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स्टॉक बाजार में निवेश के नाम पर 125 करोड़ की धोखाधड़ी, पूर्व मंत्री केदार समेत अन्य हैं आरोपी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. उच्चतम न्यायालय ने होमट्रेड कंपनी से जुड़े सभी मामलों को एक साथ सुनवाई के लिए बॉम्बे प्रधान सत्र न्यायालय में स्थानांतरण करने का आदेश दिया है। करीब 4 राज्यों में 16 से अधिक दर्ज मामलों के आरोपी केतन सेठ ने सभी मामलों को एक ही स्थान पर चलाने के लिए याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी ने 9 सितंबर को आदेश दिया है। होमट्रेड के माध्यम से शहर के नागपुर डिस्ट्रिक्ट सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक से 125 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी से जुड़े मामले का भी समावेश है। इस केस में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता सुनील केदार समेत होमट्रेड के संचालक संजय अग्रवाल का समावेश है।
नहीं लौटाई राशि
होमट्रेड कंपनी के संचालक संजय अग्रवाल, केतन सेठ समेत अन्य ने कई सहकारी बैंक और सरकारी संस्थाओं की करोड़ों की निधि को स्टॉक बाजार में निवेश करने का झांसा दिया था। गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और नई दिल्ली समेत 4 राज्यों के अनेक वित्तीय संस्थाओं और सहकारी बैंकों से करोड़ों की राशि को जमा कर निर्धारित समयावधि में नहीं लौटाया गया है। धोखाधड़ी के गुजरात में 9 केस, नई दिल्ली में 2, पश्चिम बंगाल में 1 समेत महाराष्ट्र के अमरावती, पुणे और नागपुर समेत कुल 16 से अधिक मामलों का समावेश है। नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के तत्कालीन संचालक एवं कांग्रेस के पूर्व मंत्री सुनील केदार भी आरोपियों में शामिल हैं। इन सभी मामलों की सुनवाई में होने वाली परेशानी को देखते हुए आरोपी केतन सेठ ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर एक ही स्थान पर सभी मामलों की सुनवाई करने की मांग की थी। इस आधार पर उच्चतम न्यायालय ने 9 सितंबर को आदेश जारी कर सभी मामलों की सुनवाई बाम्बे प्रधान दीवानी और सत्र न्यायालय मुंबई में स्थानांतरित कर दी है।
सभी आरोपियों को 14 नवंबर से पहले पेशी का आदेश
उच्चतम न्यायालय ने होमट्रेड से जुड़ी धोखाधड़ी के सभी मामलों की सुनवाई मुंबई में प्रधान सत्र न्यायाधीश के समक्ष करने का आदेश दिया है। इस आदेश में 4 राज्यों में लंबित 16 मामलों के दस्तावेजों को 22 अक्टूबर तक मुंबई न्यायालय में जमा करने होंगे। इसके साथ ही सभी आरोपियों को 14 नवंबर से पहले न्यायालय में हाजिरी लगानी होगी। इन सभी मामलों में मुंबई के प्रधान सत्र न्यायालय को दोषारोपण तय करने के लिए 2 माह और गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए 2 साल तक की समयावधि निर्धारित की गई है।
Created On :   11 Sept 2022 2:58 PM IST