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प्रदेश में वनाधिकार दावों का निराकरण 15 सितम्बर के पूर्व हो
डिजिटल डेस्क, सिंगरौली। आदिम जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि प्रदेश में पूर्व में निरस्त वनाधिकार दावों का निराकरण अनिवार्य रूप से 15 सितम्बर के पूर्व किया जाये। उन्होंने कहा कि जो आदिवासी लम्बे समय से वन भूमि में काबिज हैं उनके वनभूमि के पट्टे नियम के अनुसार मान्य किये जाये। आदिम जाति कल्याण मंत्री आज मंत्रालय में वीडियो कांन्फ्रेंस के माध्यम से इंदौर और उज्जैन संभाग के विभागीय अधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रही थी। बैठक में छात्रवृत्ति, आवासीय सहायता और छात्रावासों में प्रवेश की स्थिति की समीक्षा भी की गई। आदिम जाति कल्याण मंत्री ने कहा कि प्रदेश में वन अधिकार अधिनियम में पूर्व में निरस्त दावों की पुन: समीक्षा करने का निर्णय लिया गया है। इस काम को राज्य सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है। उन्होंने कहा कि निरस्त दावों का ग्राम, उपखंड और जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा निराकरण किया जा रहा है। उन्होंने जिला अधिकारियों को वन एवं राजस्व अधिकारियों के साथ मौका मुआयना किये जाने के निर्देश भी दिये। इंदौर और उज्जैन संभाग में पूर्व में निरस्त दावों में से अब तक 3600 दावें परीक्षण के बाद मान्य किये जा चुके है। प्रमुख सचिव श्रीमती पल्लवी जैन गोविल ने बताया कि विभाग ने प्रत्येक निरस्त दावें के पुन: समीक्षा के लिये 50 रुपये की राशि मंजूर की है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि पूर्व में निरस्त दावों का डिजिटलाईजेशन अनिवार्य रूप से किया जाये।
Created On :   26 Aug 2020 3:52 PM IST