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दीपावली पर बिके 25 करोड़ के पटाखे, धमाकों से उड़े प्रशासन के दावे
डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी में शुक्रवार रात छोटी दिवाली के अलावा लक्ष्मी पूजन की रात पटाखों को जलाने में कोई कमी नहीं आई। पुलिस प्रशासन ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश को लेकर पुख्ता इंतजाम करने का दावा किया था। रात में 8 से 10 बजे के बीच पटाखे जलाने की अनुमति थी। इससे पहले और बाद में जलाने से रोकने के लिए पुलिस के गश्ती दल, पेट्रोलिंग टीम को रखा गया था, लेकिन तमाम दावों के बाद भी खूब पटाखे फोड़े गए। दूसरी ओर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मनपा के केवल ग्रीन पटाखों की बिक्री का दावा भी खोखला साबित हुआ। ग्रीन पटाखों के नाम पर पुराने स्टाक के पटाखों की बिक्री हुई। देर रात तक पटाखों का शोर और धुंआ होता रहा।
केवल एक श्रेणी में ही हो पाई ध्वनि प्रदूषण जांच
दिवाली के दौरान तीन दिन तक शहर में ध्वनि प्रदूषण की जांच की व्यवस्था की गई है। एमपीसीबी ने निजी एजेंसी महाबला एन्वायरों को एक दिन पहले, लक्ष्मीपूजन और एक दिन बाद तक 10 स्थानों पर जांच की जिम्मेदारी दी है। एजेंसी को 4 श्रेणी औद्योगिक, निवासी, व्यावसायिक और साइलेंट जोन में निरीक्षण और परीक्षण करना है, लेकिन केवल व्यावसायिक क्षेत्र के ही आंकड़े अब तक उपलब्ध हो पाए हैं। इसमें भी लक्ष्मी पूजन के दिन रात 9 से 10 बजे के बीच निर्धारित मानक 70 डेसीबल्स केवल तीन क्षेत्र में आए हैं। इनमें सिविल लाइंस, धरमपेठ और इतवारी शामिल हैं, जबकि सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण मेडिकल चौक क्षेत्र में 88.2 डेसीबल्स पाया गया। इसके साथ ही देशपांडे ले-आउट, कलमना, अजनी में भी पटाखों के धमाकों को दर्ज किया गया है। एमपीसीबी के मुताबिक अन्य तीन क्षेत्र रिहायशी, व्यावसायिक और साइलेंट क्षेत्र के आंकड़े अब तक उपलब्ध नहीं हो पाए हैं।
एक भी पुलिस कार्रवाई नहीं : पुलिस ने रात 8 से 10 बजे तक पटाखा जलाने के लिए समयावधि निर्धारित किया था, लेकिन 24 स्थानों से सूचना मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पुलिस के पहुंचने तक सब कुछ समाप्त हो गया था। सार्वजनिक स्थान होने के चलते किसी पर कोई मामला भी नहीं दर्ज किया गया है, हालांकि पुलिस ने पुराने स्टाक के पटाखों की बिक्री में 27 विक्रेताओं पर मामला दर्ज किया है।
सख्ती का पूरा प्रयास किया गया
बसवराज तेली,उपायुक्त, विशेष पुलिस शाखा के मुताबिक पुलिस ने सख्त बंदोबस्त किया था। पुलिस स्टेशन स्तर पर 1 उपनिरीक्षक समेत 5 कर्मचारियों की टीम को गठित कर निरीक्षण किया गया। लक्ष्मी पूजन की दोपहर तक करीब 27 दुकानदारों पर पुराने स्टाक के पटाखों की बिक्री के लिए अपराध दर्ज किए गए हैं। नियम का उल्लंघन कर पटाखे जलाने को लेकर करीब 24 स्थानों से सूचना मिली थी, लेकिन पुलिस के पहुंचने तक मामला खत्म हो गया था। सार्वजनिक स्थान होने से किसी पर कार्रवाई नहीं हो पाई है।
बेहतर परिणाम की उम्मीद
अनंता काटोले, उपप्रादेशिक अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष बेहतर परिणाम की उम्मीद है। पिछले साल पटाखों को जलाने में कोई भी नियम का पालन नहीं हुआ है, लेकिन इस बार पुलिस की कड़ी निगरानी रही है। ऐसे में ध्वनि और वायु प्रदूषण के कम होने की उम्मीद कर सकते हैं।
ध्वनि और वायु प्रदूषण पर संदेह
सुरभि जायस्वाल, ग्रीन विजिल फाउंडेशन के मुताबिक ध्वनि और वायु प्रदूषण को लेकर अब भी संवेदनशीलता नहीं है। वायु प्रदूषण के नाम पर पहले से ही अपने पटाखा परीक्षण में पटाखों को क्लीन चिट दी जा चुकी है। वायु प्रदूषण के लिए सिविल लाइंस के एकमात्र मॉनिटरिंग स्टेशन पर आश्रित हैं। ऐसे में पटाखों से होने वाले ध्वनि और वायु प्रदूषण का ब्योरा नहीं है। विश्लेषण करें, तो शहर में पटाखों से दोनों श्रेणी के प्रदूषण में बढ़ोतरी है, लेकिन सरकारी व्यवस्था ने पल्ला झाड़ लिया है।
दीपावली पर बिके 25 करोड़ के पटाखे
इस दिवाली करोड़ों रुपए के पटाखे जलाए गए हैं, वहीं अपने प्रियजनों को उपहार स्वरूप देने के लिए ड्राईफ्रूट बॉक्स की भी खूब मांग रही। 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते बाजार में पटाखों की बिक्री काफी कम हुई थी, लेकिन इस साल बाजार में ग्राहकी फिर लौट आई। शहर के थोक पटाखा विक्रेताओं के अनुसार इस साल नागपुर में लगभग 25 करोड़ रुपए के पटाखों का कारोबार हुआ है। यहां से दूसरे राज्यों के व्यापारी भी बिक्री के लिए पटाखे खरीद कर ले जाते हैं।
उपहार देने का हाईटेक तरीका
दीपावली में ड्राईफ्रूट्स की भी बिक्री काफी अच्छी रही है। ड्राईफ्रूट विक्रेता अतुल कोटेचा ने बताया कि कोरोनाकाल के बाद उपहार स्वरूप ड्राईफ्रूट बॉक्स देने का चलन काफी बढ़ा है। अब उपहार देने का तरीका भी हाईटेक हो गया है। पिछले 7-8 वर्ष में गिफ्ट पैक में ड्राईफ्रूट्स को उपहार में देने का चलन बढ़ा है। उन्होंने बताया कि मिठाइयां अधिक दिन तक नहीं टिकतीं, लेकिन ड्राईफ्रूट्स को 8-9 महीने तक रखा जा सकता है।
Created On :   6 Nov 2021 2:26 PM IST