भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेन का पहला लुक जारी प्रधानमंत्री की "मेक इन इंडिया" नीति के अनुरूप दुर्गा शंकर मिश्रसमूची गाड़ियों का निर्माण गुजरात के प्लांट में होगा
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेन का पहला लुक जारी प्रधानमंत्री की "मेक इन इंडिया" नीति के अनुरूपः दुर्गा शंकर मिश्र समूची गाड़ियों का निर्माण गुजरात के प्लांट में होगा धारणीय (सस्टेनेबल) एवं ऊर्जा सक्षम (एनर्जी एफिशियेंट) ग्रीन ट्रेन डिजाइन दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोरा प्राथमिकता कॉरिडोर दिल्ली से मेरठ तक के यात्रा समय को घटाकर एक तिहाई करेगा। आवास एवं शहरी मामलों (एमओएचयूए) के सचिव एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के अध्यक्ष श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री की "आत्मनिर्भर भारत" परिकल्पना के पांच स्तंभों में से एक है -अवसंरचना और यह बहुत गर्व की बात है कि आरआरटीएस के लिए तेज़गति और उच्च आवृत्ति वाली यात्री ट्रेनों का निर्माण पूरी तरह सरकार की "मेक इन इंडिया" नीति के अंतर्गत किया जाएगा। भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेनों का पहला लुक जारी करते हुए एमओएचयूए के सचिव ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल, ऊर्जा सक्षम ट्रेनों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के भीतर और बाहर के इलाकों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। इससे आर्थिक प्रगति की रफ्तार तेज़ होगी, आर्थिक गतिविधियों के अवसर बढ़ेंगे और साथ साथ वायु प्रदूषण, कार्बन फुटप्रिंट, भीड़भाड़ और दुर्घटनाओं में कमी आएगी। इस अवसर पर एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह , एनसीआरटीसी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सभी सदस्य और एमओएचयूए, एनसीआरटीसी और बम्बार्डियर इंडिया के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। स्टेट ऑफ दि आर्ट आरआरटीएस ट्रेनें भारत की पहली ऐसी ट्रेनें होंगी जो 180 किलोमीटर प्रति घंटे की डिजाइन गति से चलेंगी। इनकी बाहरी बॉडी चमकदार स्टेनलैस स्टील की होगी ,ये एयरोडायनैमिक आरआरटीएस ट्रेनें वज़न में बहुत हल्की और पूरी तरह वातानुकूलित होंगी। हर डिब्बे में छह ऑटोमैटिक प्लग इन टाइप के चौड़े दरवाज़े होंगे जिनमें से तीन तीन दरवाज़े दोनों तरफ होंगे। (बिजनैस क्लास के डिब्बों में दोनों तरफ दो दो दरवाज़े यानी कुल चार दरवाज़े होंगे) इससे यात्रियों को चढ़ने उतरने में आसानी होगी। इन डिब्बों में आड़ी दो गुना दो सीटें होंगी और पांव फैलाने के लिए भी पर्याप्त जगह होगी, चौड़ा गलियारा होगा और उसमें खड़े होकर यात्रा करने वाले यात्रियों के पकड़ने के लिए हैंडल और खंभे होंगे ताकि वे आराम से अपनी यात्रा कर सकें। इसके अलावा ऊपर की तरफ सामान रखने के लिए रैक होगा, मोबाइल और लैपटाप चार्ज करने के लिए सॉकेट होंगे और अन्य सुविधाओं के साथ साथ वाई फाई की सुविधा भी होगी। नई दिल्ली स्थित लोटस टेंपल धारणीयता का एक अच्छा उदाहरण है जिसके डिज़ाइन के कारण उसमें हवा और रोशनी की प्राकृतिक रूप से आवाजाही बहुत अच्छे से होती है। इसी को आधार बनाकर आरआरटीएस ट्रेनों के डिब्बों में रोशनी और तापमान नियंत्रण प्रणाली लगाई जाएगी ताकि कम ऊर्जा की खपत कर यात्रियों को एक गुणवत्तापूर्ण यात्रा का अनुभव दिलाया जा सके। सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस आरआरटीएस ट्रेनों में नए युग की प्रौद्योगिकी और भारत की समृद्ध धरोहर का कुशल मिश्रण होगा। इस परियोजना के लाभ बताते हुए एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक श्री विनय कुमार सिंह ने बताया, "भारत की इन पहली आरआरटीएस ट्रेनों का डिज़ाइन नए भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने की परिकल्पना के साथ किया गया है। ये आरआरटीएस ट्रेनें ऊर्जा की बचत करने वाली होंगी और खड़े रहने के समय 30 प्रतिशत ऊर्जा पैदा करेंगी। एनसीआरटीसी ने निर्माता को संपूर्ण दीर्घकालिक व्यापक रखरखाव का जिम्मा दिया है ताकि इसके जीवन काल की पूरी अवधि में इसका लाभ उठाया जा सके। मुझे विश्वास है कि आरआरटीएस एनसीआर के निवासियों के लिए परिवहन अवलंब और परिवहन क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा तथा क्षेत्र के समग्र विकास का पायदान बनेगा।" इसके प्रोटोटाइप का 2022 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा और व्यापक परीक्षणों से गुज़रने के बाद जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। एनटीआरटीसी छह छह डिब्बों वाली 30 जोड़ी ट्रेनों की खरीद करेगा और उन्हें इस समूचे कॉरिडोर पर चलाया जाएगा तथा 10 जोड़ी ट्रेनें मेरठ के भीतर स्थानीय आवागमन के लिए चलाई जाएंगी। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर आरआरटीएस के लिए डिब्बों का निर्माण बंबार्डियर के गुजरात के सेवली स्थित प्लांट में किया जाएगा । दिल्ली -गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पहले चरण में बनाए जाने वाले प्राथमिकता वाले तीन आऱआऱटीएस कॉरिडोरों में से एक है। 82 किलोमीटर लंबा यह द
Created On :   26 Sept 2020 1:42 PM IST