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क्षतिपूरक वनीकरण हेतु वन विभाग को मिलेगा लैण्ड बैंक
डिजिटल डेस्क, भोपाल। राज्य के वन विभाग को क्षतिपूरक वनीकरण यानि कम्पलसरी एफोरेस्टेरेशन हेतु लैंड बैंक मिलेगा। प्रदेश में उद्योग जल्दी लगें, इसके लिये राज्य सरकार ने उद्योगों के लिये लैंड बैंक बना रखा है तथा इसी तरह उद्योग आदि परियोजनाओं हेतु वन भूमि डायवर्ट कर राजस्व विभाग की खाली भूमि पर क्षतिपूरक वनीकरण करने के लिये भूमि की जरुरत होती है। इसके लिये लैंड बैंक बनाया जाएगा।
दरअसल भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले इन्स्पेक्टर जनरल आफ फारेस्ट ने मप्र सरकार से कहा है कि वह राजस्व विभाग की ऐसी भूमि जिस पर क्षतिपूरक वनीकरण किया जा सके, के लिये लैंड बैंक बनाये। यह लैंड बैंक इसलिये जरुरी होता है क्योंकि वन कानूनों के अंतर्गत वन विभाग की जितनी भूमि को उद्योग आदि परियोजनाओं के लिये डायवर्ट किया जाता है उतनी भूमि पर जोकि राजस्व विभाग की होती है, पर क्षतिपूरक वनीकरण किया जाये। जब वन भूमि पर परियोजना स्वीकृत होती है तब क्षतिपूरक वनीकरीण हेतु तत्काल भूमि नहीं मिल पाती है और उसे राजस्व विभाग से लेने के लिये लम्बी-चौड़ी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है जिसमें काफी विलम्ब होता है। इसलिये केंद्र सरकार ने ऐसा लैंड बैंक पहले से ही बनाकर तैयार रखने का आग्रह किया है।
केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि लैंड बैंक के लिये राजस्व विभाग से भूमि लेकर वन विभाग में हस्तांतरित की जाये तथा इस लैंड बैंक का नियमित प्रबंधन एवं नियंत्रण वन विभाग द्वारा ही किया जाये। ज्ञातव्य है कि वन विभाग की भूमि परियोजना हेतु लेने पर संबंधित निर्माण एजेन्सी को वन विभाग के कायदों के अनुसार निर्धारित धनराशि देना होता है तथा इस धनराशि का उपयोग वन विभाग राजस्व विभाग से मिली भूमि पर क्षतिपूरक वनीकरण हेतु करता है। नियमानुसार राजस्व विभाग से मिली ऐसी भूमि पर प्रति हैक्टेयर एक हजार पौधों का रोपण करना होता है।
इनका कहना है :
‘‘भारत सरकार के आग्रह पर क्षतिपूरक वनीकरण हेतु लैंड बैंक बनाने हेतु राज्य शासन ने सभी जिला कलेक्टरों को राजस्व भूमि चिन्हित करने के निर्देश दिये हैं। सभी जिलों से यह जानकारी कम्पाईल की जा रही है। जिलों से उपलब्ध राजस्व भूमि की जानकारी आने के बाद परीक्षण किया जाएगा कि यह भूमि वनीकरण हेतु उपयुक्त है या नहीं तथा ऐसी भूमि पर कोई अतिक्रमण तो नहीं है। यह लैंड बैंक वन विभाग को हस्तांतरित होगा तथा इसे नोटिफाई किया जाएगा और यह वन विभाग की भूमि हो जाएगी। कई वर्ष पूर्व झाबुआ और कटनी में ऐसा लैंड बैंक बनाया गया था, जिसका उपयोग हो चुका है।’’
-सुनील अग्रवाल, अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, भू अभिलेख, मप्र
Created On :   21 Aug 2018 3:48 PM IST