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ओबीसी आरक्षण बहाली के लिए अध्यादेश जारी करेगी सरकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के तर्ज पर आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा में रहते हुए महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के राजनीतिक आरक्षण बहाली के लिए राज्य सरकार अध्यादेश जारी करेगी। इससे राज्य में ओबीसी का अधिकतम आरक्षण 27 प्रतिशत हो सकेगा। जबकि ओबीसी समेत सभी पिछड़े वर्गों का कुल आरक्षण राज्य में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल ने ग्रामपंचायत अधिनियम में संसोधन करके ओबीसी आरक्षण के लिए अध्यादेश जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। राज्य के ग्रामीण विकास विभाग ने मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र ग्रामपंचायत अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्ताव रखा था। अध्यादेश जारी होने के बाद राज्य में ओबीसी को अधिक से अधिक 27 प्रतिशत आरक्षण मिल सकेगा। जबकि ओबीसी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का एकत्रित आरक्षण मिलाकर 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र ग्रामपंचायत अधिनियम की धारा 10, उपधारा (2) के खंड (ग) और धारा कलम 30, उपधारा (4) के खंड (ब) और महाराष्ट्र जिला परिषद व पंचायत समिति अधिनियम की आधार 12, उपधारा (2) के खंड (ग), 42, उपधारा (4) के खंड (ब), धारा 58, उपधारा (1 ब) के खंड (क) और धारा 67, उपधारा (5) का खंड (ब) में संशोधन को स्वीकृति दी गई है। राज्य के खाद्य, नागरिक आपूर्ति व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि आरक्षण की 50 प्रतिशत की मर्यादा में रहकर ओबीसी आरक्षण लागू करने का फैसला किया गया है। इससे अध्यादेश जारी होने से राज्य में ओबीसी की 10 से 12 प्रतिशत सीटें कम हो जाएंगी। जिन जिलों में एसटी और एससी की जनसंख्या के अनुपात में सीटें अधिक होंगी उन जिलों में ओबीसी आरक्षण कम हो जाएगा। भुजबल ने दावा किया कि अध्यादेश 6 जिलों में घोषित जिला परिषद और पंचायत समितियों के उप चुनावों में भी लागू होगा। भुजबल ने कहा कि विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में अध्यादेश को सदन में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। इससे बाद इससे संबंधी कानून को स्वीकृति मिल जाएगा। भुजबल ने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी के एम्पिरिकल डाटा केंद्र सरकार के जरिए उपलब्ध कराने की मांग की है। सरकार की एम्पिरिकल डाटा उपलब्ध कराने के लिए अदालत में लड़ाई जारी रहेगी। भुजबल ने कहा कि अध्यादेश के खिलाफ कोई अदालत में जाएगा तो हमें विश्वास है कि वहां पर अध्यादेश कायम रहेगा। इसके पहले राज्य में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा होने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को रद्द कर दिया था। सरकार ने अब अध्यादेश जारी करके ओबीसी आरक्षण बहाल करने का फैसला किया है।
डॉ तायवाडे ने बनाना इस्तीफा देने का मन
उधर राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता डॉ बबनराव तायवाडे ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा आयोग के सदस्य से इस्तीफा देने का मन बना लिया है। उन्होंने बुधवार को यहां भास्कर से बातचीत में अपना ये इरादा ज़ाहिर किया है। हालांकि उन्होंने तारीख का कोई जिक्र नहीं किया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से वे ओबीसी समुदाय के अधिकारों को लेकर लड़ाई लड़ रहे है। संगठन की राष्ट्र व्यापी ताकत और संघर्ष के बदौलत सरकार को ओबीसी के ऐसे कई मुद्दे है जिन्हें सरकार को मानने के लिए मजबूर किया है। पिछले सात साल से ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने की मांग कौ लेकर आवाज बुलंद कर रहे है, लेकिन ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य पिछड़ा आयोग, जिसका मै सदस्य हूं अगर ओबीसी के आरक्षण को बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकता है तो उन्हें इस पद पर क्यों बने रहना चाहिए? यह सोचकर और अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हुए मैने आयोग के सदस्य का इस्तीफा देने का मन बना लिया है और जल्द ही वे इसकी अधिकृत घोषणा भी करने जा रहे है। डॉ तायवाडे कहते है कि आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कैप से ओबीसी समुदाय का नुकसान ही कई संवैधानिक लाभों से भी वंचित हो गया है। केन्द्र सरकार संविधान में संशोधन कर इसका समाधान कर सकती है। सरकार के कान में जूं तब रेंगेगी जब उस पर दबाव बनाया जायेगा। वे कहते है कि संवैधानिक संस्थान में रहकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करना संभव नहीं है। लिहाजा समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझकर वे आयोग के सदस्य पद का इस्तीफा देकर आरक्षण की सीमा बढाने के लिए संविधान में संशोधन कराने की मांग को लेकर सड़क की लड़ाई शुरु करेंगे।
Created On :   15 Sept 2021 8:07 PM IST