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विधानमंडल में नहीं दिखेंगे फुके-चतुर्वेदी, सत्र के पहले कार्यकाल समाप्त
डिजिटल डेस्क, नागपुर. विधानमंडल के शीत कालीन अधिवेशन की तैयारी चल रही है। दो साल बाद नागपुर में हो रहे इस अधिवेशन में निश्चित ही कई स्थितियां बदली हुई नजर आएंगी। खास बात यह भी है कि सत्ता व विपक्ष के प्रमुखों तक पहुंच रखने वाले विधान परिषद सदस्य परिणय फुके व दुष्यंत चतुर्वेदी सदन में नजर नहीं आएंगे। दरअसल, 19 दिसंबर से अधिवेशन आरंभ होगा, लेकिन 5 दिसंबर को ही फुके-चतुर्वेदी का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। यह भी सुना जा रहा है कि निकाय संस्थाओं की स्थिति ने चुनावी गणित बिगाड़ रखा है। लिहाजा फुके-चतुर्वेदी के प्रतिनिधित्व की विधान परिषद सीट के लिए राजनीतिक दलों में चुनावी हलचल भी नहीं है।
राजनीति में विशेष पहचान रखते हैं फुके-चतुर्वेदी : राज्य की राजनीति में परिणय फुके व दुष्यंत चतुर्वेदी विशेष पहचान रखते हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी कार्यकर्ताओं में फुके का भी नाम गिना जाता है। जिस दक्षिण पश्चिम नागपुर िवधानसभा क्षेत्र से फडणवीस चुनाव जीते हैं, फुके उसी क्षेत्र के निवासी हैं। निर्दलीय नगर सेवक रहे हैं। 2014 में मुख्यमंत्री बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने फुके का राजनीतिक कद बढ़ाया। दिसंबर 2016 में विधान परिषद की भंडारा-गोंदिया स्थानीय निकाय संस्था सीट के चुनाव में फुके भाजपा उम्मीदवार बने। उन्होंने राकांपा के राजेंद्र जैन को पराजित किया। राकांपा के दिग्गज नेता प्रफुल पटेल के करीबी राजेंद्र जैन की पराजय राजनीतिक क्षेत्र में काफी चर्चा में थी। उस चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन विधायक गोपाल अग्रवाल के पुत्र ने प्रफुल अग्रवाल ने बगावत की थी। फडणवीस के नेतृत्व की सरकार में राज्यमंत्री रहते हुए फुके दो जिलों के पालकमंत्री बनाए गए थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नाना पटोले को चुनौती देने के लिए फुके को ही साकोली क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया था। हालांकि उस चुनाव में फुके पराजित हो गए। उधर, 2020 में विधान परिषद सदस्य चुने जाने तक दुष्यंत चतुर्वेदी राजनीति में नहीं थे। वे शिक्षा संस्थान का व्यवस्थापन संभाल रहे थे। उनके पिता सतीश चतुर्वेदी कांग्रेस के नेता व मंत्री रहे हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दुष्यंत को यवतमाल स्थानीय निकाय संस्था सीट के लिए उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया था। शिवसेना के तानाजी सावंत के इस्तीफे के बाद उपचुनाव कराना पड़ा। उम्मीदवार चयन के लिए सांसद भावना गवली व विधायक संजय राठौर की पसंद का ध्यान तक नहीं रखा गया। हालांकि उस चुनाव में शिवसेना का असंतोष खुलकर सामने नहीं आया। दुष्यंत ने भाजपा समर्थित निर्दलीय सुमित बाजोरिया को पराजित किया था। फिलहाल दुष्यंत नागपुर में शिवसेना उद्धव बालासाहब ठाकरे के प्रमुख हैं।
असमंजस : स्थानीय निकाय संस्था के तहत नगरपरिषद, नगरपंचायत, जिला परिषद , महानगरपालिका के सदस्य विधानपरिषद चुनाव में मतदान करते हैं। यवतमाल में जिला परिषद व नगरपरिषद बर्खास्त है। भंडारा में नगर परिषद के चुनाव नहीं हो पाए हैं। लिहाजा मतदाताओं की संख्या निर्धारित नहीं होने से िवप चुनावों को लेकर असमंजस है। भाजपा व कांग्रेस ने पत्ते नहीं खोले हैं। नागपुर में शिक्षक निर्वाचन व अमरावती में स्नातक निर्वाचन सीट के लिए फरवरी 2023 में चुनाव होंगे। उसके लिए मतदाता पंजीयन प्रक्रिया चल रही है। इन चुनावों को लेकर भाजपा के विदर्भ संगठन मंत्री उपेंद्र कोठेकर ने कहा है कि उनकी पार्टी प्रत्येक चुनाव की पूर्व तैयारी किए हुए हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा है कि विप चुनावों में कांग्रेस चौंकाने वाला प्रदर्शन करेगी।
Created On :   30 Oct 2022 4:38 PM IST