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बिल भुगतान न करने पर शव कब्जे में नहीं ले सकते अस्पताल, मांगा पीएमसी के आरोपियों की संपत्ति का ब्यौरा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। इलाज के पैसे का भुगतान न कर पाने की स्थिति में निजी अस्पताल मरीज का शव अपने कब्जे में नहीं रख सकेंगे। जरुरी कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद शव को उनके रिश्तेदारों को सौपना होगा। यहीं नहीं बिल के भुगतान के आधार पर अस्पताल मरीज को अपनी हिरासत में नहीं रख सकता। राज्य सरकार इसके लिए महाराष्ट्र नर्सिंगहोम रजिस्ट्रेशन से जुड़े नियमों में संसोधन की तैयारी कर रही है। बुधवार को सहायक सरकारी वकील प्राजक्ता शिंदे ने राज्य सरकार के इस आशय की जानकारी बांबे हाईकोर्ट ने दी है। उन्होंने न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने महाराष्ट्र नर्सिंगहोम रजिस्ट्रेशन नियमों में प्रस्तावित संसोधन का मसौदा पेश किया। जिसमें साफ किया गया है कि कानूनी औपचारिकता को पूरा करने के बाद इलाज के दौरान मरीज की मौत हो जाने पर नर्सिंग होम को शव को उसके रिश्तेदार को सौपना होगा। बिल के भुगतान न किए जाने के आधार पर नर्सिंग होम शव को अपने पास नहीं रख सकता। इसके अलावा नर्सिंग होम में भर्ती मरीज के परिजनों को मरीज की बीमारी और उपचार के स्वरुप के बारे में भी जानकारी देना जरुरी होगा। नर्सिंग होम में उपलब्ध विशेषज्ञ डाक्टर की जानकारी व योग्यता से संबंधित सूचना बोर्ड पर लगानी होगी। रिसेप्शन पर शिकायत पुस्तिका भी रखनी होगी। मरीज को उपचार व जांच रिपोर्ट के विषय में दूसरी राय लेने का भी हक होगा। मरीज को डिस्चार्ज कार्ड जारी करना जरुरी होगा जिसमें इलाज का उल्लेख करना आवश्यक होगा। इसके अलावा अस्पतालों की पंजीकरण करने वाले स्थानीय निकाय को अस्पतालों के लिए शिकायत निवारण व्यवस्था भी बनानी होगी। सुनवाई के दौरान एसोसिएशन आफ मेडिकल कंसलटेंट की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रुई राड्रिग्स ने कहा कि हमे सरकार की ओर से तैयार किए गए इस मसौदे के बारे में जानकारी नहीं है। उनके मुवक्किलों को इस मसौदे को लेकर अपने सुझाव व आपत्तियां दर्ज कराने का अवसर मिलना चाहिए। इसके बाद खंडपीठ ने सरकार की ओर से महाराष्ट्र नर्सिंग होम रजिसट्रेशन नियमों में प्रस्तावित संसोधन पर सुझाव देने के लिए दो सप्ताह तक का समय दिया और मामले की सुनवाई 22 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी। हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर कई जनहित याचिकाएं दायर की गई है। जिसमें अस्पताल द्वारा मनमाने बिल व बिल के भुगतान न करने पर मरीज को अस्पातल मेें हिरासत में रखने के मुद्दे को उठाया गया है।
हाईकोर्ट ने मांगी पीएमसी बैंक घोटाले के आरोपियों की संपत्ति की जानकारी
इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने पंजाब महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक (पीएमसी) घोटाले के मामले में आरोपी व एचडीआईएल के निदेशक राकेश वाधवान व सारंग वाधवान की भारत व विदेशो में स्थित संपत्ति की जानकारी मंगाई है। इसके साथ ही वाधवान को स्पष्ट करने को कहा गया है कि उनकी संपत्ति को लेकर कोई मुकदमा तो नहीं जारी है अथवा संपत्ति पर नए अधिकार तो नही सृजित किए गए हैं। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने यह निर्देश पेशे से वकील सरोस दमानिया की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में मांग की गई है कि वाधवान की संपत्ति को बेचकर बैंक के खाताधारकों की रकम की वसूली की जाए। यहीं नहीं वाधवान की संपत्ति की नीलामी के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्ति न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाए। इसके अलावा संपत्ति की नीलामी तक एचडीआईएल के निदेशकों के जमानत आवेदन पर सननवाई न की जाए। