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फर्जीवाड़ा: छात्रवृत्ति के घोटाले की छह वर्ष बाद फिर से खुली फाइल, शिक्षा विभाग में हड़कंप
डिजिटल डेस्क कटनी। ढीमरखेड़ा संकुल में बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले की दफन फाइल के पन्नों को खोले जाने पर शिक्षा विभाग में हड़कंप की स्थिति निर्मित है। दरअसल 13 लाख रुपए के फर्जीवाड़े की पटकथा छह वर्ष पहले लिखते हुए उसे अंजाम तक पहुंचाने का कारनामा तत्कालीन अफसरों ने कर दिखाया था। शिकायत हुई तो गड़बड़ी सामने आई। इसके बावजूद दोषियों के ऊपर विभागीय अधिकारी कोई जिम्मेदारी तय नहीं कर सके। जिला पंचायत सीईओ के पास जब यह शिकायत पहुंची तो फिर से जांच करते हुए दोषियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश शिक्षा विभाग को दिए हैं। इस संबंध में अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने जिला शिक्षा अधिकारी को कहा है कि उक्त मामले की जांच कराई जाए और इस मामले में जो भी जिम्मेदार मिलें। उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही कराए जाए।
पूरे मामले पर एक नजर-
आदिम जाति विभाग ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए वर्ष 2013-14 में प्रत्येक संकुलों को राशि दी थी। छात्रवृत्ति के लिए संकुलों में अलग खाता खोला जाना था और यह राशि छात्रवृत्ति के खातों में ही जमा कराने के निर्देश रहे। इसके बावजूद ढीमरखेड़ा संकुल में इस राशि को उसी सामान्य खाते में जमा करा दिया गया। परदे के पीछे संकुल प्राचार्य और लेखापाल के साथ स्कूल के लिपिक भी इसमें शामिल रहे। संकुल प्राचार्य का यहां से स्थानांतरण हुआ और नए प्राचार्य ने जब कुर्सी संभाली, तब यह गड़बड़ी उन्होंने पकड़ी। गड़बड़ी सामने आने के बाद तो शिक्षा विभाग के हाथ-पैर फूल गए। आदिम जाति विभाग भी पहले तो चुप्प रहा, फिर पत्राचार का सहारा लिया।
खाते में आधी-अधूरी राशि-
मामला साफ होने पर संलग्न अधिकारियों और कर्मचारियों के ऊपर सीधे कार्यवाही करने की बजाए, तत्कालीन अधिकारियों ने चालान से राशि जमा कराने का रास्ता अख्तियार कराया। इसका असर कम ही हुआ। 13 लाख रुपए में तो करीब 6 लाख रुपए जमा कराए गए। लेकिन 7 से 8 लाख रुपए की राशि का पता नहीं चला। जिनके ऊपर जिम्मेदारी तय की गई थी। उनमें से कई लोगों का स्थानांतरण यहां से दूसरी जगह के लिए हो गया। इसके साथ कुछ लोग रिटायर्ड भी हो गए। जिसके चलते शत-प्रतिशत राशि की वसूली नहीं हो सकी।
हक से वंचित हैं छात्र-
आदिम जाति विभाग और शिक्षा विभाग के बीच जारी पत्राचार का खामियाजा उन सैकड़ों विद्यार्थियों को उठाना पड़ा। जिनके कल्याण के लिए सरकार ने किसी तरह की कंजूसी नहीं की थी। जब तक जांच पूरी हो पाती, तब तक कई छात्र दूसरे स्कूलों में आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश ले लिए थे। यहां तक की जो छात्र इस संकुल के स्कूलों में अध्ययनरत रहे भी उनके खातों में भी समय पर राशि नहीं पहुंची। बाद में चालान के माध्यम से जो राशि आई। उसे शासन के खातों में अधिकारियों ने जमा करा दिया।
स्टाफ ने कर ली थी बंदरबांट-
स्टाफ के ऊपर भी राशि का बंदरबांट किए जाने के आरोप शिकायकर्ता रामप्रसाद लढिय़ा ने लगाए हैं। उच्चाधिकारियों को सौंपे शिकायत में कहा गया है कि स्कूल के करीब 13 स्टाफ ऐसे हैं। जिनके खातों में चेक के माध्यम से राशि जमा कराई गई है। यदि इसकी विधिवत रुप से जांच कराई जाए तो घोटाले की वास्तविक कहानी सामने आ सकती है।
इनका कहना है-्र
जिला पंचायत से जांच के आदेश मिले हुए हैं। मामले की जांच फिर से कराते हुए जांच प्रतिवेदन उच्चाधिकारियों को दिया जाएगा।
बी.बी.दुबे, डीईओ
Created On :   21 Nov 2020 2:45 PM IST