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दैनिक भास्कर हिंदी: MODI@4: पीएम मोदी बोले, ये जनपथ नहीं जनमत की सरकार है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने चार साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के कटक रैली में अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। मनमोहन सरकार में सोनिया गांधी के दखल पर इशारों में तंज कसते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हम जनपथ से नहीं बल्कि जनमत से सरकार चलाते हैं।पीएम ने अपना भाषण भगवान जगन्नाथ की जय बोलते हुए शुरू किया। उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ गरीबों के देवता हैं और गरीबों के भगवान की धरती पर आकर वह धन्य हो गए हैं। उन्होंने कहा कि कटक की धरती पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है। वहीं पीएम ने कहा, देश में कन्फ्यूजन नहीं कमिटमेंट की सरकार है। देश कालेधन से जनधन की तरफ जा रहा है। कटक के बालीयात्रा मैदान पर पीएम ने इस रैली को संबोधित किया।
पीएम मोदी के भाषण की मुख्य बातें:
- इन चार वर्षों में देश के 125 करोड़ लोगों में ये भरोसा पैदा किया है कि हालत, स्थितियां बदल सकती है। हमारा हिंदुस्तान बदल सकता है : पीएम
- आज देश निराशा से आशा की ओर, काले धन से जन धन की ओर, कुशासन से सुशासन की ओर बढ़ रहा है: पीएम
- ये वो NDA सरकार है जिसके लिए गरीबों का पसीना गंगा, यमुना कावेरी, महानदी के जल की तरह पवित्र है : पीएम
- हमारी सरकार में बैठे लोग गरीब के दुखों को जानते हैं, उसे जीते आए हैं, और इसलिए गरीब कल्याण हमारी सबसे बड़ी प्रतिबद्धता है: पीएम
- आज देश भर में बीजेपी के 1,500 से अधिक चुने हुए विधायक हैं। पिछले 4 वर्षों में भाजपा सही मायने में पंचायत से पार्लियामेंट तक की एक विशाल पार्टी बन चुकी है : पीएम
- हमे जनता का जो आशीर्वाद मिल रहा है वो केवल हमारे दल या किसी नेता की जीत नहीं है बल्कि जनता के विश्वास और विकास की जीत है : पीएम
- पूर्ण बहुमत वाली सरकार, अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर जिस तरह काम कर रही है, जिस तरह के फैसले ले रही है, साफ नीयत के साथ सही विकास कर रही है, उसने दुनिया में देश की साख को और ऊँचा किया है। न हम कड़े फैसले लेने से डरते हैं, न बड़े फैसले लेने: पीएम
- जब देश में कंफ्यूजन नहीं, कमिटमेंट वाली सरकार चलती है, तब ही Surgical Strike जैसे फैसले लेने की ताक़त रखते है : पीएम
- जब व्यवस्था में कंफ्यूजन नहीं, कमिटमेंट वाली सरकार चलती है, पारदर्शिता पर जोर दिया जाता है, तब जनधन बैंक खाते, आधार और मोबाइल फोन की त्रिशक्ति से 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बचाए जाते हैं: पीएम
- जब देश में कंफ्यूजन नहीं, कमिटमेंट वाली सरकार चलती है, तब ही दशकों से अटका हुआ बेनामी संपत्ति कानून लागू होता है, दुश्मन की संपत्ति जब्त करने वाला शत्रु संपत्ति कानून लागू होता है: पीएम
- सत्ता के लिए देश को भ्रमित करने वाले, देश से झूठ बोलने वाले, न कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं और न ही देश को टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाने का काम: पीएम
- कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस लड़ाई का कमिटमेंट लेकर हमारी सरकार चल रही है, उसने किस तरह कट्टर दुश्मनों को भी दोस्त बना दिया है, ये भी देश के सवा सौ करोड़ लोग देख रहे हैं: पीएम
- पांच हज़ार करोड़ के घोटाले के आरोप में जमानत पे चल रहे लोग हो या अलग अलग आरोपों या घोटालों में घिरे हुए लोग आज एकजुट हो रहे है। ये देश को बचाने के लिए नहीं अपने अपने परिवारों को बचाने के लिए इकट्ठे हो रहे है : पीएम
- ये लोग अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए आज एकजुट हो रहे है। ये याद रखना जरूरी है कि जिस एक परिवार ने 48 साल देश पर राज किया, उसने देश की कितनी परवाह की: पीएम