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील अनूप पाटील ने कहा कि पीएमसी से जुड़े मामले के मुकदमे के समापन में काफी वक्त लग सकता है। इसलिए मामले में आरोपी एचडीआईएल के निदेशकों की संपत्ति को बेचकर खाताधारकों व निवेशकों की रकम लौटाने की दिशा में कदम उठाया जाना चाहिए। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वाधवान की काफी संपत्ति जब्त की है। वहीं इस दौरान वाधवान की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि ईडी व ईओडब्यू ने जो संपत्ति जब्त की है वह खाताधारकों की रकम लौटाने के लिए पर्याप्त है। लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वाधवान की भारत व विदेश में स्थित संपत्ति की जानकारी मंगाई जाए और उनके जमानत आवेदन पर सुनवाई पर रोक लगाई जाए। इसके बाद खंडपीठ ने वाधवान की संपत्ति की सूची मामले की अगली सुनवाई के दौरान पेश करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के बाद रखी है।
गिरफ्तार तीन आरोपियों 11 दिसंबर तक पुलिस हिरासत
मुंबई की स्थानीय अदालत ने पीएमसी घोटाले के मामले में गिरफ्तार तीन आरोपियों को 11 दिसंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है। तीनों आरोपियों को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार आरोपियों के नाम डा तृप्ति बने, मुक्ति बावसी व जगदीश मुखी है। तीनों बैंक के निदेशक थे। इन पर बैंक के कर्ज की वसूली व कर्ज को मंजूरी देने की जिम्मेदारी थी।
चोकसी को भगौडा अपराधी घोषित करने के मुकदमे पर रोक लगाने से इंकार
बांबे हाईकोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक के करोड़ो रुपए के घोटाले के मामले में आरोपी मेहुल चोकसी के खिलाफ मुंबई की विशेष अदालत में जारी भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने की कार्यवाही पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चोकसी को भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किए जाने की मांग को लेकर मुंबई की विशेष अदालत में आवेदन दायर किया है। इस सुनवाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर चोकसी ने हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था। बुधवार को न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति साधना जाधव की खंडपीठ ने चोकसी के आवेदन को खारिज कर दिया। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने चोकसी के आवेदन पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित किया था। इस दौरारन चोकसी के वकील ने दावा किया था कि उनके मुवक्किल ने भारत आने से इंकार नहीं किया है। वे खराब स्वास्थ्य के चलते भारत आने मे असमर्थ हैं। इसलिए मेरे मुवक्किल को भगौड़ा आर्थिक अपराधी न घोषित किया जाए। मेरे मुवक्किल ईडी के साथ जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा ईडी के जिन अधिकारियों के बयान व जांच के आधार पर मेरे मुवक्किल को भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया है, उन्हें उन अधिकारियों के साथ जिरह करने का अवसर दिया दिया जाए। वहीं ईडी के वकील हितने वेणेगांवकर ने चोकसी के आवेदन का विरोध किया। उन्होंने कहा कि कई बार समन व वारंट जारी करने के बाद भी चोकसी जांच एजेंसी के सामने हाजिर नहीं हुआ है। ऐसे में उसके आवेदन पर सुनवाई करने का कोई औचित्य नहीं है। चोकसी का आवेदन सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इन दलीलों के मद्देनजर खंडपीठ ने बुधवार को चोकसी के आवेदन को खारिज कर दिया।
Created On :   4 Dec 2019 7:29 PM IST