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वायु प्रदूषण रोकने के लिए मिली निधि सिर्फ साफ-सफाई पर खर्च
डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार ने देशभर में प्रमुख शहरों में शुद्घ हवा बनाए रखने के लिए नेशनल क्लीन एयर प्लाॅन शुद्धता (एनकैप) योजना आरंभ की है। इसके तहत दो साल पहले उपराजधानी को भी पर्यावरण संवर्धन के लिए 10 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इस निधि को बेहतर रूप में उपयोग में लाने की जिम्मेदारी राज्य के पर्यावरण और नगररविकास मंत्रालय को दी गई है, लेकिन उपराजधानी में महानगरपालिका प्रशासन इस निधि का उपयोग कर पर्यावरण संवर्धन को लेकर अब भी गंभीर नहीं है। इस निधि से शहर वेस्ट कन्वर्टर मशीन और रोड डिवाइडरों का सौंदर्यीकरण में खर्च किया जा रहा है। हैरानी यह है कि एनकैप की निधि से उद्यान विभाग शहर में 41 किमी क्षेत्र में रोड डिवाइडरों को दुरुस्त करने और सौंदर्यीकरण करने की योजना आरंभ कर चुका है, जबकि कुछ साल पहले शहर के अधिकतर डिवाइडर मनपा प्रशासन निजी एजेंसी और औद्योगिक घरानों को दत्तक के रूप में दे चुका है। इन संस्थानों की ओर से डिवाइडरों को बेहतर रूप में विकसित भी किया गया है। ऐसे में सवाल यह है कि शहर में लगातार वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, लेकिन मनपा प्रशासन ठोस उपाययोजना के बजाय अब भी निधि को साफ-सफाई के लिए ही इस्तेमाल कर रही है। खास बात यह भी है कि डिवाइडर पर लगने वाले पौधों को लेकर पर्यावरण विशेषज्ञों और संस्थाओं से चर्चा भी नहीं की गई है। खानापूर्ति के लिए उद्यान विभाग द्वारा निर्मित समिति में मनपा के ही ठेकेदार को पर्यावरण विशेषज्ञ के रूप में जगह दी गई है।
तीन विभागों को जिम्मेदारी
राष्ट्रीय शुद्ध हवा अभियान (नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम) में आवंटित 10 करोड़ की राशि को खर्च करने की जिम्मेदारी तीन विभागों को दी गई है। इनमें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 3.60 करोड़, नीरी को वॉटर स्प्रींक्लर के लिए 1 करोड़ और अन्य राशि मनपा को दी गई है।
एमपीसीबी को 3.60 करोड़ आवंटित
राष्ट्रीय शुद्ध हवा अभियान के तहत राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 3.60 करोड़ आवंटित हुए हैं। इसमें से 75 लाख रुपए से शहर में तीन सतत वायु प्रदूषण निगरानी स्टेशनों को बनाया जा रहा है।
1 करोड़ की आर्गेनिक वेस्ट कन्वर्टर : मनपा के लोककर्म विभाग ने एनकैप निधि की 1 करोड़ रुपए की निधि से आर्गेनिक वेस्ट कन्वर्टर मशीन की खरीदी की है।
गुड़गांव की कांटिनेंटल एजेंसी को जैम पोर्टल के माध्यम से मशीन आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गई है। इस मशीन की सहायता से पौधों की सूखी पत्तियों और अन्य अवशेषों को जैविक खाद में परिवर्तित किया जाएगा।
ठेकेदार बना विशेषज्ञ समिति सदस्य
एनकैप के तहत ग्रीन काॅरिडोर तैयार करने के लिए मई माह में 4 सदस्यों की विशेषज्ञ समिति बनाई गई है। इस समिति में राज्य के लोकनिर्माण विभाग के पार्क और गार्डन विभाग के एम बी जाधव, मनपा लोककर्म विभाग के तत्कालीन अधीक्षक अभियंता मनोज तालेवार, उद्यान अधीक्षक अमोल चौरपगार और एनजीओ नेचर कन्जर्वेशन एसोसिएशन के प्रतिनिधि श्रीकांत देशपांडे को शामिल किया गया है। लापरवाही की हद यह है कि नीरी सहित कई अन्य सरकारी संस्थानों के पर्यावरण विशेषज्ञों को भी समिति में नहीं लिया गया है।
