अवैध नर्सिंग होम-अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हर माह दें प्रगति रिपोर्ट

Give progress report every month regarding action against illegal nursing homes-hospitals
अवैध नर्सिंग होम-अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हर माह दें प्रगति रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा अवैध नर्सिंग होम-अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हर माह दें प्रगति रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अवैध नर्सिंग होम व अस्पतालों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। इसके तहत कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक को नियमों के विपरीत चल रहे नर्सिंग होम व अस्पतालों के खिलाफ की गई कार्रवाई में हुई प्रगति के संबंध में हर माह रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने स्वास्थ्य सेवा निदेशक को अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट करने को कहा है कि जिन अवैध नर्सिंग होम के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ कार्रवाई में क्या प्रगति हुई है।  

न्यायमूर्ति एके मेनन व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने यह निर्देश पुणे निवासी अतुल भोसले व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में दावा किया गया है कि पुणे में करीब चार हजार नर्सिंग होम हैं लेकिन इसमें बहुत कम नर्सिंग होम राज्य सरकार के पास पंजीकृत हैं। याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसने अपने पिता के निधन के बाद जब सूचनाएं इकट्ठा की तो पुणे में चार हजार में से सिर्फ 326 नर्सिंग होम ही पंजीकृत मिले। इससे प्रतीत होता है कि राज्य सरकार का नर्सिंग होम पर कोई नियंत्रण नहीं है। इसके साथ ही सरकार के पास ऐसा कोई आकड़ा उपलब्ध नहीं है जिससे पता चल सके कि कितने नर्सिंग होम वैध हैं। 

12 साल भी लागू नहीं हो सका ‘क्लिनिकल इस्टेबलिसमेंट एक्ट’
याचिका के अनुसार केंद्र सरकार ने ‘क्लिनिकल इस्टेबलिसमेंट एक्ट’ वर्ष 2010 में पारित किया था। यह कानून लोगों के हित में है। लेकिन इसकी अमल की दिशा में सार्थक पहल नहीं हो पा रहा है। याचिका में दावा किया गया है कि नर्सिंग होम से निकलनेवाले जैविक कचरे को भी ठीक तरह से नियमों के अनरुप नष्ट नहीं किया जाता है। याचिका के अनुसार नर्सिंग होम में अयोग्य लोगों को नियुक्त किया जाता है।

यह एक तरह से लोगों के जीवन को खतरे में डालने जैसा है। इससे पहले सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को कार्रवाई करने को कहा था लेकिन कार्रवाई को लेकर कोई रिपोर्ट नहीं पेश की गई है। इस पर सरकारी वकील एमएम पाबले ने कहा कि उन्हें कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए समय दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने अदालत के पुराने आदेश के तहत राज्य स्वास्थ्य सेवा निदेशक को नियमों के विपरीत चल रहे नर्सिंग होम व अस्पतालों के खिलाफ की गई कार्रवाई में हुई प्रगति की हर माह रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया और याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। 
 
 

Created On :   9 July 2022 2:16 PM GMT

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