तेवर दिखा गई सरकार, जानिए कैसी रही सदन की पूरी कार्यवाही

Government showed its attitude, know how entire proceedings in House
तेवर दिखा गई सरकार, जानिए कैसी रही सदन की पूरी कार्यवाही
तेवर दिखा गई सरकार, जानिए कैसी रही सदन की पूरी कार्यवाही

डिजिटल डेस्क ,नागपुर। सप्ताह भर के लिए उपराजधानी में आयी सरकार अपने तेवर दिखा गई। कई प्रश्न थे, उत्सुकताएं थीं। विधानसभा में प्रश्नोत्तर नहीं , पर प्रश्न था कि छ: मंत्रियों के बल पर छ: दिन में शिवसेना प्रमुख कौन सा तीर चला लेंगे। विपक्ष तना व मुद्दों पर तमतमाया भी था। पहले ही दिन विपक्ष ने नैतिकता व वचन निभाने का ताना मारा। दूसरे दिन सवा घंटे भी सभा नहीं चल पायी। अतिवृष्टि का शोर, सावरकर की गूंज। नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस भारी दिखे। तीसरे दिन सरकार छायी। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सादगी व संयमता के आव्हान के साथ विपक्ष की खिंचाई की। जैसा प्रश्न, वैसा उत्तर। राजकाज में संतों , महापुरुषों की सीख स्मरण कराने का दौर भी चला। कपट की राजनीति पर मुख्यमंत्री बोले-जो तुम कर चुके हो वही हम कर रहे हैं। विचारधारा , मित्रता सीखने की हमें आवश्यकता नहीं। व्यंग्य बाण के साथ दावा यह कि आपने ही सिखाया है, राजनीति का पाठ।

राजनीति तो जुआ है। जुआ में सदैव धर्म पराजित हुआ है। हम धर्म को राजनीति मानते रहने की भूल सुधारने निकल पड़े है। खैर,कामकाज के लिए विपक्ष ने भी सहयोग का हाथ फैलाया। बैनर को लेकर झुमाझटकी को छोड़ सभा में शांति बनी रही। नये सदस्यों को सबसे अधिक बोलने देने पर बहुमत था। सबको बोलने का मौका मिला। दो दिन देर रात तक सभा चली। विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले विदर्भ के मुद्दों पर अधिक समय देने के प्रयासों में सफल होते रहे। 7 विधेयक पेश किए गए। 2 मंजूर भी हो गए। मुख्यमंत्री रहे नेता प्रतिपक्ष मुख्यमंत्री की भूमिका में नजर आते रहे। सरकार के काम गिनाते रहे। मंत्री छगन भुजबल ने कहा भी-मुख्यमंत्री की ओर से दिए जानेवाला उत्तर नेता प्रतिपक्ष दे रहे हैं।

अधिवेशन समापन के दिन मुख्यमंत्री अलग छाप छोड़ गए। सरकार की ओर से राहत, घोषणाओं के समय भाषणों का दौर चलते रहता है। मुख्यमंत्री ने भाषण के बजाय केवल घोषणाओं की सूची पढ़ी। कर्जमाफी का मुद्दा विपक्ष के एजेंडे में ही नहीं था। विपक्ष की ओर से पहले दिन से ही कहा जा रहा था कि कर्जमाफी की मांग नहीं की जा रही है। समझा जा सकता है कि सरकार नई है। राज्य की स्थिति को समझने के लिए सरकार को समय दिया जाना चाहिए। मुद्दा केवल यही है कि सितंबर , अक्टूबर में घर, फसल बहाकर ले जानेवाली बरसात के नुकसान की भरपाई कब होगी। उद्धव ने खेत पर जाकर कहा था कि किसानों को नुकसान भरपाई के लिए 25 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर दिलाएंगे। केवल वह वचन ही पूरा कर दिखाएं।

मुख्यमंत्री ने घोषणाओं की पोटली खोली तो प्रश्न धरे रह गए। किसानों के लिए 2 लाख तक की कर्जमाफी के अलावा विदर्भ व विदर्भ के जिलों के लिए अलग अलग घोषणाएं की। शिवसेना अलग विदर्भ राज्य की विरोधी है। मुख्यमंत्री ने विदर्भ से रिश्ता बयां किया। अमरावती जिले की दादी को याद कर कहा,विदर्भ से दादाजी का प्रेम मिलता रहेगा। विदर्भ विकास के लिए सब मिलकर काम करेंगे। 

Created On :   22 Dec 2019 5:05 PM IST

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