- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- कटनी
- /
- स्कूली बच्चे पैर घसीट कर चलते रहे...
स्कूली बच्चे पैर घसीट कर चलते रहे और स्टोर रूम में जंग खाते रहे कैलिपर्स
डिजिटल डेस्क, कटनी। दिव्यांग स्कूली बच्चों को शासन द्वारा दिये जाने वाले कैलिपर्स वितरण में हद दर्जे की लापरवाही की गई। यहां बिना कैलिपर्स के स्कूली बच्चे घसट कर चलते रहे और वहां स्टोर रूम में कैलिपर्स पड़े - पड़े धूल खाते रहे और अंतत: जंग खाकर बेकार भी हो गए। बताया गया है कि शासकीय स्कूलों में अध्ययनरत अस्थि बाधित विद्यार्थियों के लिए मंगाए गए कैलिपर्स में बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। लाखों रुपए के 120 कैलिपर्स को बच्चों के पैरों में पहनाया जाता कि इसके पहले ही ये उपकरण पूरी तरह से बेकार हो गए। चार वर्ष के अंतराल में शिक्षा विभाग के अफसर ने तो दिव्यांग बच्चों की सुध ली, और न ही उन कैलिपर्स की तरफ दोबारा मुड़कर दे,खा जिस उपकरण से बच्चों को चलने लायक बनाया जा सकता था। विभागीय अधिकारी इसमें कंपनी की लेट-लतीफी बताते हुए कह रहे हैं कि जब तक कैलिपर्स बनकर आता, तब तक बच्चों के पैर बड़े हो गए थे। जिसके चलते कैलिपर्स का वितरण नहीं किया गया।
शिविर में हुए थे चिन्हित
चार वर्ष पहले यह शिविर जिला स्तर पर लगाया गया था। शिविर में कंपनी के प्रतिनिधि भी आवश्यक दिव्यांग उपकरण लेकर पहुंचे थे। यहां पर तो कई उपकरण विद्यार्थियों को दिए गए, लेकिन जिस उपकरण की अधिक जरुरत बच्चों को रही। उसी उपकरण को बनाने की चाल सुस्त रही। शिविर में दिव्यांग विद्यार्थियों को यह कहकर ले जाया गया कि वहां पर उनकी जांच की जाएगी। इसके बाद आवश्यक उपकरण दिए जांएगे। अस्थिबाधित विद्यार्थियों के पैरों का नाप भी लेते हुए कैलिपर्स बनाने का काम किया गया। इसके बावजूद भी ये कैलिपर्स अस्थि बाधित विद्यार्थियों का सहारा नहीं बन सके।
आठ माह बाद आए कैलिपर्स
उपकरण को बनाने में आठ माह लग गए। इसके बाद जब ये कैलिपर्स शिक्षा विभाग को मिले। तब समय पर इनका वितरण नहीं हो सका। इस संबंध में जिम्मेदार कहते हैं कि इसमें विभाग की कोई गलती नहीं है। कंपनी ने जब कैलिपर्स दिया। तब तक बच्चों के पैरों की साइज बढ़ चुकी थी। प्रारंभिक रुप में कुछ बच्चों के पैरों में पहनाने का भी काम किया गया। लेकिन ये कैलिपर्स बच्चों के पैरों में ठीक ढंग से नहीं बैठे। जिसके चलते स्कूलों से वापस कैलिपर्स को बुला लिया गया।
पांच वर्ष बाद लगा शिविर
दिव्यांग बच्चों की पहचान करते हुए उन्हें उपकरण दिए जाने के लिए पहले तो प्रत्येक दो वर्ष में शिविर लगता रहा, लेकिन 2014 के बाद यह शिविर नहीं लगा। अभी हाल ही में शिविर लगाया गया है। जिसमें अस्थिबाधित के रुप में 1328 विद्यार्थियों की पहचान की गई है। विभाग का कहना है कि चिन्हित बच्चों को अब जरुरत के हिसाब से उपकरण दिलाने का काम किया जाएगा।
इनका कहना है
कैलिपर्स को कंपनी ने ही देरी से सप्लाई किया। इसमें विभाग की कोई गलती नहीं है। आठ माह बाद जो कैलिपर्स मिला, वे कैलीपर्स बच्चों के पैरो में ठीक ढंग से नहीं बैठ रहे थे। जिसकी जानकारी भोपाल स्तर पर दी गई। यहां से कंपनी का भुगतान रोक दिया गया।
- अनिल त्रिपाठी, आईईडी, एपीसी, जिला शिक्षा केन्द्र कटनी
Created On :   21 Jan 2019 2:25 PM IST