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हाईकोर्ट ने कहा- निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने पश्चिम बंगाल की तर्ज पर आयोग गठित करे सरकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार निजी अस्पतालों की मनमानी वसूली पर लगाम लगाने के लिए सेवानिवृत्ति न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित करने पर विचार करे। इस आयोग में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी शामिल किया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल में भी निजी अस्पतालों से जुड़े मामले देखने के लिए इस तरह की व्यवस्था बनाई गई है। इसलिए राज्य सरकार भी पश्चिम बंगाल की तर्ज़ पर आयोग के गठन के बारे में विचार करे। क्योंकि निजी अस्पतालों पर शिकंजा कसने के लिए सिर्फ प्रशासकीय अधिकारियों के प्रयास पर्याप्त नहीं दिख रहे है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने यह सुझाव पेशे से वकील अभिजीत मागड़े की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में दावा किया गया है कि निजी अस्पताल पीपीई किट, मास्क, ग्लब्स व दूसरी चीजों के नाम पर मरीजों से बिल में मनमानी रकम वसूल रहे हैं। मरीजों को उपचार के मनमाने बिल दिए जा रहे हैं। सरकार इस मामले में अस्पतालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जबकि मनमाना बिल वसूली पर कानून में अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने का भी प्रावधान है।
सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी ने कहा कि सरकार ने अस्पतालों की मनमानी पर शिकंजा कसने के लिए ठोस कदम उठाएं हैं। सरकार ने बेड के शुल्क की सूची जारी की है। पीपीई किट और दूसरी चीजों की भी दर सुनिश्चित की है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा समय में कोरोना के प्रकोप के चलते अस्पताल की सेवाओं की जरूरत है इसलिए उनका लाइसेंस रद्द करना ठीक नहीं होगा। इसलिए जिस मरीज के ज्यादा बिल की शिकायत सही पायी जाती है। उसे उचित मुआवजा दिया जाए।
Created On :   1 Oct 2020 5:56 PM IST