रिक ऑडिट आदि की जांच होगी।

रिपोर्ट का इंतजार है

अविनाश कातडे,  उपजिलाधिकारी के मुताबिक अलग-अलग विभागों द्वारा घटना की जांच कर रहे हैं। उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की प्रक्रिया की जाएगी। 

प्रतिसाद नहीं मिला

घटनाक्रम को लेकर अस्पताल के संचालक डॉ. राहुल ठवरे से मोबाइल पर संपर्क करने पर प्रतिसाद नहीं मिला। 

Created On :   11 April 2021 5:18 PM IST

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