फर्जीवाड़ा : एमडी की फर्जी डिग्री बनवाने वाले डाक्टरों का लाईसेंस हुआ रद्द

Forgery: license of canceled of those doctors make fake degree
फर्जीवाड़ा : एमडी की फर्जी डिग्री बनवाने वाले डाक्टरों का लाईसेंस हुआ रद्द
फर्जीवाड़ा : एमडी की फर्जी डिग्री बनवाने वाले डाक्टरों का लाईसेंस हुआ रद्द

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में एमबीबीएस के बाद विशेषज्ञता की फर्जी डिग्री या डिप्लोमा के सहारे लोगों का उपचार करने वाले 14 डॉक्टरों के नाम फिर सामने आए हैं। महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमएमसी)ने हाल ही इन 14 डॉक्टरों की सूची जारी कर उनके लाईसेंस रद्द कर दिए हैं। राज्य में इस गोरखधंधे की जड़े काफी गहरी हैं। एमएमसी अब तक कुल 133 डॉक्टरों की विशेषज्ञा संबधी पीजी की डिग्री को रद्द कर चुका है। सूत्रों के अनुसार इनमें से नागपुर के चार डॉक्टरों के नाम भी शामिल हैं। दोषी पाए गए डॉक्टरों की विशेषज्ञता की डिग्री रद्द कर दी गई है और प्रैक्टिस करने पर भी एक साल का रोक लगाया गया है।

कैसे आई गड़बड़ी सामने

एमएमसी के उपाध्यक्ष डॉ विन्की रुघवानी के अनुसार वर्ष 2014 से 2016 के बीच पीजी की डिग्री लेने वाले डॉक्टरों की डिग्री की जांच के दौरान एमएमसी को गड़बड़ी का अंदेशा हुआ था। मुंबई स्थित कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जरी से पीजी करने वाले कुछ डॉक्टरों के नाम कॉलेज के पास अभ्यर्थियों की सूची में दर्ज नहीं थे। जांच से पता चला कि कुछ डॉक्टर परीक्षा पास नहीं करने के बावजूद डिग्री जुटाने में सफल रहे। कई डाॅक्टर एमएमसी के सामने कबूल कर चुके हैं कि उन्होंने तीन से चार लाख रुपए खर्चकर डिग्री जुटाई थी। अब तक पाई गई गड़बड़ियों में से अधिकतर मामले संबंधित कॉलेज से जुड़े हैं।

अधिकतर फर्जी डिग्री प्रसुति व बाल रोग से संबंधित

हाल ही सामने आए 14 मामलों में अधिकतर डिग्री प्रसुति व बाल रोग विशेषज्ञ के हैं। इसके साथ ही मेडिसीन रेडियोलॉजी, ट्यूबरोक्लोसिस डीजिज के डिप्लोमा भी शामिल हैं।

एक साल की रोक

पिछले वर्ष सामने आए मामलों में 18 डाॅक्टरों पर एक वर्ष तक प्रैक्टिस नहीं करने की रोक को एक वर्ष पूरा होने के बाद हटा लिया गया है। हालांकि ऐसे डॉक्टर जो एमएमसी के सामने हाजिर नहीं हुए, उन पर रोक की अवधि पांच वर्ष कर दी गई है। एमएमसी के सूत्रों ने माना कि फर्जी डिग्री वाले डॉक्टरों पर रोक लगाए जाने के बावजूद चाेरी छिपे प्रैक्टिस पर नियंत्रण का फिलहाल कोई तरीका नहीं है, हालांकि ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ एमएमसी पुलिस से शिकायत कर चुका है।

उपाध्यक्ष महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल डॉ विन्की रुघवानी के मुताबिक महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के गाइड लाइंस के अनुसार प्रत्येक डॉक्टर को अपने केबिन में अपनी असली डिग्री को प्रदर्शित करना जरूरी है। किसी भी डॉक्टर से उपचार करवाने के दौरान मरीज व उनके परिजनों काे डिग्री देखकर आश्वस्त हो लेना चाहिए।
 

Created On :   7 Jan 2020 8:20 PM IST

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