हर झांकी में खास संदेश, नई जानकारी भी

Ganeshotsav: Special message in every tableau, new information too
हर झांकी में खास संदेश, नई जानकारी भी
गणेशोत्सव हर झांकी में खास संदेश, नई जानकारी भी

डिजिटल डेस्क, नागपुर. छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से चली आ रही सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाने की परंपरा आज भी कायम है। 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस उत्सव के बहाने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों को जागरूक व एक करने का काम किया। सार्वजनिक उत्सव अब घर-घर में पहुंच चुका है। अलग-अलग समय में गणेशोत्सव की भूमिका बदलती रही है। संतरानगरी में गणेशोत्सव की अलग ही परंपरा रही है। सार्वजनिक मंडलों की एक संकल्पना होती है। उस पर आधारित झांकियां यहां की विशेषता हैं। ऐतिहासिक, पौराणिक कथाओं पर और गणेशजी की जिन कथाओं की जानकारी लोगों को नहीं है, उन पर आधारित झांकियां, देशभर के प्रसिद्ध मंदिरों की झांकिया यहां तैयार की जाती हैं। उत्तर नागपुर के बजाज रोड पर स्थित रुद्र गणेश उत्सव मंडल द्वारा इस साल गणेशजी का विनायकी स्त्री रूप की झांकी तैयार की गई है। मंडल के अध्यक्ष रोहित असरानी ने बताया कि मंडल द्वारा हर साल गणेशजी से जुड़ी विविध कथाओं पर आधारित झांकी तैयार की जाती है। इस बार कर्नाटक के एक शहर में विनायकी गणेश मंदिर की मूर्ति की झांकी बनाई गई है। गणेशजी विनायकी स्त्री रूप की कथा इस प्रकार है। एक बार माता पार्वती ने शिवजी की दोनों आंखें अपने हाथ से बंद कर दी, जिसके कारण चारों ओर अंधकार हुआ। तब महादेव ने अपनी तीसरी आंख खोल दी, जिसका ताप पार्वती जी से सहन नहीं हुआ और उनके पसीने छूटने लगे। उसी पसीने से एक बालक का जन्म हुआ। उसका नाम अंधक पड़ा, क्योंकि उसकी उत्पत्ति अंधकार में हुई थी। बाद में भोलेनाथ ने हिरण्याक्ष नाम के असुर को एक वरदान के बदले अंधक दे दिया। अंधक का पालन असुरों के बीच हुआ। अंधक को ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि उसका अंत तभी होगा, जब वह अपनी माता पर कूदृष्टि डालेगा। अंधक की इच्छा थी कि संसार की सबसे सुंदर स्त्री से विवाह करना है। 

माता को आया क्रोध : जब अंधक को देवी पार्वती की सुंदरता के बारे में पता चला, तो वह उनके पास विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंचा। उसकी बात सुनकर माता को क्रोध आया। वह बलपूर्वक माता को उठाकर ले जाने लगा, तब माता ने शिवजी का आह्वान किया, जिसके पश्चात महादेव प्रकट हुए और अंधक के साथ युद्ध करने लगे। जब शिवजी अंधक पर त्रिशूल से वार करते, तो उसके रक्त की बूंदों से कई राक्षसी ‘अंधका’ पैदा हो जाती थीं। फिर  गणेशजी स्त्री रूप ‘विनायकी’ में प्रकट हुए और उन्होंने अंधक का सारा रक्त पी लिया। इस प्रकार अंधक का वध हो सका। इस स्वरूप में गणेशजी बिलकुल अपनी माता पार्वती की तरह दिखते हैं, फर्क है तो बस सिर का। उनका मस्तक गज का है। विनायकी स्वरूप में गणेश मूर्ति का निर्माण राकेश पाठराबे ने किया है।

प्राचीन प्रतिमाओं, मंदिरों पर आधारित झांकियां

सिंधी कालोनी में एकता गणेशोत्सव मंडल द्वारा प्राचीन मंदिरों के रखरखाव व मरम्मत का दृष्य साकार किया गया है। मंडल के अध्यक्ष मनोज सचानी ने बताया कि देशभर में सैंकड़ों प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी देखभाल नहीं होने से मूर्तियां व मंदिर खराब व खंडित हो जाते हैं। उनकी मरम्मत होने पर वे अपना पुराना वैभव पा लेते हैं। ऐसी ही संकल्पना पर अाधारित झांकी तैयार की गई है। एक प्राचीन शिव मंदिर अपना पुराना वैभव खो चुका है। फिर से उसका वैभव दिलाने के लिए मरम्मत रंग-रोगन आदि किया जा रहा है। इस मंदिर में स्थापित शिव प्रतिमा के कंधे पर गणेश जी विराजे हैं।

कहीं बद्रीनाथ धाम, तो कहीं शिव सृष्टि साकार

गांधीबाग उद्यान के पास एक मंडल द्वारा उत्तराखंड का बद्रीनाथ धाम साकार किया गया है। महल स्थित दक्षिणामूर्ति चौक में शेगांव का श्री गजानन महाराज मंदिर की प्रतिकृति साकार की गई है। इतवारी सीए रोड पर स्थित संती गणेश उत्सव मंडल द्वारा वृंदावन का बांकेबिहारी मंदिर तैयार किया गया है। महल के राजा गणेशोत्सव मंडल में शिवाजी महाराज पर अाधारित शिव सृष्टि देखने को मिल रही है। गणपती सेना उत्सव मंडल रेलवे कालोनी मोतीबाग में सेवाग्राम स्थित बापू कुटी की प्रतिकृति तैयार की है। इतवारी धारस्कर रोड स्थित शक्ति गणेश उत्सव मंडल में पुणे के दगडू सेठ हलवाई के गणेश स्थापित किए गए हैं। इस तरह शहर में सार्वजनिक गणेश मंडलों ने गणेशोत्सव को नया स्वरूप दिया है।

Created On :   4 Sept 2022 6:18 PM IST

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