- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- टीकमगढ़
- /
- बुंदेलखंड से देशभर में जाएगा...
बुंदेलखंड से देशभर में जाएगा पर्यावरण के अनुकूल भवन निर्माण में उपयोगी फ्लाई ऐश
अच्छी खबर - ऐशटेक ने एनसीआर से किया संपर्क, ललितपुर-खजुराहो रेलखंड में यातायात के साथ बढ़ेगी अर्निंग, जिले सहित क्षेत्र का भी होगा विकास
डिजिटल डेस्क टीकमगढ़ । बुंदेलखंड के लिए अच्छी खबर है। उदयपुरा पावर प्लांट की फ्लाई ऐश देशभर में पर्यावरण के अनुकूल का भवन निर्माण में प्रयोग की जाएगी। ललितपुर-खजुराहो रेलखंड स्थित उदयपुरा पावर प्लांट साइडिंग से देश के विभिन्न हिस्सों को फ्लाई ऐश भेजे जाएंगे। मे. ऐशटेक (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड ने इसके लिए उत्तर मध्य रेलवे से संपर्क किया है। इससे यातायात के साथ रेलवे की आय बढ़ेगी। अर्निंग से ललितपुर-खजुराहो रेलखंड में डेवलपमेंट होगा। टीकमगढ़ से लगा उदयपुरा पावर प्लांट अब ललितपुर-खजुराहो रेलखंड के डेवलपमेंट को गति देगा। एनसीआर झांसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार उदयपुरा पावर प्लांट साइडिंग से देश के विभिन्न हिस्सों को फ्लाई ऐश भेजने के लिए मे. ऐशटेक (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड ने उत्तर मध्य रेलवे से संपर्क किया है। सबकुछ योजना के मुताबिक रहा तो टीकमगढ़ और ललितपुर के मध्य स्थित उदयपुरा रेलवे स्टेशन से फ्लाई ऐश देश के अलग-अलग प्रांतों में भेजा जाएगा। एनसीआर झांसी पीआरओ मनोज कुमार सिंह ने बताया कि उदयपुरा पावर प्लांंट साइडिंग से फ्लाई ऐश का परिवहन रेलवे के लिए अतिरिक्त यातायात लाएगा। इससे रेलवे की अर्निंग बढ़ेगी। अर्निंग बढऩे से रेलखंड का डेवलपमेंट होगा। लोडिंग-अनलोडिंग बढऩे से क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने बताया कि बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट्स (बीडीयू) के प्रयासों से अक्टूबर में कई नए फ्रेट ट्रैफिक प्राप्त किए गए हैं। झांसी डिवीजन में भी बीडीयू के प्रयासों में तेजी आई है।
पर्यावरण संरक्षण और लागत कम करता है फ्लाई ऐश
फ्लाई ऐश एक बारीक पाउडर है। जो पावर प्लांट में कोयले के जलने से उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है। इसमें भारी धातु, पीएम 2.5 और ब्लैक कार्बन होते हैं। उदयपुरा पावर प्लांट से फ्लाई ऐश का परिवहन ललितपुर-खजुराहो रेलखंड में यातायात और रेलवे की अर्निंग बढ़ाएगा। इसके साथ ही देशभर में पर्यावरण के अनुकूल भवन निर्माण में प्रयोग होगा। मिट्टी का खनन रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए फ्लाई ऐश से बनीं ईंटें इस्तेमाल में लाई जाती हैं। इंजीनियरों की मानें तो फ्लाई ऐश ईंट के प्रयोग से लागत में 30 प्रतिशत की बचत होती है। इसके निर्माण में प्रदूषण नहीं होता है। मजबूती के मामले में भी यह लाल ईंट की अपेक्षा तीन गुना अधिक सशक्त होता है। चिमनी के ईंट की अपेक्षा इस ईंट के प्रयोग से सरकार के खजाने पर योजनाओं को लागू करने में लागत कम आती है। फ्लाई ऐश ईंट से मकान बनाने में पानी का उपयोग कम होता है। ईंट को जोडऩे में सीमेंट-बालू की खपत कम होती है और भवन निर्माण का खर्च कम होता है।
Created On :   16 Oct 2020 5:50 PM IST