अच्छी खबर: रंग-बिरंगे फूलों से आई पहाड़ी खेतों में बहार

Good news: Colorful flowers came out in the hilly fields
अच्छी खबर: रंग-बिरंगे फूलों से आई पहाड़ी खेतों में बहार
अनाज सब्जी छोडकऱ गेंदे की खेती कर रहे किसान अच्छी खबर: रंग-बिरंगे फूलों से आई पहाड़ी खेतों में बहार

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। खरीफ सीजन में कभी जहां सोयाबीन, मक्का या सब्जी की फसलें नजर आती थी आज वहां पीले और सिंदूरी गेंदे की फूलों की बहार है। बीते सालों में जिले में गेंदे की फूलों का बंपर उत्पादन लगातार बढ़तव जा रहा है। किसान मल्चिंग के साथ ड्रिप इरीगेशन सिस्टम लगा रहे है तो कहीं परंपरागत तरीके से बगीचे तैयार किए जा रहे हैं। खरीफ सीजन की फसलों की तुलना में गेंदा फूल किसानों को ज्यादा आमदनी दे रहे हैं। फिलहाल थोक बाजार में फूलों की कीमत 40 से 45 रुपए किलो तक है। दशहरा पर्व पर फूलों के दाम तेज होने की संभावना जताई जा रही है।
शहर के फूल बाजार में गेंदा, सेवंती, रजनीगंधा, डच गुलाब के साथ झरबेरा के फूलों की जबरदस्त खपत हो रही है। फूल विक्रेताओं के मुताबिक बाजार में 80 प्रतिशत गेंदा फूल की खपत है, जबकि अन्य फूलों की खपत महज 20 प्रतिशत तक सीमित है। मोहखेड़, बिछुआ, चांद, चौरई सहित शहर के आसपास स्थित गांवों में किसानों ने पीला और सिंदूरी गेंदे के बगीचे तैयार किए हैं। गणेश उत्सव के दौरान फूलों की आवक बेहद कम थी। अब बाजार में प्रतिदिन 70 से 80 क्विंटल गेंदा फूल की खपत हो रही है।
प्रति एकड़ 5 से 6 टन उत्पादन
मोहखेड़ विकासखंड का बदनूर गांव सब्जी उत्पादन के मामले में अव्वल रहा है। बीते चार पांच साल से इस गांव के किसान खरीफ सीजन में गेंदे की खेती कर रहे हैं। बदनूर के किसान मोहन पटेल ने बताया कि क्षेत्र के बदनूर, रजाड़ा, भुताई, गड़मऊ, सिल्लेवानी, तंसरा सारोठ, छाबड़ी, पालाखेड़, अंबामाली, बटकाझिरी सहित अन्य गांवों में गेंदे का रकबा तीन सौ हेक्टेयर के लगभग है। इसके अलावा बिछुआ के गोनी, झामटा सहित अन्य गांवों में भी गेंदे की फसल लहलहा रही है।
प्रति एकड़ 5 से 6 टन उत्पादन
किसान संजू भादे ने बताया कि गेंदे की उन्नत खेती में प्रति एकड़ लागत लगभग 35 से 40 रुपए है। फूलों का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 6 टन होता है। फूलों के दाम 15 रुपए से अधिक होने पर प्रति एकड़ लगभग 40 से 50 हजार रुपए की आमदनी होती है। बारिश सीजन में हलकी और पहाड़ी जमीन पर अच्छे बगीचे तैयार हो जाते हैं। सबसे अहम बात यह है कि गेंदे के बगीचे को जंगली सुअर किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते है। इस कारण अब जंगल किनारे खेतों में मक्का सोयाबीन की बजाए किसान गेंदे की फसल लगा रहे हैं।
इनका कहना है...
छिंदवाड़ा में फूलों की खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है। मल्चिंग में ड्रिप लाइन बिछाकर किसान अच्छी किस्म के फूलों की खेती कर रहे हैं। दशहरा और दीपावली पर्व में बाजार में फूलों की बंपर आवक हो सकती है।
आरके कोरी, उप संचालक उद्यानिकी।

Created On :   2 Oct 2022 4:23 PM GMT

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