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गणेशोत्सव : गंगा की पवित्र मिट्टी से होती है मूर्तियों की फिनिशिंग
डिजिटल डेस्क, शहडोल। गणेशोत्सव में गणेश प्रतिमाओंकी फाइनल फिनिशिंग गंगा की मिट्टी से की जाती है। इलाहाबाद और कलकत्ता में गंगा नदी के किनारों पर पाई जाने वाली मिट्टी इतनी चिकनी होती है कि प्रतिमाओं पर लेप करने के बाद दरारें नहीं आतीं। कलाकारों का कहना है कि लेप के बाद उनके ऊपर पेंट करना आसान होता है। वहीं अन्य मिट्टी के लेप से मूर्तियों में दरारें आ जाती हैं जो खण्डित मानी जाती हैं।
जिला मुख्यालय में ही 75 से अधिक स्थानों पर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाती हैं। सबसे ज्यादा प्रतिमाओं की स्थापना उपनगरी सोहागपुर में होती हैं। इसके अलावा जिले भर की सैकड़ों जगहों पर गणेश प्रतिमाएं रखी जाती हैं। मूर्तियां बनाने का कार्य मुख्यालय में करीब दर्जन भर स्थानों पर किया जा रहा है।
मंहगाई का असर
25 सालों से प्रतिमा बनाने का कार्य करने वाले कोलकाता निवासी विश्वजीत पाल ने बताया कि प्रतिमा निर्माण की लागत हर साल बढ़ जाती है। मूर्ति बनाने के लिए पैरा, लकड़ी, सुतली, कील, कलर तथा श्रृंगार आदि की दाम हर साल बढ़ जाते हैं। मिट्टी तो स्थानीय स्तर पर मिल जाती हैं, लेकिन फाइनल टच वाली गंगा की मिट्टी व अन्य मटीरियल खरीदने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि मूर्तियां ऊंचे दामों पर बिकती है, यहां सिर्फ 200 रुपए से लेकर 10 हजार तक की प्रतिमाएं बिकती हैं।
Created On :   28 July 2017 8:28 PM IST