पत्नी के खिलाफ अखबार में खबर प्रकाशित करवाना मानसिक क्रूरता

Getting news published against wife in newspaper is mental cruelty
पत्नी के खिलाफ अखबार में खबर प्रकाशित करवाना मानसिक क्रूरता
हाईकोर्ट पत्नी के खिलाफ अखबार में खबर प्रकाशित करवाना मानसिक क्रूरता

डिजिटल डेस्क, मुंबई, पत्नी के खिलाफ अखबार में खबर प्रकाशित करने की पति की हरकत मानसिक क्रूरता को दर्शाती है। बांबे हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए गए अपने एक फैसले में यह बात स्पष्ट की है। इसके साथ ही कोर्ट ने  मुंबई की पारिवारिक अदालत के उस फैसले को कायम रखा, जिसके तहत पत्नी को तलाक प्रदान किया गया था। न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति मिलिंद साठे की खंडपीठ ने कहा कि पत्नी की प्रतिष्ठा केवल इस तथ्य से कम हो जाती है कि पति ने उसके खिलाफ अखबार में आरोप लगाए हैं। फिर अखबार में छपी खबर मानहानिकारक है कि नहीं, यह प्रासंगिक नहीं रह जाता है। पति के आचारण से परेशान होकर महिला ने पारिवारिक अदालत में तलाक के लिए आवेदन दायर किया था। पारिवारिक अदालत ने महिला के आवेदन को मंजूर कर उसे तलाक प्रदान किया था। जिसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। महिला के मुताबिक बैंक में कार्यरत उसका पति आए दिन उसके साथ गाली-गलौच करता था। इसके साथ ही उसे नशे की लत थी। एक दिन महिला का पति पुलिस अकादमी पहुंच गया, जहां महिला प्रशिक्षण ले रही थी। वहां पर महिला के पति ने न सिर्फ उसके साथ बदसलूकी की बल्कि अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल भी किया। यही नहीं उसके गहने भी बैंक में गिरवी रख दिए। अंत में पति ने मराठी अखबार में पत्नी के खिलाफ खबर भी छपवाई। हालांकि पति ने याचिका में महिला की ओर से लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया था। याचिका में पति ने कहा था कि उसने बैंक में जो गहने गिरवी रखे थे, वह उसके घरवालों के थे।  खंडपीठ ने कहा कि मामले से जुड़े दंपति के बीच कड़वाहट इतनी बढ़ गई है कि दोनों का साथ रह पाना मुश्किल है। इस मामले में पति का आचारण पत्नी के प्रति मानसिक क्रूरता को दर्शाता है। इस तरह खंडपीठ ने पति कि याचिका को खारिज कर दिया और पारिवारिक अदालत के आदेश को कायम रखा। 
 

Created On :   28 March 2023 4:13 PM GMT

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