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शहर के फ्लाइट लेफ्टिनेंट अहमद फराज अंसारी फाइटर प्लेन सुखोई 30 से रखते हैं दुश्मन पर निगरानी
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। बचपन में खिलौने वाला हैलीकॉप्टर उड़ाने का शौक और अगर बिगड़ जाए, तो खुद अपने ही हाथों से ठीक कर फिर उड़ाने लग जाना। किसे पता था कि ये हाथ एक दिन इंडियन एयरफोर्स के फाइटर प्लेन सुखोई एसयू 30 को उड़ाएंगे। हम बात कर रहे हैं कि शहर के फ्लाइट लेफ्टिनेंट अहमद फराज अंसारी की, जो वर्तमान में कॉम्बेट एयर पेट्रोलिंग टीम का हिस्सा हैं और फाइटर प्लेन सुखाई 30 से बार्डर की सुरक्षा कर रहे हैं।
बीएसएफ जमीन पर बार्डर की सुरक्षा करती है, तो हम हवा में
सिविल लाइन जैक्सन रोड में स्थित घर में उनकी फैमली रहती है। पुलवामा अटैक बाद हुई एयर स्ट्राइक और उसके बाद बने माहौल ने इस परिवार का सुकुन दूर तो किया, लेकिन इंडियन आर्मी की जांबाजी पर भरोसे ने सारी शंकाएं दूर कर दीं। जोधपुर में तैनात फ्लाइट लेफ्टिनेंट अहमद ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि जैसे बीएसएफ जमीन पर बार्डर की सुरक्षा करती है, वही काम हम हवा में करते हैं। कोई अननोन फ्लाइट हमारी सरहद में न आ जाए, यह सुनिश्चित करना हमारा काम है। आप आर्मी पर भरोसा रखें और सोशल मीडिया पर चल रही जंग से दूरी बनाएं।
आर्मी नौकरी नहीं सर्विस
फ्लाइट लेफ्टिनेंट अहमद कहते हैं कि मैं बचपन से केंट एरिया में बड़ा हुआ हूं। आर्मी के प्रति लगाव यहीं पैदा हुआ। स्कूल के दौरान दोस्त अंकित चंसोरिया के एनडीए के बारे में बताया, उसके बाद प्रिपरेशन स्टार्ट की। 12वीं की पढ़ाई पूरी होने से पहले ही एग्जाम क्वालीफाई हो गया। पढ़ाई पूरी हुई और फिर एयरफोर्स को चुना। 4 साल ट्रेनिंग हुई और फिर वायुसेना का हिस्सा बन गया। युवाओं से यही कहूंगा, आर्मी नौकरी नहीं है, सर्विस है। जिंदगी जीने का तरीका है। अगर जज्बा है तो जरूर आएं।
एयर स्ट्राइक के वक्त नहीं हुई बातचीत
एयर स्ट्राइक पर पिता डॉ. नसीम अंसारी का कहना है कि सेना ने जो किया ठीक किया। विंग कमांडर अभिनंदन देश वापस आए, यह सबसे बड़ी बात है। हमारी सेना की ट्रेनिंग कितनी शानदार है, उन्होंने दिखाया। भाई डॉ. आतिफ अंसारी कहते हैं कि हमें सेना और हमारे प्राइम मिनिस्टर पर भरोसा रखना होगा। हम तरह से सक्षम हैं। वहीं मां श्रीमती शकीला रजिया अंसारी कहती हैं मां होने के नाते मैं तो यही चाहती हूं कि कभी लड़ाई न हो। अल्लाह ताला सबके दिलों की पिघला दे, सारे मामले सुलझा दे, अमन चैन हो। एयर स्ट्राइक के वक्त 1-2 दिन अहमद से बात नहीं हुई और फिर जब बात हुई सिर्फ यही कहा कि जो न्यूज में चल रहा बस वही सब है, बाकी सब ठीक है।
सख्त डिसीप्लिन, मन में सवाल था ट्रेनिंग में भेजें या नहीं
मां श्रीमती शकीला ने एक वाकया साझा करते हुए कहा कि सेना में डिसीप्लिन सबसे उपर है, यह बात हम जानते थे। अहमद को जब ट्रेनिंग में जाना था, तो मन सवाल था भेजें या नहीं। उसने यही कहा कि मम्मी 18 साल आपके डिसीप्लिन में रहा, तो ये 4 साल तो यूं ही निकल जाएंगे। 2012 में पासिंग आउट परेड के बाद पहली पोस्टिंग हैदराबाद में हुई, उसके बाद कर्नाटक और अब जोधपुर में पोस्टिंग है।
Created On :   4 March 2019 8:59 PM IST