इस समिति ने डिवाइडरों के लिए पौधों के चयन को लेकर भी कोई सलाह अब तक नहीं दी है। 1 करोड़ से स्प्रींक्लर मशीन तैयार : नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) ने मनपा के सहयोग से वॉटर स्प्रींक्लर मशीन को तैयार किया है। करीब 1 करोड़ की लागत से नीरी परिसर में पौधों के रूप में स्प्रींक्लर मशीन को बनाया गया है। पौधों के शाखाओं के रूप में बेहद धूल वाले इलाके में पानी का छिड़काव कर वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकेगा। इस मशीन की सहायता से 500 मीटर क्षेत्र में 2 से 7 डिग्री तक वायू प्रदूषण को कम किया जा सकेगा। तकनीकी मान्यता के लिए प्रात्याक्षिक को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजा गया है।
डिवाइडरों के चयन में लापरवाही
शहर के डिवाइडरों के चयन में उद्यान विभाग ने खासी लापरवाही की है। धरमपेठ जोन अंतर्गत वेस्ट हाईकोर्ट रोड से बोले पेट्रोल पंप तक को भी प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है, जबकि इस परिसर में 2600 वर्गमीटर क्षेत्र को नगरसेवक निशांत गांधी देखभाल कर रहे है।
क्रीडा चौक से तुकड़ोजी पुतला भी ग्रीन कारीडोर में शामिल है, जबकि इस इलाके 300 वर्गमीटर आरबीआई से एलआईसी चौक, विधानभवन तक के रास्ते को भी शामिल किया गया है, जबकि इस इलाके को भरत पारेख एजेंसी देखभाल कर रही है।
41 किमी डिवाइडरों का सौदर्यीकरण 6 माह के भीतर डिवाइडरों की मिट्टी को निकालकर उपजाऊ मिट्टी डालकर ठेका एजेंसी को पौधों को लगाना है। डिवाइडरों की सफाई में 44 लाख रुपए, मिट्टी की खरीदी के लिए 18 लाख रुपए पौधों की खरीदी में 2.25 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। वहीं दूसरी ओर 24 माह तक ठेका एजेंसी के मजदूरों की निगरानी में देखभाल के लिए 29.17 लाख रुपए और दो साल तक जलाूपर्ति करने के लिए 71.32 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। इस काम की टेंडर प्रक्रिया को मार्च माह में पूरा किया गया है, हालांकि टेंडर प्रक्रिया और ठेका एजेंसी के चयन में खासी लापरवाही हुई है।
सरकार के दिशानिर्देशों पर प्रोजेक्ट
अमोल चौरपगार, प्रभारी अधीक्षक, उद्यान विभाग, मनपा के मुताबिक केन्द्र और राज्य के दिशानिर्देशों के आधार पर ही प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रीन काॅरिडोर प्रोजेक्ट को बनाया गया है। विशेषज्ञ समिति में पर्यावरण विशेषज्ञ के रूप में श्रीकांत देशपांडे को आला अधिकारियों ने शामिल किया है, वैसे भी ठेके से प्रत्यक्ष श्रीकांत देशपांडे का संबंध नहीं है। शहर में डिवाइडरों के चयन में पूरी पारदर्शिता रखी गई है। ठेका एजेंसी का चयन भी टेंडर प्रक्रिया और आपसी चर्चा के बाद उपायुक्त के मार्गदर्शन में किया गया है। पूरे प्रोजेक्ट में कोई भी अनियमितता नहीं हुई है। एक ही प्रोजेक्ट पर पूरा ध्यान देने के लिए मेरे पास आवश्यक संसाधन और कर्मचारी मौजूद नहीं है। दो साल से पदाधिकारियों और आला अधिकारियों को कर्मचारियों को मुहैया कराने की मांग कर रहा हूं, लेकिन कोई भी गंभीरता से नहीं ले रहा है। प्रभारी के रूप में मेरी अकेले की पूरी जिम्मेदारी नहीं होती है।
श्वेता बनर्जी, नोडल अधिकारी, नैकेप प्रोजेक्ट, मनपा के मुताबिक केन्द्र सरकार से आवंटित राशि से उद्यान विभाग, लोककर्म विभाग को अपने प्रोजेक्ट तैयार कर क्रियान्वयन करना है। इस प्रोजेक्ट के चयन और अन्य प्रक्रिया में हमारा कोई भी हस्तक्षेप नहीं होता है। प्रोजेक्ट को मूल संकल्पना के आधार पर राज्य और केन्द्र सरकार के पास भेजने की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में संबंधित विभाग ही पूरी तरह से जिम्मेदारी संभालता है।
Created On :   14 Nov 2021 3:00 PM IST