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श्रमिक ट्रेनों के खाली जाने से सरकार को हुआ 42 लाख का नुकसान
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि कोरोना के चलते प्रवासी मजदूरों को पिछले महीने गांव भेजने के लिए चलाई गई श्रमिक ट्रेनों के कारण सरकार को 42 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। क्योंकि ज्यादातर ट्रेनें खाली गई। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को हलफनामा दायर कर बताने को कहा कि सरकार ने कितनी ट्रेन चलाई और उनसे कितने मजदूर गए। अदालत ने यह भी पूछा है कि इस पर कुल कितने खर्च हुए हैं। हाईकोर्ट में प्रवासी मजदूरों के मुद्दे को लेकर सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में कोरोना के प्रकोप के चलते प्रवासी मजदूरों की पीड़ा को दर्शाया गया है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति अजय गडकरी की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी ने कहा कि पिछले महीने प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक एक्सप्रेस की व्यवस्था की गई थी लेकिन इन ट्रेनों में सिर्फ 3551 लोगों ने सफर किया। एक दिन तो पुणे से चली ट्रेन में सिर्फ 49 यात्री थे। खाली गई ट्रेनों के चलते सरकार को 42 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अब बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर वापस अपने गांव से काम के लिए महाराष्ट्र आ रहे हैं।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता रोनिता भट्टाचार्य ने कहा कि अभी भी उत्तर प्रदेश, बिहार व पश्चिम बंगाल के मजदूर गांव जाने के लिए ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इन दलीलो को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता उन मजदूरों की संख्या का पता लगाए जो गांव जाने के इच्छुक हैं। खंडपीठ ने पूछा कि मजदूर जिस राज्य में जाना चाहते है क्या उन्हें वहां जाने दिया जा रहा है। अदालत ने राज्य सरकार को इस मामले को लेकर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।
Created On :   5 Aug 2020 4:56 PM IST