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हिरासत में रखने के लिए नहीं कर सकते क्वारेंटाईन सेंटर का इस्तेमाल, आईएलएफएस घोटाले में हरिशंकरन की जमानत रद्द
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है क्वारेंटाईन सेंटर का इस्तेमाल किसी को हिरासत में रखने के लिए नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि क्वारेंटाईन में रखे गए शख्स का फोन जब्त करना व उसकी कोरोना से जुड़ी रिपोर्ट को साझा न करना उचित नहीं है। यह कहते हुए हाई कोर्ट ने महानगर के अंधेरी इलाके में क्वारेंटाईन में रखे गए के नारायणन को क्वारेंटाईन केंद्र से रिहा करने का निर्देश दिया हैं। मंगलवार को न्यायमूर्ति रेवती ढेरे के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति ने कहा कि किसी को भी 14 दिन से अधिक क्वारेंटाईन मे रखने का प्रावधान नहीं है इसलिए किसी को 14 दिन अधिक क्वारेंटाईन में नहीं रखा जा सकता। इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील क्रांति एलसी ने कहा कि के श्री नारायणन लोगों को खाने के पैकेट बाट रहा थे लेकिन पुलिस ने उन्हें 21 अप्रैल 2020 को अवैध रुप से पकड़ कर क्वारेंटाईन में भेज दिया। उनकी कोरोना जांच की रिपोर्ट की जानकारी भी उन्हें नहीं दी गई थी। पुलिस ने उनका फोन भी जब्त कर लिया था। उन्हें उनके परिवार वालों से भी संपर्क नहीं करने दिया गया। नारायणन सेंटर ऑफ इंडिया ट्रैड यूनियन से जुडे हैं। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि पुलिस क्वारेंटाईन में रखे गए नारायणन को गिरफ्तार नहीं करना चाहती। इस बात जानने के बाद न्यायमूर्ति ने उपरोक्त बाते कही और क्वारेंटाईन में रखे गए नरायणन को राहत प्रदान की।
आईएलएफएस घोटाले में हरिशंकरन की जमानत रद्द
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इंफ्रास्ट्रक्चर लिसिंग एंड फाइनेंसियल सर्विसेस (आईएलएफएस) में कथित वित्तीय गड़बड़ी के मामले में आरोपी पूर्व वाइस चेयरमैन हरिशंकरन को दी गई अंशकालिक जमानत को रद्द कर दिया है। निचली अदालत ने शंकरन को 28 अप्रैल 2020 को आठ सप्ताह के लिए अंशकालिक जमानत प्रदान की थी। इसके खिलाफ सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टीगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति सी वी भड़ंग के सामने एसएफआईओ की अपील पर सुनवाई हुई। इस दौरान एसएफआईओ की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता हितेन वेणेगावकर ने कहा कि आरोपी शंकरन व अन्य के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने को लेकर दिए गए आदेश पर हाईकोर्ट ने आठ सप्ताह तक के लिए रोक लगाई है। ताकि एसएफआईओ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके। ऐसे में आरोपी को जमानत देने का आदेश खामीपूर्ण है। इसलिए जमानत आदेश को रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि आरोपी को तलोजा जेल में कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं है। जेल में संक्रमण को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं। इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने आरोपी को जमानत देने संबंधी आदेश को रद्द कर दिया। इसके साथ ही निचली अदालत को नए सिरे से 6 सप्ताह के भीतर आरोपी के जमानत आवेदन पर निर्णय लेने को कहा।
Created On :   5 May 2020 7:46 PM IST