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आगे-पीछे करो और हो जाओ पास, यहां आसानी से मिल जाता है फोर व्हीलर लाइसेंस
डिजिटल डेस्क, नागपुर। फोर व्हीलर का लाइसेंस मिलना यहां कोई बड़ी बात नहीं है। वाहन को आगे पीछे करके आसानी से लाइसेंस लिया जा रहा है। देखा जाए तो कोई भी व्हीकल लाइसेंस लेने के लिए आवेदनकर्ताओं को पूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। दस्तावेज, परीक्षा और ट्रायल देने के बाद ही लाइसेंस मिलता है। ट्रायल से कई बार लोग बचने की काेशिश करते हैं, क्योंकि ट्रायल में सभी बाधाओं को पार करने पर ही पास किया जाता है। इसके लिए सही ट्रायल ट्रैक तैयार कर ट्रायल लेने की जिम्मेदारी आरटीओ की रहती है, लेकिन नागपुर के पूर्व आरटीओ में ट्रायल के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जा रही है। यहां पर फोर व्हीलर के ट्रायल के लिए ट्रैक ही नहीं है। ट्रायल में वाहन को आगे पीछे करने पर ही पास कर दिया जाता है।
यह है प्रक्रिया
टू व्हीलर और फोर व्हीलर लाइसेंस के लिए आवेदनकर्ता को अपनी निर्धारित उम्र के बाद आवेदन करने, ऑनलाइन परीक्षा देने और ट्रायल के बाद पास होने पर ही लाइसेंस दिया जाता है। यह सभी एक नियोजित क्रम में हाेता है। इसी दृष्टिकोण से परीक्षा ली जाती है और ट्रायल ट्रैक तैयार किया जाता है, जिस पर ट्रायल देने के बाद ही चालक को पास या फेल किया जाता है। यहां पर वाहन नियंत्रण नियमों का पालन और वाहन चालक की समझ का भी ट्रायल होता है। इसके लिए आमतौर पर निर्धारित आदर्श ट्रायल ट्रैक बनाया जाता है, जो 8 के आकार में होता है। साथ ही ट्रैक के बीच सीधी चढ़ाई, उतार और बीच में स्पीड ब्रेकर भी रहते हैं। यह एक आदर्श ट्रैक होता है। इन सभी बाधाओं को पास करने पर ही लाइसेंस दिया जाता है, लेकिन पूर्व आरटीओ में ट्रायल के नाम पर केवल औपचारिकता पूरी जा रही है। यहां ट्रैक के नाम पर केवल वाहन को एक आयताकार ट्रैक में ले जाकर पीछे लाना होता है। वाहन को आगे-पीछे करने के इस खेल को ट्रायल बता कर ही लाइसेंस दिए जा रहे हैं।
नहीं है पर्याप्त जगह
इस विषय पर अधिकारियों से बात करने पर उनका तर्क यही होता है कि, ट्रायल के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे में अप्रशिक्षित आवेदनकर्ताओं को लाइसेंस आसानी से मिल जाते हैं। यदि मार्ग पर उतार-चढ़ाव, स्पीड ब्रेकर, मोड़ या चालक की समझ का उपयोग करने की बारी आती है, तो वाहन चालक अधूरे प्रशिक्षण और अधूरी जानकारी के कारण बड़ी घटना को अंजाम दे देता है। इसमें केवल वाहन चालक को ही क्षति नहीं पहुंचती, अन्य वाहन चालकों और सरकारी संपत्ति को भी क्षति पहुंचती है।
Created On :   13 Nov 2019 12:01 PM IST