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पिता के पास रहने वाली बच्ची से नाना-नानी को भी मिलने का अधिकार, अदालत ने ली बाल मनोवैज्ञानिक की मदद
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि बच्ची भले ही अपने पिता के पास रहेगी लेकिन नाना-नानी को भी बच्ची से मिलने का हक होगा। बच्ची के कल्याण के लिए मामले से जुड़े पक्षकार अपने रिश्तों को सौहार्दपूर्ण रखे। इससे पहले बच्ची के नाना-नानी ने यह कहकर बच्ची को पिता को सौपने से मना कर दिया था कि यदि बच्ची को अचानक पिता को सौपा गया तो इससे बच्ची के जीवन में व्यवधान पैदा होगा। इसके बाद कोर्ट ने एक बाल मनोवैज्ञानिक की नियुक्ति की थी। ताकि बच्ची को सौपने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके। नाना-नानी के इस रुख के मद्देनजर पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में बच्ची को सौंपने का निर्देश देने की मांग की गई थी।मामले से जुड़े याचिकाककर्ता(पिता) का विवाह फरवरी 2015 में हुआ था। 2017 में बच्ची का जन्म हुआ था। इस बीच बच्ची के माता-पिता के बीच अनबन शुरु हो गई। जिससे मां बच्ची को लेकर अपने मायके चली गई। अगस्त 2018 में बीमारी के चलते बच्ची की मां की मौत हो गई। लिहाजा बच्ची अपने नाना-नानी के पास रहने लगी। याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा था कि वह बच्ची का जैविक पिता है। उसे बच्ची को अपने पास रखने का अधिकार है। ऐसे में बच्ची के नाना-नानी द्वारा बच्ची को न सौपने का रुख अतार्किक है।
न्यायमूर्ति अजय गड़करी की खंडपीठ के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ को बताया गया कि मनोवैज्ञानिक की मंजूरी के बाद बच्ची को उसके पिता को सौप दिया गया और बच्ची अपने पिता के साथ खुश है। इसके बाद खंडपीठ ने कहा कि बच्ची भले पिता के पास रहेगी लेकिन नाना-नानी को भी बच्ची से मिलने का अधिकार होगा। बच्ची के कल्याण के लिए मामले से जुड़े पक्षकार अपने रिश्ते को सौहार्दपूर्ण रखें।
Created On :   7 Dec 2022 9:55 PM IST