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अनुवांशिक कैंसर को जांच से रोका जा सकता है
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कैंसर की जांच व रोकथाम के लिए कई तरह की आधुनिक मशीनें आ चुकी हैं। समय रहते पता चलने पर कैंसर का उपचार आसान होने लगा है। कैंसर के कुछ प्रकार अनुवांशिक भी होते हैं। किसी परिवार की हर पीढ़ी के किसी न किसी व्यक्ति को कैंसर होता है। इस बात ध्यान में लाने पर कैंसर विशेषज्ञ विशेष जांच की सलाह देते हैं, ताकि वह अगली पीढ़ी तक न पहुंचे। कोलकाता निवासी श्रीकांत संब्रानी ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि, 1946 में शांतिचंद्र व विमला भंडारी की बेटी रीता ने ओवरी कैंसर पीड़ित होने से 75 साल की उम्र में दम तोड़ दिया था। रीता को अनुवांशिकता के चलते आेवरी कैंसर हुआ था। रीता की मां को ब्रेन कैंसर, बहन को लिंफोमा कैंसर, दो मौसियाें व दो मौसेरी बहनों को भी कैंसर हुआ था। रीता की मौसेरी बहन ने मात्र 40 साल की उम्र में दुनिया से विदा ली थी।
रीता की डॉक्टर ने उसके दो टेस्ट करवाए थे। बीआरसीए और बीआरसीए वन जांच में अनुवांशिकता के चलते ओवरी कैंसर होने का पता चला। जब तक रीता को बीमारी का पता चला, वह काफी फैल चुका था। अनुवांशिक कैंसर एक से दूसरी पीढ़ी तक चला आता है। संब्रानी ने बताया कि, इस घटना के बाद हर शोध रिपोर्ट और कैंसर से अन्य कारणों का अध्ययन करना जारी रखा। बीआरसीए परीक्षण 1990 में शुरू हुआ। अनुवांशिक जीन्स जांच की शुरुआत 1994 में हुई, इसलिए रीता के मामले में संभव नहीं हो सका, लेकिन अब जांच कर अगली पीढ़ी को अनुवांशिक कैंसर होने से बचाया जा सकता है। जांच में यह भी पता चलता है कि, बचाने वाले गुणसूत्र असामान्य तरीके से नष्ट तो नहीं हो रहे। परिवार में ब्रेस्ट, ओवरी व अन्य कैंसर का इतिहास होने पर नई पीढ़ी ने संभावना को देखते हुए जांच करवानी चाहिए। इससे नई पीढ़ी कैंसर मुक्त रहेगी।
कैंसर के कुछ प्रकार अनुवांशिक वर्ग में आते हैं
डॉ. अशोककुमार दीवान, कैंसर रोग विभाग प्रमुख, मेडिकल के मुताबिक कैंसर के कुछ प्रकार अनुवांशिक वर्ग में माने जाते हैं। इनमें ब्रेस्ट व ओवरी कैंसर प्रमुख है। यदि किसी मरीज को पीढ़ी दर पीढ़ी कैंसर चला आ रहा है, तो इसकी जानकारी डॉक्टरों को दी जानी चाहिए, ताकि डॉक्टर उनकी पार्श्वभूमि को समझते हुए इलाज कर सके। अनुवांशिक कैंसर की बीआरसीए रक्त जांच के दौरान जानकारी मिल जाती है। ऐसे में अगली पीढ़ी को कैंसर होने से कुछ हद तक बचाया जा सकता है। मरीजों के रक्तसंबंधों ने समय-समय पर जांच करवानी चाहिए।
स्क्रीनिंग जल्द करेंगे, तो कैंसर का जल्द पता चलेगा
डॉ. सौरभ प्रसाद, कैंसर रोग विशेषज्ञ के मुताबिक यदि किसी परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी कैंसर हो रहा है, तो यह अगली पीढ़ी या मरीज के रक्तसंबंधियों को होने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में मरीजों के अलावा उनके रक्तसंबंधियों ने भी जांच करवानी चाहिए। बीआरसीए जांच से इसका पता चल सकता है। स्क्रीनिंग जल्द करेंगे, तो कैंसर का पता भी जल्द चल सकेगा। प्रारंभिक अवस्था में ही पता चल जाए, तो उसका उपचार कर सुरक्षा मिल जाती है।
Created On :   8 Jan 2022 6:53 PM IST