रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग अनिवार्य होता तो ब्यर्थ न बह पाता लाखों लीटर पानी

Had rain water harvesting become compulsory, millions would not have liters of water
रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग अनिवार्य होता तो ब्यर्थ न बह पाता लाखों लीटर पानी
रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग अनिवार्य होता तो ब्यर्थ न बह पाता लाखों लीटर पानी

जनहित याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की दलील, सरकार व ननि को जवाब पेश करने हाईकोर्ट ने दी मोहलत
 डिजिटल डेस्के जबलपुर ।
कानून में प्रावधान होने के बाद भी पूरे प्रदेश में रेन वॉटर सिस्टम को अनिवार्य न किए जाने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। उन्होंने बीते रविवार को शहर में हुई बारिश का हवाला देकर कहा कि यदि शहर में ही वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य होता तो निश्चित रूप से लाखों लीटर बारिश का पानी व्यर्थ बहने के बजाए जमीन में जाता और शहर का जलस्तर कुछ हद तक बढ़ जाता। युगलपीठ ने मामले पर जवाब पेश करने के लिए राज्य सरकार व जबलपुर नगर निगम को समय देकर सुनवाई 7 अक्टूबर तक के लिए मुलतवी कर दी। 
इस मामले में याचिकाकर्ता श्री संघी का आरोप है कि भूमि विकास नियम की धारा 80 में रेन-वॉटर-हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने पर ही मकान का नक्शा स्वीकृत किये जाने का प्रावधान है। नियम का कड़ाई से पालन नहीं किये जाने के कारण अकेले जबलपुर शहर में ही हर साल की बारिश में करीब 25 अरब लीटर पानी व्यर्थ में बह जाता है। कमोबेश यही स्थिति पूरे प्रदेश की है। आरोप यह भी है कि नक्शा पास करने के दौरान नगर निगम द्वारा शुल्क तो ले लिया जाता है, लेकिन रेन-वॉटर-हार्वेस्टिंग का प्रावधान कागजों तक ही सीमित रह जाता है। इस बारे में अनावेदकों को उचित निर्देश दिए जाने की प्रार्थना करते हुए यह याचिका दायर की गई।

Created On :   18 Aug 2020 2:55 PM IST

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