मामूली बदलाव से पुरानी इमारतों को बनाया ग्रीन बिल्डिंग- यांत्रिकी अभियंता का अनूठा प्रयोग
डिजिटल डेस्क, नागपुर, नीरज दुबे | ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को देखते हुए कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए विश्व भर में प्रयास हो रहे हैं। ऐसे में पारंपारिक बिजली के विकल्प के रूप में सौर ऊर्जा व्यवस्था को अपनाया जा रहा है। इस तर्ज पर जिला परिषद के यांत्रिकी अभियंता नीलेश मानकर ने आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य केद्र और स्कूलों की पुरानी इमारतों को ग्रीन इमारत में तब्दील करने का प्रोजेक्ट साकार किया है। खास बात यह है कि इस प्रयोग से इमारतों की स्थिति में सुधार के साथ ही सौर ऊर्जा व्यवस्था को भी साकार किया जा रहा है। करीब 5 माह पहले यूनिसेफ की टीम ने प्रयोग को देखकर जिले की 25 जर्जर इमारतों को आर्थिक अनुदान देने का फैसला किया है। इसमें से पहले चरण में करीब 7 इमारतों को यूनिसेफ ने 16 लाख रुपए खर्च कर बदलाव भी कर दिया है।
फिर संकल्पना तैयार की
जिला परिषद के यांत्रिकी विभाग के अभियंता ने ग्रामीण इलाकों में आंगनवाड़ी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और स्कूल इमारतों की बुरी स्थिति को देखा। इन इमारतों की छतों पर सुरक्षा दीवार नहीं होने से बरसाती पानी व्यर्थ बह जाने के साथ छत में लीकेज की समस्या भी पैदा हो रही। इस समस्या को दूर कर मामूली खर्च में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सौर ऊर्जा प्रकल्प को जोड़कर ग्रीन इमारत संकल्पना तैयार की है। अदासा मंदिर के सभागृह, 9 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की इमारतों को अब तक प्रयोग से जोड़ा गया है। अब यूनिसेफ के सहयोग से 25 अन्य दुर्गम और दूरदराज के इलाकों की सरकारी इमारतों को ग्रीन इमारत में तब्दील किया जा रहा है।
यांत्रिकी अभियंता नीलेश मानकर ने अपने प्रयोग के लिए अदासा गणेश मंदिर के सभागृह को चयन किया। करीब 4.50 लाख रुपए की लागत से सभागृह के लीकेज को बंद कर रेन वाटर हार्वेस्टिंग कर दिया गया। ऐसे में अब सभागृह में भीषण गर्मी में कूलर की बजाय पंखों के इस्तेमाल से बिजली बचत होने के साथ कई तरह के लाभ हो रहे हैं। इस प्रयोग के सफल होने के बाद नगरधन, गोंडखैरी, भांडारबोड़ी, धानला समेत करीब 9 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की इमारतों को भी ग्रीन इमारत में तब्दील कर दिया गया है। पुणे में 22 से 24 सितंबर 2022 को आयोजित राष्ट्रीय उर्जा एवं जल व्यवस्थापन कार्यशाला में यूनिसेफ की तकनीकी टीम ने मॉडल को सराहा था। इसके बाद यूनिसेफ की टीम ने जिले का दौरा कर ग्रीन इमारत को पूरा करने के लिए 25 इमारतों का चयन किया है। इसमें से पहले चरण में 7 इमारतों को ग्रीन इमारत में तब्दील किया जा चुका है।
यांत्रिकी अभियंता नीलेश मानकर ने मई 2020 में कोरोना लॉकडाउन के दौरान जिले की इमारतों का सर्वेक्षण किया था। इस दौरान इमारतों की छत पर सुरक्षा दीवार नहीं होने से लीकेज के साथ ही बरसाती जल के व्यर्थ बह जाने की जानकारी मिली। ऐसे में जलशक्ति अभियान के तहत ग्रीन प्रोजेक्ट की संकल्पना तैयार की। इस संकल्पना में पुरानी और जर्जर इमारतों की छतों को सीमेंट की सहायता से क्यूरेट कर वाटरप्रूफिंग की गई, ताकि छत के लीकेज से निजात मिले। इसके बाद छत पर सफेद रंग का वाटरप्रूफ पेंट लगाया गया, ताकि छत लीकेज प्रूफ होने के साथ ही इमारत के भीतर के तापमान को भी कम कर सके। अब छत पर आने वाली धूप को इस्तेमाल कर सौर ऊर्जा पैनल लगाकर बिजली उत्पादन भी आरंभ कर दिया गया। ऐसे में अब छतों के इस्तेमाल के साथ ही इमारत की स्थिति में भी सुधार हो गया है।
काटोल तहसील के मोहगांव (ढोले) की आंगनवाड़ी और स्कूल इमारत में।
कोंढासावली की जिप स्कूल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग।
भिवापुर में नांद प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में सोलर पंप, रेन वाटर हार्वेस्टिंग और सौर ऊर्जा प्रकल्प।
नागपुर ग्रामीण के भानसोली स्कूल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग।
ग्रामीण के पिलकापार स्कूल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग और सौर ऊर्जा प्रकल्प।
हिंगना के भानसोली स्कूल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग।
पारसिवनी में गहूहिवरा आंगनवाड़ी और कांन्द्री में आंगनवाड़ी इमारत में रेन वाटर हार्वेस्टिंग।
यूनिसेफ से 7 प्रोजेक्ट के लिए सहायता
नीलेश मानकर, उप अभियंता (यांत्रिकी), यांत्रिकी उपविभाग के मुताबिक पिछले साल सितंबर में राष्ट्रीय कार्यशाला में जिप के ग्रीन प्रोजेक्ट को सराहा गया है। यूनिसेफ की टीम ने मॉडल को प्रत्यक्ष निरीक्षण कर जिले की 25 ग्रामीण इमारतों को चयन किया है। पहले चरण में 7 आंगनवाड़ी और स्कूल की इमारतों को ग्रीन इमारत में तब्दील करने के लिए 16 लाख का अनुदान दिया है।
Created On :   13 March 2023 5:36 PM IST