आग के मुहाने पर सरकारी अस्पताल, मेडिकल में नाकाफी व्यवस्था, मेयो भी उसी कतार में खड़ा

Government hospital at the mouth of the fire, inadequate medical system
आग के मुहाने पर सरकारी अस्पताल, मेडिकल में नाकाफी व्यवस्था, मेयो भी उसी कतार में खड़ा
नागपुर आग के मुहाने पर सरकारी अस्पताल, मेडिकल में नाकाफी व्यवस्था, मेयो भी उसी कतार में खड़ा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अहमदनगर के सरकारी अस्पताल में लगी आग ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में हलचल तेज कर दी है। मध्य भारत का सबसे बड़ा नागपुर का शासकीय मेडिकल कॉलेज व अस्पताल एवं मेयो अस्पताल में आग प्रतिबंधक व्यवस्था नाकाफी रहने से व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। ये अस्पताल आग के मुहाने पर खड़े हैं। फायर ऑडिट में कई बार अग्निशमन व्यवस्था की खामियां सामने आईं। अग्निशमन विभाग ने इसमें सुधार करने के लिए नोटिस भी जारी किया, लेकिन निधि के अभाव में आग प्रतिबंधक व्यवस्था अब तक पूरी नहीं हो पाई है।

जोखिम में जान

शासकीय मेडिकल कॉलेज तथा अस्पताल में 2000 और मेयो में 700 बेड की क्षमता है। मेडिकल अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन साढ़े चार हजार और मेयो में 1800 से ज्यादा मरीज इलाज कराने आते हैं। आग लगने पर उसे काबू करने के लिए मेडिकल अस्पताल में फायर एक्सटिंग्विशर लगाए गए हैं, जो नाकाफी हैं। मेयो अस्पताल की नई सर्जिकल बिल्डिंग आग प्रतिबंधक व्यवस्था से लैस है। पुरानी बिल्डिंग फायर एक्सटिंग्विशर सिलेंडर के भरोसे है। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्र के उपजिला अस्पताल और प्राथमिक अस्पतालों में आग प्रतिबंधक व्यवस्था भी भगवान भरोसे है। आग बुझाने के लिए सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहने से हमेशा मरीजों की जान को खतरा बना रहता है।

हादसे के बाद जागती है सरकार
देश में किसी भी अस्पताल में आग के हादसे के बाद सरकार की नींद खुलती है। अस्पतालों का फायर ऑडिट करने का फरमान जारी किया जाता है। ऑडिट में पाई जाने वाली खामियों को पूरा करने का सरकार को प्रस्ताव भेजा जाता है। सरकारी दरबार में प्रस्ताव पहुंचने के बाद फाइलें धूल खाती रहती हैं। मेडिकल और मेयो की अग्निशमन व्यवस्था में खामियों की पूर्तता करने इससे पहले कई बार प्रस्ताव बनाए जा चुके हैं, लेकिन निधि उपलब्ध नहीं होने से समस्या जस की तस बनी हुई है।

हर महीने 15 अस्पतालों का फायर ऑडिट
मनपा अग्निशमन दल के सूत्रों ने बताया कि हर महीने 15 िनजी अस्पतालों का फायर ऑडिट किया जाता है। नियमित ऑडिट में जो भी खामियां पाई जाती हैं, उसकी पूर्तता करने के लिए नोटिस दिया जाता है। समय सीमा में पूरा नहीं करने पर बिजली, जलापूर्ति काटने की कार्रवाई की जाती है। सरकारी अस्पतालों पर इस तरह की कार्रवाई करना संभव नहीं है। सिर्फ नोटिस देकर काम पूरा करने के लिए कहा जाता है

काम चल रहा है

डॉ. अविनाश गावंडे, स्वास्थ्य अधीक्षक, मेडिकल अस्पताल के मुताबिक सभी विभाग तथा वार्ड में फायर एक्सटिंग्विशर लगाए गए हैं। बड़ी आग लगने पर उसे नियंत्रित करने के लिए पानी की व्यवस्था तथा पाइप लाइन बिछाकर उपकरण लगाने का काम चाल रहा है

मापदंड पूरे हैं

सागर पांडे, स्वास्थ्य अधीक्षक, मेयो अस्पताल के मुताबिक सर्जिकल बिल्डिंग में अत्याधुनिक आग प्रतिबंधक व्यवस्था है। पुरानी बिल्डिंग को लागू मापदंडों के अनुसार आवश्यक उपकरणों की पूर्तता की गई है।     

 

Created On :   8 Nov 2021 7:01 PM IST

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