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इनडोर, आउटडोर गेम में पिछड़ रही छात्राएं, न राशि मिल रही न स्टेडियम
डिजिटल डेस्क, शहडोल। शासकीय गर्ल्स कॉलेज के खेल कैलेंडर में शासन द्वारा भले ही 23 खेल शामिल किये जाते हों, लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण यहां मुख्यत: 6 खेल ही खेले जाते हैं और स्पर्धाओं में इन्ही खेलों में छात्राएं भाग ले पातीं हैं, इनमें ज्यादातर इंडोर खेल हैं। स्वः वित्तीय व्यवस्था के भरोसे संचालित खेल गतिविधियां फिसड्डी बनी हुई हैं। बजट राशि के अभाव में कॉलेज में क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी जैसे आउटडोर खेल मैदान की कमी के कारण नहीं खेले जाते हैं, दूसरी ओर इंडोर खेलों की सुविधाएं बढ़ाने विगत 4 वर्षों से इंडोर स्टेडियम अधबना पड़ा है, लेकिन उसका निर्माण पूर्ण नहीं हो पा रहा है। 1500 से भी अधिक छात्राओं की संख्या वाले इस कॉलेज में आज भी समुचित रूप से खेल सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं और टेबिल टेनिस, शतरंज, बैडमिंटन, वालीबॉल, खो-खो आदि तक खेल सीमित हैं। एथलेटिक्स के लिए ट्रैक नहीं है। कॉलेज के पास एक छोटा सा मैदान है, वहीं वालीबॉल खेला जाता है।
न राशि मिल रही न स्टेडियम पूरा हो रहा
कुछ वर्षों पूर्व खेल सुविधाओं के विस्तार के लिए UGC द्वारा कॉलेज को इंडोर स्टेडियम के निर्माण के लिए 75 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे। जिसमें से लगभग 35 लाख रुपए दिए गए थे। इस राशि से कॉलेज परिसर में स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरू कराया गया था और यह लगभग आधा बन गया था। लेकिन इसके बाद राशि की अगली किश्त नही मिली और राशि के बिना काम बंद कर दिया गया। इसके बाद कॉलेज द्वारा कई बार पत्राचार किया गया। लेकिन राशि नहीं मिल रही है। इस स्टेडियम में टेबिल टेनिस, जिम, शतरंज, योगा, कराटे, बैडमिंटन आदि कई खेलों की सुविधाओं के साथ ड्रेस बदलने का कक्ष भी निर्मित कराया जा रहा था। लेकिन निर्माण अधर में लटका है।
सांस्कृतिक मंच में कराटे, कालेज कक्ष में टेबल टेनिस
कॉलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए आयोजित मंच का उपयोग कराटे प्रशिक्षण के लिए किया जाता है। जबकि इस सुरक्षात्मक युद्ध कौशल के लिए छात्राओं को पृथक कक्ष की सुविधा उपलब्ध होना जरूरी माना जाता है। इसी तरह जगह और व्यवस्था की कमी के कारण इसी मंच के सामने बैडमिंटन भी खेला जाता है। जब कॉलेज में बड़े आयोजन होते हैं तो यह अभ्यास बंद हो जाता है। टेबिल टेनिस के लिए कॉलेज का एक बड़ा कमरा उपयोग में लाया जाता है। इस तरह खेलों में असुविधाएं बनी हुई हैं। खेलों के नाम पर औपचारिकताएं पूरी की जातीं हैं, लेकिन छात्राओं को अच्छे खेल के अवसर नही मिल पाते हैं।
बजट का अभाव
खेलों के लिए शासन की ओर से भी कोई पृथक से बजट नही दिया जाता है, बल्कि यह स्ववित्तीय व्यवस्था जिसमें छात्राओं की फीस की आय पर निर्भर रहना पड़ता है। प्रति वर्ष लगभग 1 लाख रुपए की आय होती है। यह राशि खेलों के विकास के लिए बहुत कम है। मैदान का रखरखाव, खेल सामग्रियों की व्यवस्था, स्पर्धाओं की तैयारी व अन्य सुविधाओं की व्यवस्था कर पाना कठिन हो जाता है। खेलों के समुचित विकास के लिए संसाधन चाहिए।
गर्ल्स कॉलेज की क्रीड़ा आधिकारी एसबी पांडे ने कहा है कि UGC से फंड प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। इंडोर स्टेडियम के बनने से स्थिति में सुधार आएगा। सीमित साधनों में ही खेलों की पर्याप्त व्यवस्था कराए जाने का प्रयास किया जाता है।
Created On :   25 Aug 2017 7:07 PM IST