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बिजली तारों की चपेट में आया सारस, इलाज के लिए नागपुर रैफर
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। लोहारा गांव के पास कुछ लोगों ने सारस पक्षी को घायल अवस्था में देखा, जिसके बाद उसे बचाने की कोशिश की गई। सारस बिजली तारों की चपेट में आ गया था। जिसके कारण वो घायल हो गया। गंभीर हालत में उसे इलाज के लिए पशु वैधकीय अस्पताल ले जाया गया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर ने इलाज के लिए उसे नागपुर रैफर कर दिया। सारस मित्र सावन बहेकार के मुताबिक पक्षी तारों की चपेट में आकर बुरी तरह घायल हो गया था।
ठीक से खड़ा नहीं हो पा रहा सारस
खास बात है कि सारस महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में ही पाया जाता है। जिसकी देखभाल के लिए प्रशासनिक तौर पर योजनाएं चलाई जा रही है। घटना के दौरान सारस को इतनी गंभीर चोटें आई थी कि वो ना तो खड़ा हो पा रहा था और ना ही चल पा रहा था। उसे जैसे तैसे अस्पताल लाया गया था। जहां से उसे उपराजधानी रैफर किया गया। जहां जानवरों और पशुओं का इलाज करने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं। साथ ही उसकी अच्छे से देखभाल हो सकेगी।
सारस से जुड़े कुछ तथ्य
सारस विश्व का सबसे बड़ा और उड़ने वाला पक्षी है। इस पक्षी को क्रौंच के नाम से भी जानते हैं। पूरे विश्व में भारत में इस पक्षी की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है। सबसे बड़ा पक्षी होने के अलावा इस पक्षी की कुछ अन्य विशेषताएं भी हैं, जो इसे विशेष महत्व देती हैं। उत्तर प्रदेश के इस राजकीय पक्षी को गंगा के मैदानी भागों और भारत के उत्तरी और उत्तर पूर्वी और इसी प्रकार के समान जलवायु वाले अन्य भागों में देखा जा सकता है। भारत में पाए जाने वाला सारस यहां के स्थाई प्रवासी होते हैं और एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहना पसंद करते हैं।
पूरे विश्व में कुल आठ प्रजातियां
सारस को ग्रस एंटीगोन (Grus antigone) कहते हैं। जो सफेद-सलेटी रंग के परों से ढका होता है। कलगी की त्वचा चिकनी होती है। ऊपरी गर्दन और सिर के हिस्सों पर गहरे लाल रंग की थोड़ी खुरदरी त्वचा होती है। इनका औसत भार 7.3 किलो ग्राम तक होता है। पूरे विश्व में कुल आठ प्रजातियां पाई गई हैं। जिनमें चार भारत में पाई जाती हैं। जबकि पांचवी साइबेरियन क्रेन भारत में साल 2002 में ही विलुप्त हो चुकी है।
Created On :   20 Dec 2017 5:41 PM IST