बीड़ में शवों की बेकदरी पर चिंता : अदालत ने कहा - कोरोना से मरने वालों की अंत्येष्टि के लिए व्यवस्था बनाए सरकार

Government should make arrangements for funerals of those who died from Corona - HC
बीड़ में शवों की बेकदरी पर चिंता : अदालत ने कहा - कोरोना से मरने वालों की अंत्येष्टि के लिए व्यवस्था बनाए सरकार
बीड़ में शवों की बेकदरी पर चिंता : अदालत ने कहा - कोरोना से मरने वालों की अंत्येष्टि के लिए व्यवस्था बनाए सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने श्मशान घाट में कोरोना से मरनेवालों के शवों की अंत्येष्टि करने से जुड़ी अव्यवस्था पर कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार  व मुंबई महानगर पालिका से जानना चाहा है कि ऐसे शवों की अंत्येष्टि करने की दिशा में कौन से कदम उठाए गए हैं और श्मशान घाट पर क्या स्थिति है। कोर्ट ने कहा कि शवों के अंतिम संस्कार के लिए घंटो इंतज़ार न कराया जाए। क्योंकि शव के साथ श्मशान घाट पर रिश्तेदार घंटों कतार में खड़े दिख रहे हैं। इसलिए राज्य सरकार व स्थानीय निकाय इसके लिए व्यवस्था बनाए। प्रसंगवश कोर्ट  ने बीड़ जिले का उदाहरण दिया। जहां एम्बुलेंस में शव के ऊपर शव रखे हुए थे और इसका  इंतजार किया जा रहा था कि शवों की अंत्येष्टि करने के लिए कब मौका मिलेगा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में एक दूसरे पर जवाबदारी ढकेलने की बजाए सभी लोग मिलकर काम करे। अदालत ने कहा कि बीड़ ही नहीं पूरे राज्य में शवों की अंत्येष्टि करने में अव्यवस्था नजर आ रही है। इसलिए हर जिले के जिलाधिकारी व तहसीलदार को इस विषय पर निर्देश जारी किए जाए। मुंबई में भी स्थिति ठीक नहीं है। यहां पर भी शवों को नष्ट करने के लिए लंबी कतार है। जबकि गैस व इलेक्ट्रिक से शवों को नष्ट करने की व्यवस्था भी कम कार्य कर रही। जिसे बढ़ाए जाने की जरुरत है औऱ इसको लेकर  वैकल्पिक व्यवस्था भी बनाने की भी आवश्यकता है।  

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि यदि श्मशान भूमि में शवों को नष्ट करने की व्यवस्था नहीं है तो अस्पताल से शवों को न छोड़ा जाए। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि शवों को नष्ट करने की व्यवस्था बनाना महानगर पालिका व स्थानीय निकायों की जवाबदारी है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि इस विषय पर एक दूसरे पर जिम्मेदारी ढकेलने की बजाय सभी को समन्वय बना कर कार्य करना चाहिए। जिससे लोगों की परेशानी को कम किया जा सके। 

इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील एस. पुरोहित ने खंडपीठ ने के सामने कहा कि मुंबई में कोरोना के चलते मौत का शिकार होने वाले शवों की अंत्येष्टि करने में दिक्कतें आ रही है। लोगों को टोकन लेकर शव की अंत्येष्टि करने के लिए लंबी कतार में खड़ा होना पड़ता है। जबकि शव जितनी देर बाहर रहेगा। उससे कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा बना रहेगा। उन्होंने ने कहा कि अस्पतालों मुर्दाघर में भी शवों को रखने की ज्यादा जगह नहीं है। इसलिए जरूरी है कि शवों की अंत्येष्टि की व्यवस्था बढ़ाई जाए। यह मुंबई ही नहीं सारे राज्य में जरूरी है। क्योंकि हर जगह कोरोना से मरनेवालों की संख्या बढ़ रही है। मुंबई में गैस व इलेक्ट्रिक से शव की अंत्येष्टि करने की व्यवस्था को बढ़ाने की जरूरत है। 
 
इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले का संज्ञान लेते हुए सरकार व मुंबई मनपा को कोविड से मरनेवाले लोगों के शवों को नष्ट करने के लिए किए गए उपायों की जानकारी देने को कहा औऱ मामले की सुनाई 29 अप्रैल 2021 तक के लिए स्थगित कर दी। 


हाईकोर्ट ने नहीं दी दोबारा अस्पताल खोलने की अनुमति

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महानगर से सटे भांडुप इलाके में स्थित ड्रीम मॉल में आग हादसे का शिकार हुए सन राइस अस्पताल को दोबारा शुरू करने के संदर्भ में आदेश जारी करने से इंकार कर दिया। इसी अस्पताल में  25 मार्च 2021 को लगी आग के चलते 11 मरीजों की मौत हो गई थी। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि फिलहाल हम इस मामले में कोई आदेश नहीं जारी करेंगे। इस मामले में अभी इंतजार किया जा सकता है। इस संबंध अस्पताल को चलाने वाली कंपनी प्रिविलेज हेल्थ केयर सर्विस प्राइवेट लिमिटेड ने याचिका दायर की है। याचिका में मुख्य रूप से मुंबई महानगर पालिका के उस निर्णय को चुनौती दी गई है जिसके तहत अस्पताल को जारी की गई प्रोविजनल ओसी को रद्द कर दिया गया है। याचिका के मुताबिक अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति के साथ 250 बेड है। सुनवाई के दौरान मनपा की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने कहा कि अस्पताल की बिजली काट दी गई है और इमारत को सील कर दिया गया है। अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। इसके अलावा मॉल के मालिक व याचिकाकर्ता कंपनी के निदेशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने कहा कि अस्पताल में आग नहीं लगी थी। आग मॉल की पहली मंजिल पर लगी थी। मरीजों की मौत आग में जलने के कारण नहीं हुई है। उनकी मौत दम घुटने से हुई है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले में कोई आदेश जारी करने से इंकार कर दिया। और मामले की सुनवाई जून तक के लिए स्थगित कर दी। 
 

Created On :   27 April 2021 6:32 PM IST

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