गोसीखुर्द प्रोजेक्ट 2022 में होगा पूरा , अधूरे सिंचाई प्रकल्प पूरे करने में लगेगा 40 हजार 673 करोड़ का खर्च

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गोसीखुर्द प्रोजेक्ट 2022 में होगा पूरा , अधूरे सिंचाई प्रकल्प पूरे करने में लगेगा 40 हजार 673 करोड़ का खर्च

डिजिटल डेस्क, नागपुर।   विदर्भ का महत्वाकांक्षी गोसीखुर्द प्रकल्प पूरा होने में तीन वर्ष ज्यादा लगेेंगे। विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल (वीआईडीसी) ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जो स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उसके अनुसार यह प्रकल्प मार्च 2022 में पूरा होगा। पूर्व में राज्य सरकार ने इसे दिसंबर 2019 तक पूरा करने का आश्वासन दिया था।

विदर्भ के विविध सिंचाई प्रकल्पों में हुए भ्रष्टाचार की खुली जांच की मांग करती जनमंच की जनहित याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में विचाराधीन है। हाईकोर्ट के आदेश पर वीआईडीसी ने सिंचाई प्रकल्पों की स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत की। गोसीखुर्द के मुख्य प्रकल्प का काम 99 प्रतिशत पूरा हो गया है। वर्ष 2016 से इसमंे पानी भी जमा किया जा रहा है, लेकिन नहर और उपसा सिंचाई प्रकल्प का काम पूरा करके किसानों के लिए पानी उपलब्ध कराने में अभी मार्च 2022 तक का वक्त लगेगा। गोसीखुर्द विदर्भ का महत्वाकांक्षी प्रकल्प है। इसकी मदद से 2 लाख 50 हजार 800 हेक्टर कृषि जमीन सिंचाई का लाभ प्राप्त कर सकती है। साथ ही जवाहर आयुध निर्माण को 0.84 टीएमसी और मौदा एनटीपीसी प्रकल्प को 3.53 टीएमसी पानी उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके अलावा वीआईडीसी ने लोअर वर्धा प्रकल्प दिसंबर 2020 में, बेंबला प्रकल्प मार्च 2021 में, लोअर पेढ़ी प्रकल्प दिसंबर 2021 में और गोसीखुर्द प्रकल्प मार्च 2022 में पूरा करने की जानकारी दी है। 

314 सिंचाई प्रकल्प शुरू
स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक विदर्भ में फिलहाल 314 सिंचाई प्रकल्प शुरू हैं। जून 2019 में इनमें से 145 प्रकल्प पूरे कर लिए गए हैं। इसमें 4 बड़े, 14 मध्यम और 127 छोटे प्रकल्प शामिल हैं। इसके अलावा 11 प्रकल्पों का काम अंतिम चरण में है। 14 प्रकल्प वन विभाग की अनुमति नहीं मिलने के कारण लटके हैं। 6 प्रकल्प जलसंवर्धन विभाग को हस्तांतरित किए गए हैं। 117 प्रकल्पों के काम जारी हैं।  प्रकल्प पूरे करने के लिए और 40 हजार 673 करोड़ रुपए की जरुरत है। 

इसलिए हो रही देरी
वीआईडीसी के अनुसार प्रकल्प पूरा करने में भूसंपादन मंे लगने वाला समय मुख्य समस्या बन रहा है। इसके अलावा विविध प्रशासनिक अनुमतियों में भी समय लगता है। इधर एसीबी 38 प्रकल्पों की जांच कर रही है। राज्य सरकार ने 4 हजार 196 करोड़ के टेंडर रद्द कर दिए हैं। इसके अलावा 199 टेंडर की जांच में कई अधिकारी-कर्मचारी जानकारी उपलब्ध कराने में जुटे हैं। वीआईडीसी मंे मंजूर 11,117 में से 5,353 पद रिक्त हैं। इन्हीं सब कारणों से प्रकल्प पूरे करने में देर हो रही है। मामले में जनमंच की ओर से एड.फिरदौस मिर्जा कामकाज देख रहे हैं। 

Created On :   21 Sept 2019 2:15 PM IST

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