बाल विवाह रोकने सरकार ले रही यूनिसेफ की मदद, राज्य सरकार ने दी जानकारी 

Government is taking help of UNICEF to stop child marriage
बाल विवाह रोकने सरकार ले रही यूनिसेफ की मदद, राज्य सरकार ने दी जानकारी 
हाईकोर्ट बाल विवाह रोकने सरकार ले रही यूनिसेफ की मदद, राज्य सरकार ने दी जानकारी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि बाल विवाह को खत्म करने के लिए महिला व बाल विकास विभाग ने गैर सरकारी संस्था यूनिसेफ की मदद से “सक्षम” नामक सार्थक पहल की है। इस पहल को मराठावाडा विभाग के अंतर्गत औरंगाबाद, जालना, उस्मानाबाद व नांदेड में विशेष रुप से लागू किया गया है। इस पहल के जरिए विशेष कदम उठाकर यहां बाल विवाह को कम करना है। जिला प्रशासन की मदद से इन पांच जिलों में बाल विवाह पर लगाम लगाने के लिए जिला कार्यदल भी बनाया गया है। इससे पहले यह प्रोजेक्ट परभणी, बीड, नाशिक, जलगांव सहित अन्य जिलों में लागू हो चुका है।

सरकार ने कोर्ट को यह जानकारी बाल विवाह के मुद्दे को लेकर दायर जनहित याचिका के जवाब में दायर हलफनामे में दी है। याचिका में मुख्य रुप से राज्य में बाल विवाह प्रतिबंधक कानून (पीसीएमए) को सख्ती से अमल में लाने की मांग की गई है।  पीसीएमए कानून के तहत 21 साल से कम उम्र के लड़के व 18 साल से कम आयु की लड़की के विवाह पर रोक है। याचिका के अनुसार इस कानून पर प्रभावी ढंग से अमल नहीं हो रहा है। इस विषय पर सामाजिक कार्यकर्ता नंदिनी जाधव सहित अन्य लोगों ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि राज्य में सालाना एक लाख बाल विवाह होते हैं। 

1767 बाल विवाह रोके गए

हलफनामे के अनुसार साल 2018- 2022 के बीच कुल 1767 बाल विवाह रोके गए हैं। इन मामलों को लेकर एक साल में कुल 67 एफआईआर दर्ज की गई है। लगातार फैलाई जा रही जागरुकता के चलते बाल विवाह के बारे में सूचना मिलने में बढोतरी हो रही है। हलफनामा में मुख्य रुप से सरकार की ओर से बाल विवाह को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई है। हलफनामे के अनुसार सरकार का उद्देश्य बाल विवाह को पूरी तरह से खत्म करना है। इसके लिए 352 तहसिलों में जागरुकता व प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। इसके अलावा ग्राम बाल संरक्षण कमेटी के 20 हजार सदस्यों को जागरुक किया गया है। हलफनामे के मुताबिक सरकार बाल विवाह से छुड़ाए गए बच्चों का सरकारी योजना के तहत पुनर्वास भी करती है। हलफनामे के मुताबिक चूंकि बाल विवाह समाजिक, पारिवारिक व आर्थिक मुद्दे से जुड़ा मामला है इसलिए इस मामले में काफी सावधानी व सर्तकता से कदम उठाए जाते हैं। 

याचिका के मुताबिक कम उम्र में विवाह होने के चलते लड़की के जीवन में विपरीत असर पड़ता है। लड़किया शिक्षा व अच्छी सेहत पाने के अधिकार से वंचित हो जाती हैं। कम आयु में विवाह के चलते वे जल्दी गर्भवती हो जाती हैं। इसका उनकी सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है। 

 

Created On :   13 Jun 2022 9:30 PM IST

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