- देश के विकास से ज्यादा अपनी और अपनी पार्टी के विकास के लिए, किसी भी हद तक चले जाने की करतूतें, रिमोट कंट्रोल से संचालित एक प्रधानमंत्री और इन सबसे भी ज्यादा, कैबिनेट और प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर लिए जाने वाले फैसले, मंत्रियों को ई-मेल पर मिलने वाले निर्देश: पीएम
- इन लोगों ने देश की साख को कहाँ से कहाँ पंहुचा दी थी, देश के लोग ये कभी नहीं भूल सकते है। क्या ऐसे भारत के लिए महात्मा गाँधी ने लड़ाई लड़ी थी: पीएम
- बुनियादी जरूरत की जितनी भी चीजें थीं, गरीब के काम आने वाली जितनी चीजें थीं, उसकी जिंदगी से जुड़ी थीं, वो 70 साल में सिर्फ 50 प्रतिशत के आंकड़े पर अटक कर रह गईं थीं। सारी सहूलियत समाज के ज्यादातर ऊपरी तबके को ही प्राप्त हो रही थी: पीएम
- आज जब चार वर्ष बाद मैं आपसे और पूरे देश से बात कर रहा हूं, तब मैं कह सकता हूं कि हमारी सरकार जनपथ से नहीं जनमत से चल रही है: पीएम
- आज देश के संपूर्ण गांवों तक बिजली पहुंच चुकी है। ये देश के लाखों श्रमिकों के 4 वर्षों के अथक परिश्रम का परिणाम है कि आज देश के उन 18 हजार से ज्यादा गांवों में भी बिजली पहुंच चुकी है जो अब भी 18वीं सदी के अंधेरे में जी रहे थे: पीएम
- 2014 तक देश की 39% जनसंख्या स्वच्छता के दायरे में थी, आज ये 80% से ज्यादा हो चुका है। आजादी से लेकर 2014 तक देश में लगभग 6 करोड़ शौचालय थे, लेकिन बीते चार साल में साढ़े 7 करोड़ शौचालय बनाए गए हैं: पीएम
- गैस कनेक्शन का जो दायरा 2014 के पहले सिर्फ 55% था, अब बढ़कर 80% से भी ज्यादा हो गया है। 1 मई 2016 को शुरु होने के बाद से अब तक उज्जवला योजना के तहत 4 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जा चुका है: पीएम
- क्यों कांग्रेस को कभी ये नहीं दिखाई दिया कि गरीब को बैंक के दरवाजे से दुत्कार कर भगाया जा रहा है? क्यों कांग्रेस को कभी ये नहीं दिखाई दिया कि गरीब का भी जीवन है, उसे भी जीवन बीमा, दुर्घटना बीमा की जरूरत है:पीएम
- प्रक्रियाओं को जटिल करने वाले 1400 से ज्यादा पुराने कानून खत्म किए जा चुके हैं। ग्रुप सी और डी की नौकरी में इंटरव्यू लेने की बाध्यता खत्म की जा चुकी है: पीएम
- किसानों पर यूरिया के लिए हफ्तों का इंतजार और लाठीचार्ज का दौर खत्म हो चुका है: पीएम
- गरीब और माध्यम वर्ग के रसोई खर्च को हमारी सरकार ने कम करने का काम किया है : पीएम
- अब देश में नक्सल प्रभावी जिलों की संख्या 126 से घटकर के 90 में आ गयी है। और 2015 में केंद्र सरकार द्वारा रणनीति बनाने के बाद ज्यादा से ज्यादा नक्सली सरेंडर कर मुख्यधारा में आ रहे है : पीएम
- मोदी जब तक राष्ट्र निर्माण के इस महान यज्ञ में पूरी श्रद्धा से अपनी आहूति डालता रहेगा, तब तक आपका हर प्रयास जनता और हमारे समीकरण को और मज़बूत ही करेगा: पीएम
- साफ नीयत और सही विकास के बुलंद नारे के साथ, देश विकासपथ पर इसी ऊर्जा के साथ बढ़ता रहेगा। बात सिर्फ 4 साल की नहीं है, अभी तो लंबा सफर बाकी है: पीएम
गणतंत्र दिवस : स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन में मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में 74वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. डी.एस. राघव निदेशक, स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन उपस्थित थे। गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में डॉ. सत्येंद्र खरे, सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन के प्रिंसिपल, डॉ. नीलम सिंह, सेक्ट कॉलेज ऑफ बीएड की प्रिंसिपल और डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी, स्कोप पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुएl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी.एस.राघव ने झन्डा फंहराया गया तथा विद्यालय के छात्र छात्राओं ने अनुशासन एवं कौशल का परिचय देते हुए आकर्षक परेड की प्रस्तुति दीl विद्यालय के बच्चों द्वारा शारीरिक व्यायाम के महत्व को प्रकट करते हुए मनमोहक पीटी प्रस्तुत की गई l
