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मां को परेशान करने वाले बहू-बेटे को खाली करना होगा घर - हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अपनी मां को प्रताड़ित करनेवाले बेटे-बहू को बांबे हाईकोर्ट ने दो महीने के भीतर घर खाली करने का निर्देश दिया है। यदि बेटा दो माह में घर खाली नहीं करता है तो बुजुर्ग महिला कानूनी तरीके से अपना घर खाली कराने के लिए स्वतंत्र है। स्थानीय पुलिस इसके लिए महिला को जरुरी सहयोग प्रदान करे। हाईकोर्ट ने बेटे और बहू की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए यह निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने कहा कि बच्चों से माता-पिता की देखरेख करना अपेक्षित है। ताकि वे अपने जीवन के अंतिम पडाव में किसी तरह की परेशानी न झेले और सामान्य जीवन व्यतीत कर सके। अपने छोटे बेटे व बहू के अशिष्ट बर्ताव व धमकियों से परेशान होकर बुजुर्ग महिला ने वरिष्ठ नागरिकों के संरक्षण व कल्याण के लिए बनाए गए कानून के तहत ट्रिब्यूनल में बेटे के खिलाफ शिकायत की थी। ट्रिब्यूनल ने बेटे को फटकार लगाते हुए उसे अपना अलग इंतजाम करने के लिए कहा था। ट्रिब्यूनल के इस आदेश के खिलाफ बुजुर्ग महिला के बेटे व बहू ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपील की थी। याचिका में बेटे ने कहा था कि उसके बड़े भाई ने उसकी मां को ट्रिब्यूनल में आवेदन दायर करने के लिए उकसाया है ताकि उसे फ्लैट से निकाला जा सके और उसे फ्लैट में कोई हिस्सा न मिले। इस मामले में आपराधिक मामला भी दर्ज कराया गया है।
मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि मां अपने बेटे की धमकियों व प्रताड़ना से तंग से आकर ट्रिब्यूनल में आवेदन दायर किया है। अपने बेटे की अशोभनीय हरकतो के चलते मां खुद को अपने बेटे से खतरा महसूस कर रही है। मां को यह भी आशंका है कि उसका बेटा उसे कही कोई शारिरिक चोट न पहुंचाए। ऐसी परिस्थिति के मद्देनजर हमे ट्रब्यूनल की ओर से दिए गए आदेश में हस्तक्षेप करने की जरुरत नहीं महसूस हो रही है। खंडपीठ ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के संरक्षण व कल्याण के लिए बनाए गए कानून के तहत बच्चों द्वारा माता-पिता की उपेक्षा नहीं की जा सकती। इस कानून में अपेक्षा की गई है कि बच्चे अपने माता-पिता के भोजन, निवास व उनके इलाज सहित देखरेख की जिम्मेदारी का निर्वहन करे। जहां तक फ्लैट की बात है तो यह फ्लैट याचिकाकर्ता के पिता ने खरीदा था। चूंकि अब याचिकाकर्ता के पिता नहीं है इसलिए इस फ्लैट पर अब मालिकाना हक मां का है। मामले को लेकर खंडपीठ के कड़े रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके बच्चे पढाई कर रहे हैं। इसलिए उसे अपनी व्यवस्था करने के लिए थोड़ा वक्त दिया जाए। इस मांग को स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को दो महीने के भीतर घर खाली करने का निर्देश दिया। यदि वह दो महीने में घर खाली नहीं करता है तो मां कानूनी तरीके से घर खाली कराने के लिए स्वतंत्र है। स्थानीय पुलिस इस मामले में बुजुर्ग महिला को जरुर सहयोग प्रदान करे।
Created On :   27 Dec 2019 7:46 PM IST