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ग्वारीगाँव को मिलेगा सीधा रास्ता, टेण्डर फाइनल प्रक्रिया में, परिक्रमा वासियों के लिए भी साबित होगा उपयोगी
डिजिटल डेस्क जबलपुर । भेड़ाघाट में सरस्वतीघाट से उस पार ग्वारीगांव तक जो 450 मीटर का नदी ब्रिज बनना है उसके लिए टेण्डर अब फाइनल प्रक्रिया में आ गया है। बीते 3 साल से यह ब्रिज अटका हुआ था जिसको हालही में लोक निर्माण सेतु ने प्रक्रिया में लाकर टेण्डर को लगभग फाइनल रूप दे दिया है। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के अनुसार भोपाल में इसकी प्रक्रिया पूरी होने में अब ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। संभावना है कि इसकी प्रक्रिया पूरी होकर बारिश के बाद ठण्ड के एकदम शुरुआती दिनों में इसमें काम भी चालू हो सकता है। लोक निर्माण सेतु के ईई नरेन्द्र शर्मा के अनुसार स्थाीनय स्तर पर जो टेक्नीकल प्रक्रिया इसके टेण्डर की होती है वह पूरी कर ली गई है। जो भी वर्क है वह भोपाल स्तर पर होना है। यदि पूरी तरह से अनुमति मिलती है तो इसका निर्माण चालू होने में वक्त नहीं लगेगा। गौरतलब है कि कई बार इस ब्रिज की टेण्डर प्रोसेस निरस्त हो चुकी है। कई तरह की तकनीकी विसंगति इसमें बताई गई जिसके चलते इसका निर्माण एक तरह से कैंसल कर दिया गया था पर अब एक इसका निर्माण कार्य जल्द चालू होने की संभावना बनी है। ब्रिज को 28 करोड़ की लागत से नर्मदा के इस पार से उस पार तक आधुनिक मैथड से बनाया जाना है। इसके बनने से नर्मदा परिक्रमावासियों को इस पार से उस पार जाना आसान होगा।
* ब्रिज की कुल लंबाई 450 मीटर होगी।
* कुल निर्माण लागत है 28 करोड़ रुपए।
आसपास यह पाँचवा ब्रिज होगा
नर्मदा नदी के ऊपर 1992 में नया डक्ट ब्रिज तैयार किया गया। इसके बाद एकता चौक से चूल्हा गुलाई तक एक ब्रिज तैयार हुआ। फिर तिलवारा में डक्ट ब्रिज के नजदीक फोरलेन सड़क के लिए 2 साल पहले एक नया ब्रिज तैयार हुआ। लम्हेटा से लम्हेटी तक केबल स्टे ब्रिज प्रक्रिया में है इन 4 ब्रिजों के अलावा यदि सरस्वतीघाट से ग्वारीगांव तक निर्माण चालू हो जाता है तो यह नर्मदा पर हालही के समय में आसपास पाँचवा ब्रिज होगा।
नैसर्गिक सुंदरता के सबसे नजदीक
सरस्वतीघाट से ग्वारीगांव का ब्रिज नर्मदा के विहंगम और प्राकृतिक स्वरूप के सबसे नजदीक कोई पक्की संरचना का िनर्माण होगा। अभी तब बने ब्रिज सीधे नदी के उन हिस्सों में बने जहाँ पर ज्यादा चट्टानें नहीं हैं लेकिन इस ब्रिज के नजदीक संगमरमरी चट्टानें भी हैं। यहीं पर नजदीक ही सवा लाख साल पुराने जलोदर भी हैं जो प्रकृति के हिसाब से बेहद अहम हैं। इनको किसी तरह का नुकसान न हो यह जियो एक्सपर्ट के अनुसार बेहद आवश्यक हैं।
Created On :   25 Aug 2021 3:05 PM IST