स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज, बी.एड कॉलेज, स्कोप प्रोफेशनल कॉलेज तथा स्कोप स्कूल के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं देश प्रेम से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दीl कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण उरी हमले पर आधारित नृत्य नाटिका तथा रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को चित्रित करता हुआ नृत्य गीत था। मुख्य अतिथि डॉ डीएस राघव ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाहन ईमानदारी एवं पूर्ण निष्ठा के साथ करते हैं तो यही आज के समय में हमारी सच्ची देश सेवा है। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्राचार्या डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी ने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम की आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने उद्देश्य के प्रति ईमानदार रहेंगे और उसके प्रति पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करेंगेl
वनमाली सृजनपीठ: बाल कलाकारों द्वारा राम भजन की मनमोहक प्रस्तुति
डिजिटल डेस्क, भोपाल। विश्वरंग के अन्तर्गत बाल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने वनमाली सृजनपीठ में रामभजन माला का आयोजन किया गया, जिसमें राम के भजनों की सुन्दर प्रस्तुति बच्चों के द्वारा दी गयी। कार्यक्रम का आरम्भ मालविका राव चतुर्वेदी के भजन- 'श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन' से हुआ। इसी कड़ी में स्वरा वत्स ने राम के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए 'राम-राम दशरथ नन्दन राम' भजन से सबको मन्त्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मोही और जयगी ने 'राम-राम सब नाम जपो', रेखा ने राग ख्याल में छोटे 'ख्याल' और कियारा ने 'राम भजो आराम तजो', निवेदिता सोनी ने 'श्याम का गुणगान करिये ' गाकर माहौल को राममय कर दिया।
कार्यक्रम के अगले चरण में मालविका द्वारा मीराबाई का प्रसिद्ध भजन 'पायो जी मैंने राम रतन धन पायो' और स्वरा ने श्याम कन्हाई गाकर राम के साथ कृष्ण भक्ति से भी परिचय कराया। बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए आईसेक्ट लिमिटेड के निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने 'राम भक्त ले चला राम की निशानी' और अन्य भजन गाकर बच्चों का हौसला बढ़ाया। इसके बाद सभी बच्चों की संगीत गुरु श्यामा ने अपना स्वचरित भजन 'राम नाम सुखदायक' की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे, वनमाली सृजनपीठ भोपाल के अध्यक्ष मुकेश वर्मा, आईसेक्ट लिमिटेड के निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, गेटसेट पेरेंट की निदेशक पल्लवी राव चतुर्वेदी, विश्वरंग की सहनिदेशक डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, नितिन वत्स, इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए की सम्पादक डॉ. विनीता चौबे, प्रभा वर्मा, वनमाली सृजनपीठ की राष्ट्रीय संयोजक ज्योति रघुवंशी, टैगोर विश्वकला केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय सहित बच्चों के अभिभावक और नाना-नानी, दादा-दादी भी उपस्थित रहे।
मनोरंजन: हरेक रीज़नल इंडस्ट्री की प्रतिभाओं को एक सशक्त मंच उपलब्ध कराने की कोशिश में जुटा हुआ है 'क्रिएटिव वाइब': संतोष खेर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। एस. एस. राजामौली की फ़िल्म 'RRR' के मशहूर गाने 'नातू नातू' ने गोल्डन ग्लोब्स जीतकर एक बार फिर से यह साबित कर दिया है क्षेत्रीय सिनेमा भी विश्वभर में अपनी छाप छोड़ने का दमखम रखता है. पिछले साल क्षेत्रीय सिनेमा और ओटीटी ने ऐसे दमदार कंटेट से दर्शकों को रूबरू कराया दर्शकों की उम्मीदें आसमान छूने लगी हैं. सिनेमा को नई ऊंचाई पर ले जानेवालों में कई लोग मशक़्क़त कर रहे हैं और इनमें से एक अहम नाम है प्रोडक्शन हाउस 'क्रिएटिव वाइब' का. उल्लेखनीय है भाषाओं से परे यह प्रोडक्शन हाउस देशभर में मौजूद नायाब तरह के कंटेट की संभावनाओं को खंगाल रहा है और नई-नई प्रतिभाओं को आगे आने का मौका दे रहा है।
