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गोर्हे ने कहा - शीत सत्र पर कोरोना का साया
डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी समेत राज्य में कोरोना नियंत्रण में है, लेकिन कोरोना की स्थिति आगे कैसे रहेगी, यह अभी से बताना मुश्किल है। शीत सत्र की तारीख तय है, लेकिन गत वर्ष जैसी स्थिति बनी तो विचार करना पड़ेगा। यह कहना है विधान परिषद उपसभापति नीलम गोर्हे का। जिलाधीश कार्यालय के बचत भवन में पत्रकारों से चर्चा के दौरान गुरुवार को उन्होंने कहा कि कोरोना नियंत्रण में है और जनता के सहयोग से कई गांवों में कोरोना का एक भी रोगी नहीं है। हम भी धार्मिक स्थल जल्द खोलना चाहते हैं, लेकिन कोरोना की स्थिति देखकर काम करना होगा। खनिकर्म की निधि कोरोना की रोकथाम के लिए इस्तेमाल करने पर विचार हो रहा है। राज्य में डेल्टा प्लस का प्रमाण बहुत कम है। अभी कोरोना संक्रमण बहुत कम है, लेकिन पिछले साल नवंबर के बाद कोरोना संक्रमण अचानक बढ़ गया था। इस अनुभव काे देखते हुए कोरोना की स्थिति देखकर ही विचार होगा।
इसलिए महाराष्ट्र में कोरोना ज्यादा हुआ
विधान परिषद उपसभापति नीलमताई गोर्हे ने मुंबई समेत महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण ज्यादा होने के तर्क कुछ इस तरह दिए। उन्होंने कहा कि शहरीकरण में ज्यादा संक्रमण होता है। दिल्ली समेत देश भर से रोगी इलाज के लिए मुंबई आते हैं। अन्य प्रदेशों के लोगों का निरंतर आना-जाना लगा रहा। टेस्ट ज्यादा करने से भी कोरोना रोगी ज्यादा मिले।
उन्होंने कोरोना संक्रमण को लेकर केंद्र सरकार को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि 25 जनवरी को चीन का वर्धापन दिन था। वहां से हजारों लोग यहां आए आैर यहां से हजारों लोग वहां जाते रहे। विमान सेवा जारी रखी गई थी। उन्होंने चुटकी ली कि केंद्र दो टीके में कभी 45 दिन तो कभी 85 दिन का अंतर रखता है। इस कारण भी लोगों की स्थिति इधर दौड़ो-उधर दौड़ो जैसी हो जाती है। कोरोना महामारी पहली बार आई, इसलिए डिजास्टर मैनेजमेंट के पैकेज भी तय नहीं थे। उन्होंने कटाक्ष किया कि केंद्र के नेताआें ने भी ध्यान देना चाहिए।
फर्जी टीके पर सख्त कार्रवाई हो
उन्होंने कहा कि फर्जी टीके के मामले का संज्ञान एफडीए व स्वास्थ्य विभाग ले चुका है। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री से बात की जाएगी। फर्जी टीके के कई मामले उजागर हुए हैं। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
कोरोना: अनाथ बच्चों, विधवाओं की सुध
विधान परिषद उपसभापति नीलम गोर्हे ने कहा कि कोरोना संकट के दूरगामी सामाजिक परिणाम हुए हैं। कई परिवार बर्बाद हो गए। जिले में 795 महिलाएं विधवा हुईं हैं और 1750 बच्चे अनाथ हुए हैं। कोरोना से अनाथ हुए बच्चे व विधवा महिलाआें की मदद के लिए जिला टास्क फोर्स अतंर्गत उपसमिति गठित करने के निर्देश प्रशासन को दिए गए हैं। उन्होंने जिलाधीश कार्यालय के बचत भवन में कोरोनाकाल में विविध विभागाें द्वारा किए गए उपायों व कामों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि सभी वर्गों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। मदद संबंधी योजनाआें का नियमित व प्रभावी अमल होना चाहिए। इसकी रिपोर्ट 12 सितंबर को पेश करने की सूचना मुख्य कार्यकारी अधिकारी को दी गई। जिले में 63 गांव कोरोना से मुक्त रखने में प्रशासन काे सफलता मिली। उन्होंने कामगार मंडल को 17 व 18 अगस्त व 23 व 24 अगस्त को घरेलू कामगारों का सम्मेलन लेने के निर्देश दिए।
सभी का विश्वास होना जरूरी
उन्होंने कहा कि इसके लिए जनप्रतिनिधि को विश्वास में लिया जाए। खनिज विकास निधि का उपयोग सभी वर्गों को मदद कार्य में लगाया जाए। कोरोना मुक्त गांवाें में एंडीबॉडी टेस्ट की जाए। टीकाकरण तेजी से करें और कामगारों का पंजीयन कर संजय गांधी निराधार योजना का लाभ दिया जाए। जो बच्चे अनाथ हुए उन्हें आर्थिक मदद के साथ ही संगोपन व शिक्षा की व्यवस्था आैर ये बच्चे बाल मजदूरी न करें, इसका ध्यान प्रशासन को रखना है। किसान परिवार की विधवाआें को खाद, बीज समेत अन्य मदद पहुंचाने को कहा।
कोरोना मुक्ति का पैटर्न
कोरोनामुक्त गांवों का पैटर्न अन्य जगह चलाया जाए। कोरोना मुक्त गांवों की यशकथाका प्रेजेंटेशन हुआ। खुर्सापार के संरपच सुधीर गोतमारे, कढोली के संरपच प्रांजल वाघ, पिपलधरा गट ग्रामपंच के संरपच नलिनी शेरकुरे ने गांवों को किस तरह कोरोनामुक्त रख सके इसके अनुभव साझा किए। इनके कार्यों की सराहना की गई। गांव स्तर पर सरपंचों ने लाउडस्पीकर सिस्टम का अच्छा उपयोग किया।
ये थे बैठक में
बैठक में विधायक दुष्यंत चतुर्वेदी, विधायक आशीष जैस्वाल, विधायक मनीषा कांयदे, जिलाधीश विमला आर., मुख्य कार्यकारी अधिकारी योगेश कुंभेजकर, जिला पुलिस अधीक्षक राकेश ओला, उपजिलाधीश जगदीश कातकर, मनपा के अतिरिक्त आयुक्त राम जोशी, पुलिस उपायुक्त एस आव्हाड उपस्थित थे।
Created On :   13 Aug 2021 3:34 PM IST