'क्रिएटिव वाइब' के संस्थापक संतोष खेर कहते हैं कि लोग ना सिर्फ़ गुणवत्तापूर्ण कंटेट देखना चाहते हैं, बल्कि वे चाहते हैं कि विभिन्न रीजनल इंडस्ट्रीज़ से जुड़े तमाम प्रतिभाशाली लोगों को काम करने के लिए उचित मंच भी उपलब्ध कराया जाए. वे कहते हैं, "हमारे देश में ऐसे प्रतिभाशाली लोगों की कोई कमी नहीं है जो गुमनाम हैं और ऐसे लोगों के बारे में आम दर्शकों को ज़्यादा कुछ पता भी नहीं होता है. हम सृजनकर्ताओं व पेशवर लोगों को आम दर्शकों के सामने लाएंगे जिसके चलते हम दुनियाभर के सिनेमा से मुक़ाबला करने में पूरी तरह से सक्षम साबित होंगे।"
'क्रिएटिव वाइब' के लिए साल 2022 एक उल्लेखनीय साल रहा है. इस दौरान प्रोडक्शन हाउस की ओर से 'अथंग" नामक एक चर्चित मराठी हॉरर वेब सीरीज़ का निर्माण किया गया. प्रोडक्शन हाउस ने 'चंद्रमुखी' नामक भव्य मराठी फ़िल्म बनाकर लोगों को चकित किया. इसके अलावा भी कई उल्लेखनीय कंटेट का निर्माण प्रोडक्शन हाउस की ओर से किया गया है. ऐसे में अब 'क्रिएटिव वाइब' साल 2023 में हिंदी, मराठी और गुजराती भाषा में कंटेट निर्माण में ज़ोर-शोर से जुट गया है. वेब द्वारा उपलब्ध कराये जानेवाले मौकों से अच्छी तरह से परिचित संतोष खेर कहते हैं, 'वेब शोज़ की दुनिया क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट बनानेवाले मेकर्स के लिए एक बड़ी राहत बनकर आई है जिसके चलते विविध तरह के टैलेंट को अपने अद्भुत कार्यों को सामने लाने और अपनी क्षमताओं का भरपूर प्रदर्शन करने का मौका मिल रहा है. हम वेब कंटेट के माध्यम से ही नहीं, बल्कि विभिन्न भाषाओं में बननेवाली फ़िल्मों को भी एक बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचाना चाहते हैं।"
संतोष खेर इस इंडस्ट्री से जुड़े पेशेवर लोगों के साथ काम करने और उन्हें मौका देने में यकीन करते हैं. इसे लेकर वे कहते हैं, "जब कभी हम क्षेत्रीय स्तर की प्रतिभाओं की बात करते हैं तो हम महज़ कलाकारों के बारे में ही सोचते हैं. लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए किसी भी फ़िल्म/कंटेट के निर्माण में बड़े पैमाने पर अन्य लोग भी शामिल होते हैं. इनमें टेक्नीशियनों, कॉस्ट्यूम तैयार करनेवालों, लेखकों से लेकर अन्य तरह के कई और भी विभाग शामिल होते हैं जो किसी भॊ फ़िल्म को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. ग़ौरतलब है कि कैमरा के पीछे काम करनेवालों के नाम मुख्यधारा के सिनेमा द्वारा भी आसानी से भुला दिया जाता है. ऐसे में हमारा प्रोडक्शन हाउस इस स्थिति को बदलने, नये नये नामों को सामने लाने और पर्दे के पीछे काम करनेवाले लोगों को स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है ताकि ऐसे गुमनाम लोगों की भी अपनी एक अलग पहचान बन सके।"
लेकिन क्या प्रोफ़ेशनल लोगों को अपनी-अपनी इंडस्ट्री तक ही सीमित कर दिया जाएगा? इस सवाल पर संतोष खेर कहते हैं, "हमें ऐसी प्रतिभाओं को तैयार करने की ज़रूत है जो विभिन्न तरह की क्षेत्रीय इंडस्ट्रीज़ में काम कर सकें. अगर हम एक इंडस्ट्री से ताल्लुक रखनेवाली प्रतिभाओं को दूसरी इंडस्ट्री में काम करने का मौका मुहैया कराएंगे तभी जाकर हम सही मायनों में पैन इंडिया फ़िल्मों का निर्माण कर पाएंगे. हमने बड़े सुपरस्टार्स के साथ ऐसा होते हुए देखा है मगर ज़रूरत इस बात की है कि सभी भाषाओं की इंडस्ट्री से संबंध रखनेवाले कास्ट और क्रू के अन्य सदस्यों को भी इसी तरह के मौके दिये जाएं।"
प्रतिभाओं को परिष्कृत करने की सोच और पैन इंडिया सिनेमा के निर्माण का आइडिया सिनेमा के भविष्य के लिए अच्छा है, लेकिन अगर अन्य लोग भी सतोष खेर की तरह सोचने लग जाएं तो निश्चित ही वो दिन दूर नहीं है, जब सिनेमा की दुनिया जल्द ही आसमान की नई उंचाइयों को छूने लगेगी।